European Union: चीन के प्रति नीति नरम हो या गरम, इसको लेकर ईयू में मतभेद गहराए

European Union: यूरोपियन काउंसिल में ईयू के सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। ईयू में 27 देश शामिल हैं। इनमें जर्मनी, हंगरी और ग्रीस भी हैं, जो चीन के प्रति नीति को नरम रखने की वकालत कर रहे हैं…

चीन को लेकर कैसी नीति अपनाई जाए, इस पर यूरोपियन यूनियन (ईयू) के अधिकारियों में मतभेद पैदा हो गए हैं। यह खबर वेबसाइट पॉलिटिको.ईयू ने अपनी एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में दी है। इसमें बताया गया है कि चीन के प्रति सख्त नीति अपनाने के लिए ईयू पर अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडन लगातार दबाव डाल रहे हैं। लेकिन यूरोपियन काउंसिल के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल और कई अन्य अधिकारी चीन के खिलाफ उग्र रुख अपनाने के पक्ष में नहीं हैं।

यूरोपियन काउंसिल में ईयू के सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। ईयू में 27 देश शामिल हैं। इनमें जर्मनी, हंगरी और ग्रीस भी हैं, जो चीन के प्रति नीति को नरम रखने की वकालत कर रहे हैं। पर्यवेक्षकों ने ध्यान दिलाया है कि जर्मनी चीन में सबसे ज्यादा निवेश करने वाले देशों में बना हुआ है। खास कर वहां की कार इंडस्ट्री में जर्मनी का बड़ा निवेश है। इसलिए जर्मनी चीन के साथ व्यापारिक संबंध बनाए रखने के पक्ष में है।

लेकिन यूरोपियन कमीशन की अध्यक्ष उरसुला वॉन डेर लियेन चीन के प्रति अमेरिका की तरह ही बेहद सख्त नीति की समर्थक हैं। यूरोपियन कमीशन ही वह संस्था है, जिसकी चीन से व्यापार संबंध की नीति तय करने में सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका है। यूरोपियन काउंसिल के एक सदस्य ने वेबसाइट पॉलिटिको से कहा- ‘अमेरिका और चीन के बीच टकराव बढ़ने का गंभीर खतरा है। यह बात सही है कि हम अमेरिका के सहभागी हैं, लेकिन हम उसका गुलाम नहीं हैँ। हमारी राय है कि चीन के साथ संबंध पूरी तरह नहीं तोड़ा जाना चाहिए।’

पॉलिटिको.ईयू में छपी रिपोर्ट के मुताबिक यूरोपियन काउंसिल में मतभेद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और उरसुला वॉन डेर लियेन का साझा बयान जारी होने के बाद पैदा हुए। यह बयान पिछले शुक्रवार को वॉशिंगटन में दोनों के बीच हुई वार्ता के बाद जारी हुआ था। बयान में चीन की तरफ इशारा करते हुए कहा गया- ‘हमारी कंपनियों की पूंजी, विशेषज्ञता, ज्ञान और तकनीकी उन्नति का लाभ हमारे रणनीति प्रतिद्वंदियों को ना मिले, इसे सुनिश्चित करने में हमारा साझा हित है। यह बात वहां जाने वाले निवेश पर भी लागू होती है।’

लेकिन यूरोपियन काउंसिल में यह राय उभरी है कि कमीशन के अफसरों को ईयू की व्यापार नीति तय करते समय ईयू के सदस्य देशों की सरकारों से अधिक राय-मशविरा करना चाहिए। उन्हें ऐसी नीति तय नहीं करनी चाहिए, जिससे चीन का गुस्सा भड़के। एक अधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर पॉलिटिको.ईयू से कहा- ‘कमीशन के पास व्यापार संबंधी विशेषज्ञता है, इसमें कोई शक नहीं है। लेकिन हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईयू की भू-राजनीतिक रणनीति के बारे में बात कर हैं। इसे यूरोपियन काउंसिल के निर्णय के मुताबिक ही तय किया जाना चाहिए।’

बताया जाता है कि चीन और ईयू की अगली शिखर वार्ता के समय को लेकर भी काउंसिल और कमीशन के बीच मतभेद खड़ा हो गया है। फिलहाल यह शिखर बैठक जून में होनी तय है। यह बैठक अमेरिका-ईयू शिखर बैठक के पहले नहीं हो सकती, जबकि अमेरिका ने संकेत दिया है कि जो बाइडेन जून के पहले इस बैठक के लिए उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में यह अंदेशा पैदा हो गया है कि चीन-ईयू की शिखर बैठक इस साल से आखिर में ही जाकर हो पाएगी।