पाकिस्तान में जहरीले धुएं से 16 दिन में 18 मौतें:मरने वालों में 15 बच्चे, कराची के दो कैमिकल प्लांट बंद किए गए
पाकिस्तान के कराची में फैक्ट्रियों के जहरीले धुएं से पिछले 16 दिन में 18 लोगों की मौत हो गई है। मरने वालों में 15 बच्चे हैं। इलाके में मौतों की शुरुआत 10 जनवरी से हुई। इसके बाद से ही यहां डर और दहशत का माहौल बना हुआ है।
शुरूआत में लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि ये मौतें क्यों हो रही हैं। लोगों को बुखार होता, सांस लेने में तकलीफ बढ़ती और हफ्ते भर में उनकी मौत हो जाती। गुरुवार को कराची के हेल्थ डिपार्टमेंट ने साफ कर दिया कि इन सभी मौतों के लिए केमारी इलाके की केमिकल फैक्ट्रियों का जहरीला धुआं ही जिम्मेदार है।
हेल्थ डिपार्टमेंट की जांच में खुलासा हुआ
जब केमारी में मरने वाले लोगों की तादाद बढ़ी तो यहां हेल्थ डिपार्टमेंट ने जांच कैंप लगाया। जिसमें खुलासा हुआ की लगातार लोगों के मरने के पीछे केमारी इलाके की फैक्टरीज हैं जो जहरीला धुंआ छोड़ रही हैं। लोगों को इसे धुएं की वजह से फेफड़ों से जुड़ी बीमारी हो रही हैं। जो उनकी जान ले रही हैं।
वहां रहने वाले लोगों के मुताबिक इलाके की दो फैक्ट्रियों से तेज बदबू आती है। जिससे उन्हें घुटन महसूस होती है। पूरे मामले को लेकर अब गहराई से जांच की जा रही है। साथ ही जहरीला धुंआ छोड़ने वाली दोनों केमिकल फैक्ट्रियों को बंद करवा दिया गया है।
सिंध के चीफ मिनिस्टर ने दुख जताया
सिंध के चीफ मिनिस्टर मुराद अली शाह ने पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने लोगों की मौत पर दुख जताया है। साथ ही कराची के कमिश्नर, हेल्थ डायरेक्टर और लेबर डिपार्टमेंट से लगातार पूरी घटना पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं। लेबर डिपार्टमेंट को ऑर्डर दिए गए हैं कि वो फैक्ट्रियों से निकले धुएं की लैब में जांच करें।
कराची में नया नहीं जहरीली गैस से लोगों के मरने का मामला
साल 2020 में कराची में ही जहरीली गैस लीक होने के कारण 500 से ज्यादा लोग बीमार पड़ गए थे। इनमें 14 लोगों की मौत भी हो गई थी। गैस लीक किस तरह से हुई ये अभी तक मिस्ट्री है। लोगों को एक दम से सांस लेने में तकलीफ होने लगी थी। उस समय केमारी के सभी स्कूल बंद कर दिए गए थे। दरअसल कराची एक पोर्ट सिटी है।
इसके चलते कई लोगों ने दावा किया था कि बंदरगाह पर आने वाले बड़े जहाजों को डिसइंफेक्ट करने के लिए एक तरह का धुंआ छोड़ा जाता है इसी के कारण लोग बीमार पड़े थे। वहीं एक दावा यह भी हुआ था कि सोयाबीन की डस्ट के कारण फैली एलर्जी से लोगों की मौत हुई थी।