ऑस्ट्रेलिया में खोया रेडियोएक्टिव कैप्सूल 20 दिन बाद मिला:सड़क किनारे पड़ा था, इसके रेडिएशन से स्किन-हड्डियों को खतरा

ऑस्ट्रेलिया में 20 दिन पहले खोया एक छोटा सा रेडियोएक्टिव कैप्सूल मिल गया है। इसके ज्यादा करीब जाने से स्किन जलने और कई गंभीर बीमारियों का खतरा था। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इसमें मौजूद सेसियम केमिकल इंसान की हड्डियों में जाकर गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये कैप्सूल 12 जनवरी को तब खोया था जब इसे दूसरे कैप्सूल के साथ एक ट्रक में लाद कर एक माइनिंग साइट से लाया जा रहा था। दो हफ्ते तक इसके लापता होने की सूचना ही नहीं मिली थी। फिर 25 जनवरी को खबर मिलते ही चेतावनी जारी कर दी गई थी और तलाश शुरू कर दी गई थी।

1400 किलोमीटर के इलाके में तलाशी के बाद मिला
ऑस्ट्रेलिया की रेडिएशन प्रोटेक्शन और न्यूक्लियर सेफ्टी एजेंसी ने बताया कि एक हफ्ते में पर्थ और पिलबारा के बीच 1400 किलोमीटर के इलाके में कैप्सूल की खोज की गई। इस इलाके से होते हुए ट्रक गुजरा था। ये इलाका ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी हिस्से मे पड़ता है। कैप्सूल को ढूंढने के लिए कई न्यूक्लियर एक्सपर्ट्स को भी भेजा गया था।

जिस ट्रक से कैप्सूल गिरा वो रिओ टिंटो नाम की एक माइनिगं कंपनी का था। कंपनी ने इस मामले को लेकर माफी मांगी है। वहीं वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के चीफ हेल्थ ऑफिसर ने बताया कि इस तरह से किसी रेडियोएक्टिव कैप्सूल का खोना कोई आम घटना नहीं है।

न मिलने पर सदियों तक खतरा बनता कैप्सूल
ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने कहा था कि ये रेडियोएक्टिव कैप्सूल हर घंटे 10 एक्स-रे जितना रेडिएशन छोड़ रहा था। लोगों से इससे 5 मीटर की दूरी बनाए रखने की अपील की गई थी। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कैप्सूल से निकल रहा रेडिएशन उसके पास जाकर खड़े होने से ही ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। अगर कोई पास से गुजर रहा तो ज्यादा खतरा नहीं है। उनके मुताबिक, अगर कैप्सूल नहीं मिलता तो वो सदियों तक लोगों के लिए खतरा बना रहेगा।

कहां इस्तेमाल होता है ये कैप्सूल?
द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, खोया हुआ कैप्सूल 19-GBq है। इसमें सेसियम-137 केमिकल है। यह एक रेडियोएक्टिव मेटल होता है, जो बीटा और गामा रेडिएशन छोड़ता है। सेसियम-137 की क्षमता 30 साल में आधी हो जाती है। रेडिएशन सर्विसेज के मैनेजर ने बताया कि इस तरह के कैप्सूल्स का इस्तेमाल बड़े उद्योगों में कई तरह के मटेरियल की डेंसिटी (घनत्व) और फ्लो (प्रवाह) को मापने के लिए किया जाता है।ऑस्ट्रेलियन न्यूक्लियर साइंस एंड टेक्नोलॉजी ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, हर महीने परमाणु मेडिसिन के दो हजार पैकेज को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जाता है। रेडियोएक्टिव पदार्थों के इस्तेमाल के लिए लाइसेंस लेना होता है। उसकी सेफ्टी, पैकेजिंग पर ध्यान देना होता है। साथ ही ऑनलाइन और ऑफलाइन रिकॉर्ड रखना होता है।