कमिश्नर साहब! थानेदार नहीं सुन रहे:पीड़ित ने कहा- चेन लूट की FIR के लिए 3 महीने तक भटकता रहा, अब केस

आगरा के पुलिस कमिश्नर लगातार बेहतर पुलिसिंग पर जोर दे रहे हैं। उनका साफ आदेश है कि थाने में आने वाले हर व्यक्ति की FIR दर्ज की जाए, लेकिन थानेदार हैं कि पुलिस कमिश्नर का आदेश नहीं मान रहे।

ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां पर चेन लूट पीड़िता को एफआईआर दर्ज कराने के लिए 3 महीने तक थाने और चौकी के चक्कर लगाने पडे़। अंत में पुलिस आयुक्त के आदेश के बाद FIR दर्ज हुई है।

आगरा की आवास विकास कॉलोनी सेक्टर पांच के रहने वाले मानवेंद्र सिंह ने बताया-11 अप्रैल की रात को उनकी बेटी की तबीयत खराब होने पर पत्नी विनीता दवा लेने जा रही थी। इसी दौरान अपाचे बाइक सवार बदमाश आए और गले से मंगलसूत्र लूट कर फरार हो गए। उन्होंने यूपी 112 नंबर पर कॉल पर की, पुलिस आ गई। यहां तक तो सब सामान्य था।

वो उस दिन बाहर थे, 12 अप्रैल को आगरा आए तो पश्चिम पुरी चौकी पर FIR दर्ज कराने गए। चौकी इंचार्ज अजय जायसवाल ने उनसे कहा कि आप एक-दो दिन रुक जाएं। हम लुटेरे की तलाश कर रहे हैं। आपकी चेन वापस मिल जाएगी। उनके कहने पर वापस आ गए।

कुछ दिन बाद उन्होंने चौकी इंचार्ज से बात की तो उन्होंने लोकसभा चुनाव के चलते फोर्स न होने का हवाला दिया। कहा कि लुटेरे की तलाश की जा रही है। ऐसा करते-करते चुनाव भी समाप्त हो गए। पांच बार उन्होंने चौकी पर तहरीर दी, लेकिन उनकी एफआईआर दर्ज नहीं हुई।

मानवेंद्र सिंह ने बताया कि जब चौकी पर सुनवाई नहीं हुई तो वो सिकंदरा थाने गए। वहां पर इंस्पेक्टर नीरज शर्मा से मिले और तहरीर दी। इंस्पेक्टर ने एफआईआर दर्ज करने के बजाए चौकी इंचार्ज को बुला लिया।

उनसे कहा कि चौकी इंचार्ज से बात कर लीजिए और इनको थोड़ा समय दे दीजिए। एक दो बार ऐसा हुआ, इंस्पेक्टर ने भी एफआईआर नहीं लिखी। इसके बाद जब वो परेशान हो गए तो उन्होंने पुलिस आयुक्त जे रविंद्र गोड़ को पूरी कहानी बताई। इसके बाद तीन माह बाद उनकी एफआईआर दर्ज हुई है।

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि पीड़ित को एफआईआर के लिए भटकाना पड़ा हो। सिकंदरा थाने में दुर्गेशपुरी निवासी रीना भारद्वाज की रिपोर्ट 28 दिन बाद दर्ज की गई थी। रीना भारद्वाज के घर पर कुछ लोगों ने हमला बोल दिया था। सूचना पर पुलिस ने मौके से दो लोगों को भी पकड़ा था।

सीसीटीवी में घटना कैद भी हुई थी। पूरी घटना तत्कालीन पुलिस आयुक्त के संज्ञान में थी। इसके बाद भी एफआईआर दर्ज करने में 28 दिन लगे। वहीं, सिकंदरा पुलिस पीड़िता पर ही पहले फर्जी मुकदमा दर्ज कर दिया था।