ईरान-इस्राइल युद्ध के कारण बढ़ सकते हैं पेट्रोल के दाम, महंगाई होगी बेलगाम!

नई दिल्ली । इस्राइल ने ईरान के कई परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया है। इससे पूरी दुनिया के बाजारों में अफरा-तफरी का माहौल है। भारत सहित दुनिया भर के शेयर बाजारों पर इसका नकारात्मक असर पड़ा है और शेयर टूट गए हैं। निवेशक सुरक्षित निवेश की तलाश में अपना पैसा निकाल रहे हैं। इसका सीधा असर एक बार फिर सोने और डॉलर में तेज निवेश के रूप में सामने आ सकता है, वहीं भारत पर इसके कारण पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी हो सकती है। यदि ऐसा होता है तो इसका सीधा असर माल ढुलाई पर पड़ेगा और इसका असर आवश्यक पदार्थों की कीमतों में तेजी के रूप में सामने आ सकता है।
अभी एक ही दिन पहले यह खबर सुनकर आम भारतीय उपभोक्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई थी कि महंगाई दर कई वर्षों में सबसे निचले स्तर 2.82 प्रतिशत पर आ गई थी। रिजर्व बैंक ने भी महंगाई को नियंत्रण में देखकर रेपो दरों में कमी का ऐलान कर दिया था। इससे रेपो दरें 5.50 प्रतिशत पर आ गई हैं और अनुमान यही लगाया जा रहा है कि बैंक रेपो दरों में कमी का लाभ आम उपोक्ताओं तक पहुंचाएंगे और उनकी घर-कारों पर लिए गए कर्ज की महंगी ईएमआई कुछ कम हो सकेगी।
लेकिन इसी बीच अचानक इस्राइल ने ईरान पर हमला कर पूरा मामला नई ओर मोड़ दिया है। ईरान दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है। इस हमले के बाद ब्रेंट क्रूड आॅयल के दाम 8.84 प्रतिशत बढ़कर 75.49 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गए हैं। ईरान भी इस हमले के बाद चुप नहीं बैठेगा। वह जवाबी हमला कर सकता है। ईरान-इस्राइल के युद्ध में ईरान के तेल कुओं को भी नुकसान होने की संभावना बढ़ सकती है। यदि ऐसा होता है तो क्रूड आॅयल की कीमतों में और अधिक वृद्धि हो सकती है।
भारत करीब 40 देशों से तेल आयात करता है। 2024 में ओपेक देशों ने भारत के कुल तेल आयात का करीब 51.5 प्रतिशत निर्यात किया था। लेकिन विशेष देश के हिसाब से देखें तो सबसे बड़ी हिस्सेदारी रूस की रही। अकेले रूस ने 2024 में भारत के कुल तेल आयात का लगभग 36 प्रतिशत हिस्सा निर्यात किया था। ईरान पर युद्ध के कारण ओपेक के दूसरे देशों से निर्यात मूल्य में बढ़ोतरी हो सकती है। इसका असर भारत पर पड़ सकता है। इससे हमारे यहां तेल मूल्यों पर असर पड़ सकता है।
इस्राइल की ओर से ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमला करने के बाद शुक्रवार को तेल की कीमतों में उछाल आया। इस हमले से दोनों देशों के बीच पूर्ण युद्ध का खतरा बढ़ गया है। अमेरिकी बेंचमार्क कच्चा तेल 4.97 डॉलर या 7.3 प्रतिशत बढ़कर 72.91 डॉलर प्रति बैरल हो गया। अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 4.78 डॉलर बढ़कर 74.15 डॉलर प्रति बैरल हो गया, जो 6.67 प्रतिशत की बढ़त है।
एस एंड पी ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स के प्रमुख रिचर्ड जोसविक ने कहा कि अल्पावधि में तेल की कीमतों में वृद्धि होने की संभावना है। पर सवाल यह है कि क्या इसका निर्यात पर असर पड़ेगा। ऐसी स्थिति पहले भी देखी गई है, जब दोनों देश के बीच पहले संघर्ष हुआ था, तो तेल की कीमतें शुरू में बढ़ गई थी। लेकिन जब स्पष्ट हो गया कि स्थिति बिगड़ नहीं रही है और इसका तेल आपूर्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा, तो कीमतें गिर गईं। उन्होंने कहा कि चीन ईरानी तेल का एकमात्र ग्राहक है। हालांकि चीन भी वैकल्पिक आपूर्ति की तलाश कर सकता है। ईरान का तेल व्यापार पश्चिमी देशों में आयात प्रतिबंधों के कारण प्रतिबंधित है। इसके अलावा इस्राइल केवल थोड़ी मात्रा में तेल और तेल उत्पादों का निर्यात करता है।