हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की दोस्त, ‘विदेशी’ का विरोध न हो-अमित शाह

नई दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह ने केंद्र सरकार के राजभाषा विभाग की स्वर्ण जयंती समारोह में भाग लिया। उन्होंने कहा कि हिंदी किसी भी भारतीय भाषा की विरोधी नहीं है, बल्कि सभी भारतीय भाषाओं की मित्र है। शाह ने कहा कि किसी भी विदेशी भाषा का विरोध नहीं होना चाहिए, लेकिन हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व भी करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मातृभाषा में सोचने, बोलने के साथ-साथ अभिव्यक्त करने की भावना को प्रोत्साहित करना चाहिए।
शाह ने सभी राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे स्थानीय भाषाओं में चिकित्सा और इंजीनियरिंग जैसी उच्च शिक्षा प्रदान करने की पहल करें। उन्होंने आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार इस दिशा में राज्यों को हरसंभव सहयोग देगी। गृह मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि प्रशासनिक कार्यों में भारतीय भाषाओं का अधिक से अधिक उपयोग किया जाए।
हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच प्रतिस्पर्धा को लेकर अमित शाह ने कहा, भाषाएं मिलकर देश के सांस्कृतिक आत्मगौरव को ऊंचाई तक ले जा सकती हैं। उन्होंने मानसिक गुलामी की भावना से मुक्ति पाने पर जोर दिया। शाह ने कहा कि जब तक कोई व्यक्ति अपनी भाषा पर गर्व महसूस नहीं करता और खुद को उसी भाषा में अभिव्यक्त नहीं करता, तब तक वह पूरी तरह आजाद नहीं हो सकता।
गृह मंत्री ने कहा, भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, यह राष्ट्र की आत्मा होती है। इसलिए भारतीय भाषाओं को जीवित और समृद्ध बनाए रखना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि सभी भारतीय भाषाओं का विकास हो, इसके लिए जरूरी है कि आने वाले समय में समर्पित प्रयास किए जाएं। विशेष रूप से राजभाषा हिंदी के लिए ऐसा करना होगा।
शाह ने राजभाषा विभाग की 50 वर्षों की यात्रा (1975 से 2025) को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि जब भारत अपनी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ मनाएगा, तब हिंदी भाषा स्वर्ण अक्षरों में अंकित होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि इसकी मदद से देश की प्रतिष्ठा दोबारा स्थापित करने के प्रयास किए जा सकते हैं।
गृह मंत्री ने सभी भारतीय भाषाओं के प्रेमियों और राजभाषा हिंदी के शुभचिंतकों को स्वर्ण जयंती वर्ष की बधाई भी दी। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए एकजुट होकर समर्पित प्रयास करने होंगे। शाह ने जिस तरह भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने और विदेशी का विरोध न करने की बात कही है, इसे भारत में भाषायी सौहार्द, आत्मगौरव, और मातृभाषा के सम्मान को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण संदेश माना जा रहा है।
बता दें कि अमित शाह इससे पहले भी भाषा विवाद को लेकर बयान दे चुके हैं। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा था कि आने वाले समय में लोगों को अंग्रेजी बोलने में शर्म आएगी। बकौल शाह, अब बदलाव का समय आ चुका है, इसलिए हिंदी समेत देश की तमाम भाषाओं के इस्तेमाल को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।