गुजरात में फैल रहा घातक चांदीपुरा वायरस:बच्चों को बनाता शिकार, मच्छर और मक्खी से फैलता संक्रमण, बचाव के 6 उपाय
पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) ने पुष्टि की कि गुजरात में 4 साल की बच्ची की मौत चांदीपुरा वायरस के कारण हुई है। इस वायरस के कारण मरने वालों की संख्या अब 15 हो गई है। अब तक लगभग एक दर्जन जिलों से कुल 29 मामले सामने आए हैं। इनमें से 26 गुजरात से, 2 राजस्थान से और एक मामला मध्य प्रदेश का है। इस वायरस के कारण मरने वालों में 13 गुजरात से हैं, जबकि एक-एक पड़ोसी प्रदेश राजस्थान और मध्य प्रदेश से हैं।
मामलों की संख्या में लगातार इजाफा देखकर गुजरात सरकार सक्रिय हो गई है। संदिग्ध क्षेत्रों में 50,000 से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग (जांच) की गई है। सभी जिला और ग्रामीण अस्पतालों को संदिग्ध मामलों के नमूने NIV सेंटर को भेजने के लिए कहा गया है। चांदीपुरा वायरस के अध्ययन और रोकथाम के लिए विशेष टीम भी बनाई है।
यह वेक्टर डिजीज (मच्छर और कीट से फैलने वाली बीमारी) है और काफी घातक होती है। यह छोटे बच्चों के लिए अधिक खतरनाक है। इसके संक्रमण के कारण सिर में सूजन बढ़ने लगती है, जो न्यूरोलॉजिकल कंडीशन में बदल जाती है। जांच और इलाज में थोड़ी सी देरी या लापरवाही मौत का कारण बन सकती है।
चांदीपुरा वायरस के लिए कोई विशेष एंटीवायरल उपचार उपलब्ध नहीं है। चूंकि यह घातक बीमारी है और इसके लक्षण तेजी से बिगड़ सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि जांच में इसका समय पर पता लगाया जा सके और इलाज के समय ठीक से देखभाल हो।
चांदीपुरा वायरस से संक्रमित आधे से अधिक लोगों की हो जाती है मौत
द लैंसेट में साल 2003 में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, चांदीपुरा वायरस का सबसे खतरनाक पहलू इसका डेथ रेट है। जब साल 2003-2004 में यह मध्य भारत में तेजी से फैला था तो फैटेलिटी रेट (मृत्यु दर) 56-75% तक थी। इसका मतलब हुआ कि चांदीपुरा वायरस से संक्रमित आधे से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। इसमें छोटे बच्चों की संख्या अधिक होती है क्योंकि उनका दिमाग तीव्र सूजन सहन कर पाने में सक्षम नहीं होता है।
चांदीपुरा वायरस के क्या लक्षण हैं
इसके संक्रमण से एन्सेफलाइटिस होने का खतरा होता है। इसका अर्थ है कि वायरस के संक्रमण से मस्तिष्क के टिश्यूज में सूजन या जलन होने लगती है। आमतौर पर तेज बुखार इसका शुरुआती लक्षण होता है। इसके सभी लक्षण ग्राफिक में देखिए।