ट्रम्प ने ईरान की परमाणु स्थलों की रिपोर्ट देने वाले जनरल पर नाराजगी जताई, जनरल जेफरी क्रूस की रिपोर्ट को खारिज किया, स्थिति को लेकर उनके गुस्से का खुलासा।

अमेरिकी रक्षा खुफिया एजेंसी के प्रमुख जेफरी क्रूस को दो वरिष्ठ नौसेना अधिकारियों के साथ बर्खास्त कर दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के गुस्से का शिकार हुए हैं।
दीया और ट्रम्प
पीट हेगसेथ ने नौसेना रिजर्व के मुख्य वाइस एडमिरल नैन्सी लैकोर और नेवी स्पेशल वॉर कमांड, रियर एडमिरल मिल्टन सैंड्स को भी बर्खास्त कर दिया है। क्रूस की तरह, उन्हें बर्खास्तगी का कारण नहीं दिया गया है। डीआईए निदेशक बनने से पहले, क्रूस ने राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के सैन्य मामलों के सलाहकार के रूप में कार्य किया है। उन्होंने ISIL (ISIS) के खिलाफ कई महत्वपूर्ण श्रेणियों में काम किया है।
जून में ईरान पर हुए अमेरिकी हमले के बाद, क्रूस की एजेंसी ने कहा कि हमले की सफलता सीमित थी। ईरान के परमाणु ठिकानों को बहुत अधिक नुकसान नहीं हुआ है। यह जानकारी अमेरिकी मीडिया में काफी चर्चित रही थी। ट्रम्प इससे नाराज हो गए थे क्योंकि उन्होंने दावा किया था कि ईरान के परमाणु स्थल पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं। ट्रम्प ने ईरान पर अमेरिकी हमलों के बारे में डीआईए के शुरुआती निष्कर्षों का पक्ष लिया।
‘ट्रम्प का रास्ता सही नहीं है’
मार्क वार्नर, अमेरिकी सीनेटर और सीनेट इंटेलिजेंस कमेटी के उपाध्यक्ष, ने ट्रम्प की आलोचना की है। उनका कहना है कि एक वरिष्ठ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी की बर्खास्तगी ट्रम्प प्रशासन के खतरनाक तरीकों का संकेत है। वह देश की सुरक्षा के बजाय अपनी वफादारी के अनुसार खुफिया जानकारी की जांच कर रहे हैं।
ट्रम्प इस साल जनवरी में राष्ट्रपति के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद से लगातार अधिकारियों को बर्खास्त कर रहे हैं। उन्होंने कई सैन्य अधिकारियों को हटाया है। इसमें जनरल चार्ल्स ब्राउन, संयुक्त चीफ ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष भी शामिल हैं, जिन्हें फरवरी में बिना किसी स्पष्टीकरण के हटा दिया गया था।
यह घटनाक्रम केवल सुरक्षा से जुड़े मामलों में ही नहीं, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण विषय है। अमेरिकी प्रशासन में लगातार हो रही इन बर्खास्तगियों ने न केवल सुरक्षा नीतियों को प्रभावित किया है बल्कि यह ट्रम्प की प्रशासनिक शैली और उनके निर्णय लेने की प्रक्रिया को भी उजागर करती हैं।
अधिकारियों की ऐसी बर्खास्तगी का प्रभाव केवल मौजूदा सुरक्षा स्थिति पर ही नहीं पड़ेगा, बल्कि अमेरिकी विदेश नीति और आंतरिक राजनीति पर भी दूरगामी प्रभाव डाल सकता है। खासकर जब विदेशी संबंधों की बात आती है।
इसके अतिरिक्त, यह देखने की आवश्यकता है कि बर्खास्त किए गए अधिकारियों के अनुभव और उनके द्वारा किए गए कार्यों का क्या परिणाम होता है। क्या उनकी बर्खास्तगी से प्रशासन की कार्यप्रणाली में सुधार आएगा या इसे और अधिक जटिल बना देगा, यह प्रश्न महत्वपूर्ण है।
अमेरिकी सुरक्षा नीति में बदलाव, विशेषकर ईरान जैसे संवेदनशील मुद्दों के संदर्भ में, हमेशा चर्चा का विषय बनते हैं। ट्रम्प प्रशासन ने अपने कार्यकाल में कई बार ईरान के प्रति सख्त रुख अपनाया है, और इस तरह के उपायों को देखते हुए, बर्खास्त की गई अधिकारियों का क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।
साक्षात्कारकर्ता चयन, नीतियों में बदलाव और बर्खास्तगी के ये प्रमुख तत्व उस समय के राजनीतिक माहौल को दर्शाते हैं जो ट्रम्प प्रशासन के लिए एक चुनौती रही है। उनके निर्णय न केवल अमेरिकी जनता के लिए, बल्कि वैश्विक स्तर पर अन्य देशों के लिए भी महत्वपूर्ण बन जाते हैं।
अंततः, आगामी समय में यह देखा जाएगा कि क्या ये बदलाव अमेरिका की सुरक्षा और विदेश नीति को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं, या यह अधिक विवाद और अस्थिरता का कारण बनेंगे। इस विषय पर व्यापक विचार-विमर्श की आवश्यकता है ताकि अमेरिकी प्रशासन भविष्य में बेहतर फैसले ले सके।
प्रस्तावित परिवर्तन केवल एक व्यक्ति या उसके द्वारा किए जाने वाले कार्यों तक सीमित नहीं रह जाने चाहिए; बल्कि यह एक पूर्ण प्रणाली की आवश्यकता को दर्शाता है जिसमें स्थिरता और निरंतरता हो। इस संदर्भ में, यह महत्वपूर्ण है कि अमेरिकी प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि वे अपने निर्णयों और नीतियों में समझदारी और विश्लेषण का उपयोग करें।
इस हालात में, जो केवल रक्षा विभाग के लिए नहीं, बल्कि व्यापक रूप से समाज के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, आवश्यकता है कि सभी पक्ष मिलकर उस दिशा में काम करें जो देश के हित में सबसे उपयुक्त हो।