स्वास्थ्य

बीआरडी मेडिकल कॉलेज: वीआरडीएल में सीमित जांच, बीएसएल-3 लैब में चुप्पी; मरीजों की चिंताएँ बढ़ी।

गोरखपुर का बीआरडी मेडिकल कॉलेज: बीएसएल-3 लैब में अनुत्पादकता की कहानी

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में स्थापित बीएसएल-3 लैब, जो करोड़ों की लागत से तैयार की गई थी, अब तक अपनी जांचों की शुरुआत नहीं कर सकी है। कोविड महामारी के दौरान स्थापित इस लैब में आरटी-पीसीआर मशीनें तो उपलब्ध हैं, लेकिन वर्तमान में केवल हेपेटाइटिस बी और डेंगू के परीक्षण किए जा रहे हैं, जो कि धन की कमी के कारण हो रहे हैं। जीनोम सीक्विंग की स्थापना का दावा अधूरा है और कई आवश्यक जांच अब तक शुरू नहीं की जा सकी हैं।

लैब की स्थापना और समस्याएँ

गोरखपुर का बीआरडी मेडिकल कॉलेज एक वायरल रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैब (VRDL) के माध्यम से बीएसएल-3 लैब स्थापित करने में सफल रहा। इसकी स्थापना तेजी से की गई, जिससे इसकी लागत लगभग ढाई करोड़ तक पहुँची। हालांकि, आज तक इस महत्वपूर्ण लैब में कोई भी जांच शुरू नहीं हो सकी है। स्थापना के समय, कॉलेज ने यह दावा किया था कि यहां जीनोम अनुक्रमण संभव होगा, लेकिन यह अभी तक कार्यान्वित नहीं हो सका है।

वर्तमान में क्या चल रहा है?

हेपेटाइटिस बी और सी और डेंगू की जांच नेहरू अस्पताल की मदद से की जा रही है। बड़ी बात यह है कि बीएसएल-3 लैब में स्थापित तीनों लैब को अब तक शुरू नहीं किया जा सका है। मौजूदा समय में केवल हेपेटाइटिस बी, सी और डेंगू के रोगियों की जांच की जा रही है, जबकि स्वाइन फ्लू और एन्सेफलाइटिस के नमूने क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र (RMRC) को भेजे जा रहे हैं।

लैब की क्षमता

इस लैब में कुल 10 आरटी-पीसीआर मशीनें हैं, जिनका उपयोग बारी-बारी से किया जा रहा है। हालांकि, लैब की सुरक्षा स्तर को बेहद ऊँचा माना जाता है। इसके माध्यम से कई महत्वपूर्ण जांचों की संभावना है, जैसे कि जीनोम अनुक्रमण, जो विभिन्न वायरस जैसे पीले बुखार वायरस, वेस्ट नाइल वायरस, कोरोना वायरस, स्वाइन फ्लू वायरस और मेर्स वायरस की पहचान में मदद कर सकता है। लेकिन इन सभी सुविधाओं के बावजूद, कोई भी जांच अब तक शुरू नहीं हो सकी है।

महत्वपूर्ण परीक्षणों की आवश्यकता

विशेषज्ञों का मानना है कि गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का मुख्य कारण मानव पैपिलोमा वायरस है, जबकि त्वचा, मुंह और जननांगों में संक्रमण का संक्रमण हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस के कारण हो सकता है। इस प्रकार के कई परीक्षण तात्कालिक हैं और इनका संबंध गर्भवती महिलाओं, चिकनगुनिया, और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से है। लेकिन वास्तविकता यह है कि ये सभी जरूरी जांचें लैब में शुरू नहीं हो पा रही हैं।

बजट और प्रबंधन समस्याएँ

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन द्वारा यह बताया गया है कि 2022 से लैब के लिए कोई बजट निर्धारित नहीं किया गया है। पहले बजट में हो रहे पीछे रह जाने से लैब की कार्यप्रणाली प्रभावित हुई है। प्रबंधन ने सरकारी प्राधिकरण को एक प्रस्ताव भेजा था, जिसका अनुमोदन नहीं मिला। नए प्रस्ताव के माध्यम से एक बार फिर बजट की व्यवस्था की जाएगी।

भविष्य की संभावनाएँ

वीआरडीएल लैब, कोविड संक्रमण अवधि के दौरान एकमात्र महत्वपूर्ण समर्थन था, और इसे किसी भी महामारी के दौरान उपयोग किया जा सकता है। आशा है कि यदि नए परीक्षण बजट के साथ शुरू किए जाते हैं, तो इसका लाभ आम जनता को होगा। चिकित्सकों का मानना है कि इस लैब से कई नई संभावनाएँ खुल सकती हैं।

निष्कर्ष

धन की कमी और प्रबंधन के मुद्दों के चलते, बीआरडी मेडिकल कॉलेज की बीएसएल-3 लैब में महत्वपूर्ण जानकारियों और परीक्षणों की आवश्यकता पूरी नहीं हो पा रही है। इस लैब की स्थापित सुविधाओं का सही उपयोग न होना स्वास्थ्य सेवाओं पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। यदि प्रशासन और प्रबंधन मिलकर इस मुद्दे का समाधान निकालने में सक्षम होते हैं, तो ये लैब न केवल क्षेत्रीय स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती दे सकती है, बल्कि आने वाले समय में नई स्वास्थ्य संकटों का सामना करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

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