समझिए, प्लेस वैल्यू और फेस वैल्यू का कॉन्सेप्ट:कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स में सवाल जल्दी हल करने में मिलेगी मदद
‘जब जीरो दिया मेरे भारत ने, भारत ने मेरे भारत ने, दुनिया को तब गिनती आई, तारों की भाषा भारत ने, दुनिया को पहले सिखलाई देता ना दशमलव भारत तो, यूं चांद पे जाना मुश्किल था, धरती और चांद की दूरी का, अंदाजा लगाना मुश्किल था’
हालांकि गीतकार ने इसमें भारत द्वारा दिए गए, प्लेस वैल्यू और फेस वैल्यू सिस्टम की बात तो छोड़ दी, लेकिन फिर भी इस सन्दर्भ में 1970 में आई मनोज कुमार अभिनीत और निर्देशित फिल्म ‘पूरब और पश्चिम’ का यह गाना बिल्कुल फिट बैठता है।
बचपन के दिन भुला न देना
विभिन्न एजुकेशन बोर्ड्स के करिक्युलम में प्लेस वैल्यू (स्थानीय मान) और फेस वैल्यू (जातीय मान) को कक्षा तीन, चार या पांच में पढ़ा दिया जाता है। उस उम्र में जब बच्चा इतने भारी-भरकम कॉन्सेप्ट्स को समझने की उम्र में भी नहीं होता। उसके बाद इस पर कभी बात नहीं की जाती।
दरअसल कॉन्सेप्ट नहीं समझाया जाता बल्कि किसी संख्या के अंकों का स्थानीय मान और जातीय मान कैसे निकाला जाता है इसकी एक मेकेनिकल प्रोसेस बच्चों को रटवा दी जाती है और फिर उन पर आधारित कुछ दस-बीस प्रश्नों को साल भर में इतनी बार करवाया जाता है, कि वो बच्चों को याद हो जाते हैं।
यह बहुत इम्पॉर्टेंट कॉन्सेप्ट और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग से लेकर नंबर सिस्टम और अलजेब्रा की अनेकों प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने का आधार है। इसी से आगे चलकर आप डिविसिबिलिटी रूल्स या विभाज्यता के नियम समझ सकते हैं और रिमेंडर्स अर्थात शेषफल के कुछ प्रश्न हल कर सकते हैं। डिजिट (अंक) तथा नंबर (संख्या) में अंतर
डेसीमल सिस्टम में केवल दस डिजिट या अंक 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 होते हैं। यही दस डिजिट विभिन्न संख्याओं और क्रम में जुड़कर अनंत (इनफाइनाइट) संख्याओं जैसे कि 12, 200, 1729 इत्यादि का निर्माण करते हैं। अर्थात डिजिट दस होते हैं और संख्याएं अनंत।
डिजिट्स कुछ ‘एब्स्ट्रैक्ट सिम्बल्स’ होते हैं, जबकि संख्याएं इन ‘एब्स्ट्रैक्ट सिम्बल्स’ से बनी होती हैं जिनका उपयोग मनुष्य गुफा में बंधे हुए जानवरों से लेकर इलेक्ट्रिक करंट तक सभी को मापने के लिए करते हैं।
दुनिया भर की अलग-अलग संस्कृतियों में डिजिट्स को अलग-अलग तरह के सिम्बल्स को उपयोग करके बताया गया है।
नीचे प्राचीन रोमन, बेबीलोनियन और इजिप्शियन अंकों के उदाहरण दिए गए हैं। बेबीलोन का नंबर सिस्टम इजिप्ट यानी मिस्र का नंबर सिस्टम
आज हम जिन अंकों (0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9) का उपयोग करते हैं इन्हें इंडो-अरेबिक न्युमरल्स या अंक कहा जाता है क्योंकि वे इंडिया में जन्मे – इनका प्रारंभिक रूप ०, १, २, ३, ४, ५, ६, ७, ८, ९ कुछ इस प्रकार रहा होगा। अरेबियन व्यापारियों ने इसके उपयोग की सरलता के कारण इसे पूरी अरब दुनिया में लोकप्रिय बनाया।
और फिर जब ये 13वीं शताब्दी में यूरोप पहुंचे तो गणितज्ञ लियोनार्डो फिबोनाची (Leonardo Fibonacci) ने इन अंकों के प्लेस वैल्यू सिस्टम को उपयोग करने की विशेषता के कारण अपनी पुस्तक Liber Abaci (Book of Calculation) में जिक्र किया, जिससे ये पूरे यूरोप में प्रचलित हो गए। कालांतर में यूरोपियन्स की कॉलोनियों ने इन्हें विश्व भर में प्रचलित कर दिया।
खैर, यह तो हुई अंकों के इतिहास की बात, लेकिन इसका प्लेस वैल्यू सिस्टम, फेस वैल्यू सिस्टम और गणित के प्रश्नों को हल करने से क्या सम्बन्ध है?
सम्बन्ध है, समझने के लिए आइए एक उदाहरण लेते हैं। यदि मुझे संख्या 5718 को रोमन न्युमरल्स में लिखना है तो VDCCXVIII लिखना पड़ेगा।
गौर से देखिए मुझे चार अंकों की संख्या के लिए नौ अंक लिखने पड़े यानी लगभग डबल काम। जरा सोचिए मुझे इन अंकों में पूरी किताब लिखनी हो तो कितना काम बढ़ जाएगा। जी हां, 13वीं शताब्दी यूरोप के लोगों के लिए इन अंकों के बारे में पता लगना ठीक वैसा ही है जैसे आज के समय में किसी को ‘गूगल सर्च इंजन’ बारे में पता चलना हो।
प्लेस वैल्यू (स्थानीय मान) एवं फेस वैल्यू सिस्टम (जातीय मान)
अब आप को समझ में आ रहा होगा कि क्यों रोमन अंकों में संख्याओं को बनाने में अधिक अंक और मेहनत लगती है क्योंकि वे प्लेस वैल्यू और फेस वैल्यू सिस्टम को फॉलो नहीं करते। भारतीयों ने विश्व को संख्या लिखने का एक नया सिस्टम दिया।
उन्होंने संख्याओं को विभिन्न स्थानों जैसे इकाई (यूनिट), दहाई (टेन्स), सैकड़ा (हंड्रेड्स), हजार (थाउजेंड), दस हजार (टेन थाऊजेंड) आदि स्थानों में बांट दिया।
किसी अंक जैसे 5 (फेस वैल्यू या डिजिट वैल्यू) की प्लेस वैल्यू (स्थानीय मान) वह किस स्थान पर प्रेजेंट हैं उस पर निर्भर करेगी,
‘इकाई स्थान (×1)’ पर होने पर 5,
‘दहाई स्थान (×10)’ पर होने पर 50,
‘सैकड़े (×100) के स्थान पर 500 और इसी प्रकार आगे के मान रखेगा।
उसी प्रकार दशमलव के उस ओर पहला स्थान टेंथ (1/10),
दूसरा स्थान हंड्रेडथ (1/100) और इसी प्रकार आगे
थाउजेंड्थ (1/1000) इत्यादि होगा।
कृपया नीचे दिया हुआ चित्र देखे –
विभिन्न कॉम्पिटिटिव एग्जाम्स में या तो प्लेस वैल्यू और फेस वैल्यू पर डायरेक्ट प्रश्न पूछे जाते हैं। जैसे संख्या 74978 में दोनों 7 के स्थानीय मान (प्लेस वैल्यू) का अंतर क्या होगा? (उत्तर 70,000 – 70 = 69,930) इत्यादि या फिर इस पर अधिक एडवांस प्रश्न जो विभाज्यता के नियमों और रिमेंडर्स से सबंधित होते हैं, पूछे जाते है। एडवांस प्रश्नों के उदहारण के लिए मान लीजिए आप को पता करना है 987654, 4 से विभक्त होगा या नहीं। या यदि विभक्त नहीं होगा तो रिमेंडर क्या होगा? या संख्या 12349876 को 99 से भाग देने पर रिमेंडर क्या होगा?आप इन प्रश्नों को विभाज्यता के नियमों के बारे में जानकार आसानी से हल कर सकते हैं।उम्मीद करता हूं, इतनी बात समझ आ गई होगी। आगे बात जारी रहेगी।