ईरान-इस्राइल संघर्ष से चावल निर्यातकों की बढ़ी परेशानी, भुगतान में देरी का करना पड़ रहा सामना

नई दिल्ली । ईरान-इस्राइल संघर्ष के बढ़ने के साथ, हरियाणा के चावल निर्यातक- जो ईरान को देश के बासमती चावल के निर्यात का 30 प्रतिशत हिस्सा हैं- जहाज की आवाजाही में बड़े व्यवधान और भुगतान में देरी से जूझ रहे हैं। करनाल बासमती निर्यात का मुख्य केंद्र है, कैथल और सोनीपत भी विदेशी मांग में योगदान करते हैं। चावल निर्यातक संघ की राज्य इकाई के अध्यक्ष सुशील जैन ने कहा, “ईरान-इस्राइल के बीच चल रहे संघर्ष से व्यापार प्रभावित हुआ है।”
उन्होंने कहा, देश से ईरान को लगभग 10 लाख मीट्रिक टन बासमती चावल का निर्यात किया जाता है, जिसमें हरियाणा की हिस्सेदारी लगभग 30-35 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि ईरान के लिए लगभग 1 लाख मीट्रिक टन बासमती चावल की खेप बंदरगाहों पर फंसी हुई है।
जैन ने कहा कि इसके अलावा, भारतीय निर्यातकों की अ‍ेर से ईरान को निर्यात किए गए लगभग 2 लाख मीट्रिक टन चावल के लिए 1,500 करोड़ रुपये से 2,000 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान भी ताजा संघर्ष के कारण अटक गया है। उन्होंने कहा कि संघर्ष बढ़ने से भारतीय बाजार पर असर पड़ेगा, जहां पहले से ही कीमतों में कुछ गिरावट देखी जा रही है।
उन्होंने कहा, “निर्यातकों के सामने एक और समस्या यह है कि युद्ध के दौरान जहाजों के लिए बीमा कवर का अभाव होता है, जिससे हमारे लिए जोखिम बढ़ जाता है।” सऊदी अरब के बाद ईरान भारत का दूसरा सबसे बड़ा बासमती चावल बाजार है। भारत ने 2024-25 वित्तीय वर्ष के दौरान ईरान को लगभग 1 मिलियन टन सुगंधित अनाज का निर्यात किया।
भारत ने 2024-25 के दौरान लगभग 6 मिलियन टन बासमती चावल का निर्यात किया, जिसकी मांग मुख्य रूप से मध्य पूर्व और पश्चिम एशियाई बाजारों से आई थी। अन्य प्रमुख खरीदारों में इराक, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। हाल के हफ्तों में इस्राइल-ईरान संघर्ष काफी बढ़ गया है, दोनों पक्षों के बीच भारी हमले हुए हैं और अमेरिका भी इस लड़ाई में अब प्रत्यक्ष रूप से शामिल हो गया है।
शिपिंग में व्यवधान से भारतीय चावल निर्यातकों के समक्ष चुनौतियां और बढ़ गई हैं। चावल निर्यातकों को पहले भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण ईरानी बाजार में भुगतान में देरी और मुद्रा संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा है।
रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन को इस्राइल के साथ ईरान के संघर्ष पर भारत की “गहरी चिंता” से अवगत कराया था और “बातचीत व कूटनीति” के माध्यम से स्थिति को तत्काल नरम करने का आह्वान किया। पेजेशकियन की ओर से शुरू की गई यह फोन वार्ता अमेरिका की ओर से ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों- फोर्डो, नतांज और इस्फहान- पर बमबारी के कुछ घंटों बाद हुई।