गुप्त नवरात्रि में क्या गृहस्थ लोग घटस्थापना करके व्रत रख सकते हैं? जान लें क्या कहते हैं धर्म शास्त्र
आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि की शुरूआत 26 जून 2025 से होगी। गुप्त नवरात्रि विशेष रूप से तंत्र साधना, सिद्धि और गुप्त उपासना के लिए जानी जाती है। यह आषाढ़ और माघ मास में आती है, और मुख्यत: तांत्रिकों, साधकों और गुप्त साधना करने वालों के लिए अत्यंत फलदायी मानी जाती है। परंतु इसका यह अर्थ नहीं है कि गृहस्थ लोग इसमें भाग नहीं ले सकते। गृहस्थ लोग भी इस दौरान मंत्र जप, दुर्गासप्तशती, अर्गला स्तोत्र आदि का पाठ करके माता दुर्गा की 10 महाविद्याओं को प्रसन्न कर सकते हैं। हालांकि, घटस्थापना और व्रत के लिए प्रत्यक्ष नवरात्रि (शारदीय और चैत्र) ही गृहस्थों के लिए शुभ मानी जाती है। गृहस्थ लोगों के द्वारा गुप्त नवरात्रि में घटस्थापना करके व्रत करना बेहद मुश्किल होता है, क्योंकि इस क्रिया को 9 दिनों तक गुप्त रखना पड़ता है। इसके साथ ही गुप्त नवरात्रि तांत्रिक साधनाओं का समय काल होता है। गुप्त नवरात्रि मां दुर्गा के 10 रौद्र रूपों काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की साधना होती है। इनकी साधना में छोटी सी चूक भी आपके लिए बेहद घातक साबित होती है। इसलिए गृहस्थों को गुप्त नवरात्रि में घटस्थापना और व्रत न रखने की सलाह दी जाती है। व्रत और घटस्थापना किए बिना मंत्रों का जप, ध्यान और पाठ करके गृहस्थ लोग महाविद्याओं को प्रसन्न कर सकते हैं।
गृहस्थों के लिए गुप्त नवरात्रि के नियम:
यदि कोई गृहस्थ व्यक्ति तांत्रिक विधियों से अपरिचित है, तो वह सामान्य नवरात्रि की तरह श्रद्धा और भक्ति से मां दुर्गा की पूजा इस दौरान कर सकता है। इससे देवी प्रसन्न होती हैं।
गुप्त नवरात्रि की साधना में अधिक नियम-संयम और शुद्धता का पालन आवश्यक होता है। इसलिए व्रत न रखते हुए भी गृहस्थों को पूरे नौ दिन ब्रह्मचर्य, सात्विक आहार और मानसिक शुद्धता का पालन करना चाहिए।
अगर आप साधक नहीं हैं या तंत्र विधियों में पारंगत नहीं हैं, तो किसी भी तांत्रिक अनुष्ठान या क्रिया को करने से बचें। केवल साधारण पाठ-पूजा, दुर्गा सप्तशती का पाठ, दीपदान और व्रत करें।
गुप्त नवरात्रि में ध्यान करने से आपको बेहद शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस दौरान एकांत स्थल पर माता दुर्गा को स्मरण करते हुए ध्यान की गहराई में आप जा सकते हैं।
गुप्त नवरात्रि व्रत का फल:
गुप्त नवरात्रि में मंत्र जप, ध्यान और साधना करने से आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दौरान की गई साधना आपको मानसिक रूप से भी सशक्त बनाती है। अगर माता दुर्गा की दस महाविद्याओं को आप प्रसन्न कर देते हैं तो दुख-विपदाओं और शत्रुओं से भी आपको छुटकारा मिलता है। आत्मिक विकास के लिए आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का पर्व बेहद खास माना जाता है।
गुप्त नवरात्रि में न करें ये भूल
बिना मार्गदर्शन के तांत्रिक अनुष्ठान न करें। ऐसा करना आपके लिए हानिकारक हो सकता है।
शास्त्रों में वर्णित है कि यदि आप गृहस्थ जीवन में हैं तो रात्रिकालीन या विशेष महाविद्या साधना करने से भी आपको बचना चाहिए।
दिखावे या अधूरी जानकारी के आधार पर पूजा करने से विपरीत परिणाम आपको प्राप्त हो सकते हैं।