रिलायंस को 24,500 करोड़ रुपये का नोटिस
प्राकृतिक गैस उत्पादन और बिक्री से हुए लाभ से जुड़ा है मामला
नई दिल्ली। सरकार ने ओएनजीसी के आसपास के ब्लॉक से प्राकृतिक गैस के उत्पादन और बिक्री से हुए लाभ पर रिलायंस इंडस्ट्रीज को 2.81 अरब डॉलर (करीब 24,500 करोड़ रुपये) का मांग नोटिस भेजा है। यह नोटिस 14 फरवरी को आए दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद भेजा गया है। हाईकोर्ट ने एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण के उस फैसले को पलट दिया था, जिसमें रिलायंस और यूके की उसकी साझेदार फर्म बीपी पीएलसी को नजदीकी ब्लॉक से गैस उत्पादन और बिक्री के लिए किसी भी हर्जाने की देनदारी नहीं बताई गई थी।
कंपनी ने शेयर बाजार को भेजी सूचना में कहा, खंडपीठ के फैसले के बाद पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय से 3 मार्च, 2025 को मांग पत्र प्राप्त हुआ है। इसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज, बीपी एक्सप्लोरेशन (अल्फा) लि. और कनाडा की कंपनी निको (एनईसीओ) लि. से 2.81 अरब डॉलर की मांग की गई है।
दरअसल, सरकार ने 2016 में ओएनजीसी के आसपास के क्षेत्रों से केजी-डी6 ब्लॉक में स्थानांतरित हुई गैस की मात्रा के लिए रिलायंस और उसके भागीदारों से 1.55 अरब डॉलर की मांग की थी। रिलायंस ने इस दावे का विरोध किया था। जुलाई, 2018 में मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने भी कहा कि कंपनी मुआवजे के भुगतान के लिए बाध्य नहीं है। इस फैसले के खिलाफ दायर सरकार की अपील को दिल्ली हाईकोर्ट की एकल पीठ ने मई, 2023 में खारिज करते हुए मध्यस्थता निर्णय को बरकरार रखा था।
हाईकोर्ट की ही एक खंडपीठ ने पिछले महीने रिलायंस और उसके भागीदारों के खिलाफ फैसला सुनाते हुए एकल न्यायाधीश के आदेश को खारिज कर दिया था।