विष्णु पूजा का शुभ संयोग 31 जुलाई को:सावन के बुधवार को एकादशी और द्वादशी में विष्णु पूजन से पंचयज्ञों का पुण्य मिलने की मान्यता
31 जुलाई को सावन महीने की एकादशी और द्वादशी, दोनों तिथियां हैं। साथ ही बुधवार भी है। माना जाता है, ऐसा संयोग सालों में बनता है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से पंचयज्ञों का पुण्य मिलता है। सावन महीने की पहली एकादशी को कामिका एकादशी कहते हैं।
पुराणों में कहा गया है कि इस तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस एकादशी पर भगवान विष्णु को तुलसी पत्र चढ़ाने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। इस दिन तीर्थ-स्नान और दान से कई गुना पुण्य मिलता है।
स्कंद पुराण में बताया गया है कि सावन महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी पर व्रत, पूजा और दान से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। लेकिन, जानबूझकर दोबारा कोई पाप या अधर्म नहीं होगा, ऐसा संकल्प भगवान विष्णु के सामने लेने पर ही इसका फल मिलता है। ये व्रत साल की 24 एकादशियों में खास माना गया है।
कामिका एकादशी व्रत की कथा सुनना यज्ञ करने के समान है। इस व्रत के बारे में ब्रह्माजी ने देवर्षि नारद को बताया कि पाप से भयभीत मनुष्यों को कामिका एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। एकादशी व्रत से बढ़कर पापों के नाशों का कोई उपाय नहीं है। स्वयं प्रभु ने कहा है कि कामिका व्रत से कोई भी जीव बुरी योनि में जन्म नहीं लेता। जो इस एकादशी पर श्रद्धा-भक्ति से भगवान विष्णु को तुलसी पत्र अर्पण करते हैं, वे इस समस्त पापों से दूर रहते हैं।
सावन महीने में आने वाली एकादशियों को पर्व भी कहा जाता है। सावन मास में भगवान नारायण की पूजा करने वालों से देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सब पूजित हो जाते हैं। एकादशी के दिन स्नानादि से पवित्र होने के बाद पूजा का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति की पूजा करना चाहिए।
भगवान विष्णु को फूल, फल, तिल, दूध, पंचामृत और अन्य सामग्री चढ़ाकर आठों प्रहर निर्जल रहना चाहिए। यानी पूरे दिन बिना पानी पीए विष्णु जी के नाम का स्मरण करना चाहिए। एकादशी व्रत में ब्राह्मण भोजन एवं दक्षिणा का भी बहुत महत्व है। इस प्रकार जो यह व्रत रखता है उसकी कामनाएं पूरी होती हैं।
बुधवार, 31 जुलाई को सावन महीने की पहली एकादशी है। इसका नाम कामिका है। सावन, एकादशी और बुधवार के योग में शिव जी, विष्णु जी, गणेश जी और बुध ग्रह की पूजा एक साथ करने का शुभ योग बना है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, कामिका एकादशी पर किए गए व्रत-उपवास और पूजन से भक्तों की मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो सकती हैं। इस एकादशी पर पूजा-पाठ के साथ ही ध्यान और मंत्र जप भी करना चाहिए। दीपक जलाकर उसकी ज्योति को देखते हुए ध्यान किया जा सकता है।
भगवान विष्णु के लिए किया जाता है एकादशी व्रत
एकादशी पर भगवान विष्णु के लिए व्रत-उपवास करने की परंपरा है। इस तिथि के स्वामी विष्णु जी ही माने गए हैं। सावन महीने की इस एकादशी पर प्रथम पूज्य गणेश जी, विष्णु जी के साथ ही शिव जी की भी विशेष पूजा जरूर करें। ज्योतिष में बुधवार का कारक ग्रह बुध ग्रह माना जाता है। इसलिए बुधवार को बुध ग्रह के लिए हरे मूंग का दान करना चाहिए। बुध के मंत्र ऊँ बुधाय नम: का जप 108 बार करें।
ऐसे कर सकते हैं विष्णु जी की पूजा
भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें। अभिषेक करने के लिए दूध में केसर मिलाएं और इस दूध को शंख में भरकर भगवान को स्नान कराएं।
ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। भगवान विष्णु को पीले चमकीले वस्त्र चढ़ाएं। देवी लक्ष्मी को लाल चुनरी ओढ़ाएं। कुमकुम का तिलक लगाएं। लाल चूड़ी, सिंदूर, लाल फूल अर्पित करें।
देवी-देवता का फूलों से श्रृंगार करें। दूध से बनी मिठाई का भोग तुलसी के पत्तों के साथ लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
एकादशी पर भगवान श्रीकृष्ण के साथ ही गौमाता की भी पूजा करनी चाहिए। किसी गौशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें।