
नई दिल्ली । सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित एसआईटी ने गुजरात के जामनगर स्थित वन्य जीव और पुनर्वास केंद्र ‘वंतारा’ को बड़ी राहत देते हुए उसे क्लीन चिट दे दी है। एसआईटी के अधिकारियों ने वंतारा में नियमों के पालन और नियामक उपायों पर संतोष जताया। जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस पी.बी. वराले की पीठ ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया और कहा कि अधिकारियों ने वंतारा में अनुपालन और नियामक उपायों के मुद्दे पर संतुष्टि व्यक्त की है।
यह रिपोर्ट शुक्रवार को पेश की गई थी और सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को इसका अध्ययन किया। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद एक विस्तृत आदेश पारित करेगी। शीर्ष अदालत में दो जनहित याचिकाएं दायर की गईं थी, जिनमें आरोप लगाए गए थे कि वंतारा में कानूनों का पालन नहीं किया जा रहा है और साथ ही विदेशों से जानवरों, खासकर हाथियों के अधिग्रहण के आरोप लगे। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए और विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स् के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने आरोपों की जांच के लिए एसआईटी गठित की। 25 अगस्त को एसआईटी का गठन किया था और जस्टिस जे चेलमेश्वर को इस एसआईटी का प्रमुख बनाया गया था।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया गया कि वंतारा में जानवरों की गैरकानूनी तरीके से खरीद की गई। याचिका में ये भी आरोप है कि हाथियों, चिड़ियाओं और अन्य संरक्षित प्रजातियों के जीवों को तस्करी कर वन्यजीव संरक्षण और पुनर्वास के नाम पर वंतारा में लाया गया।