संघर्षों भरा रहा हिंदुत्व राजनीति के नायक का सफर, ये किस्से हैं बाबूजी के

अलीगढ़ की अतरौली तहसील के गांव मढ़ौली गांव में एक साधारण किसान परिवार में जन्मे कल्याण सिंह प्रदेश की राजनीति के शिखर पर पहुंचे। बचपन से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखाओं में जाते थे। उच्च शिक्षा हासिल कर अतरौली के एक इंटर कॉलेज में अध्यापक बने। 1967 में पहली बार अतरौली से विधायक बने और 1980 तक लगातार जीते।

राममंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरे और दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे स्व.कल्याण सिंह की जयंती आज है। हिंदुत्व की राजनीति के नायक का खिताब पाने वाले राजनीति के इस दिग्गज पुरोधा के राजनीतिक सफर पर गौर करें तो संघ के स्वयं सेवक से लेकर सूबे के मुख्यमंत्री और राज्यपाल तक का सफर बेहद संघर्ष भरा रहा है। उन्होंने पद पर बने रहने के लिए कभी सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। इसी का परिणाम रहा कि अयोध्या में कार सेवकों पर गोली चलवाने से इंकार कर दिया।

विवादित ढांचे के विध्वंस की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद को ठोकर मार दी और कहा कि राम मंदिर के लिए एक नहीं सैकड़ों सत्ता कुर्बान हैं। हालांकि अयोध्या के निर्माणाधीन मंदिर में विराजमान रामलला के दर्शन करने की उनकी इच्छा अधूरी रह गई। 89 वर्ष की उम्र में 21 अगस्त 2021 की देर शाम बीमारी के चलते उनका लखनऊ में देहांत हो गया।
मूल रूप से जिले की अतरौली तहसील के गांव मढ़ौली गांव में एक साधारण किसान परिवार में जन्मे कल्याण सिंह प्रदेश की राजनीति के शिखर पर पहुंचे। बचपन से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखाओं में जाते थे। उच्च शिक्षा हासिल कर अतरौली के एक इंटर कॉलेज में अध्यापक बने। 1967 में पहली बार अतरौली से विधायक बने और 1980 तक लगातार जीते। आपताकाल में 21 महीने तक अलीगढ़ व बनारस की जेल में रहे। जनसंघ से भाजपा के गठन के बाद प्रदेश संगठन महामंत्री बनाए गए। इस दौरान गांव-गांव घूमकर भाजपा की जड़ें मजबूत कीं।

अब विशाल वट वृक्ष बन चुकी इस पार्टी को कल्याण सिंह व उनके सहयोगियों ने ही शुरुआती दिनों में सींचा था। जब देश में भाजपा का उभार हुआ तो 1991 में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो वे मुख्यमंत्री बने। कल्याण सिंह के साथ आपातकाल के दौरान जेल जा चुके राजेंद्र वार्ष्णेय चीफ कहते हैं कि बाबूजी ने प्रदेश में जनसंघ के बाद भाजपा को खड़ा करने में दिनरात एक किया। आज उसी का परिणाम है कि भाजपा यहां खड़ी है।जब बिके बाबू जी के पोस्टर

अयोध्या प्रकरण के बाद जब मुख्यमंत्री पद से उन्होंने इस्तीफा दिया तो उनके पोस्टर सौ सौ रुपये में बिकने लगे। शहर के अचल रोड के पुस्तक बाजार में उन फोटो की मांग पूरी नहीं हो पा रही थी।

मढ़ौली के बाहर आम के बाग से मिट्टी ले गए
कई राज्यों से लोग अलीगढ़ आए और उनके मढ़ौली गांव के बाहर आम के बाग से वहां की मिट्टी यह कहते हुए साथ ले गए कि इसी माटी के लाल ने कमाल कर दिखाया है।

रामलला से बात हुई है, नहीं गिरेगी एक भी बूंद
कंपनी बाग में  चुनावी रैली कल्याण सिंह को संबोधित करनी थी। बारिश हो रही थी। भीड़ छंटने लगी। इस पर बाबूजी ने आते ही नारा दिया चिंता मत करो, मेरी सीधे रामलला से बात हो गई हैं, अब जब तक कल्याण सिंह बोलेगा एक बूंद नहीं गिरेगी। बस फिर भीड़ थमना शुरू हो गई और बारिश भी थमने लगी।

मेरे लिए पूरा यूपी अलीगढ़ है
मुख्यमंत्री रहते कई बार नुमाइश मैदान में सभा व स्वागत कार्यक्रमों में कल्याण सिंह शामिल हुए। मंच पर जब वह मौजूद रहते तो कई बार लोग इस तरह का जिक्र छेड़ देते थे कि बाबूजी आप भी मुलायम सिंह यादव की तरह अपने जिले अलीगढ़ व अतरौली पर विशेष फोकस रखो। इस पर वह कहते कि मेरे लिए पूरा यूपी मेरा अलीगढ़ है। विकास सबका साथ होना चाहिए।

गांव वाले करते हैं फक्र
हालांकि कल्याण सिंह के परिवार के सदस्य अलीगढ़ या लखनऊ रहते हैं। जरूरत पर गांव आते जाते हैं। कल्याण सिंह की पत्नी अभी जीवित हैं, मगर अब स्वास्थ्य खराब होने के कारण वे कम ही गांव में रहती हैं। मगर गांव के लोग आज भी कल्याण सिंह पर फक्र करते हैं। बृहस्पतिवार को गांव में व शहर में जगह जगह कार्यक्रम आयोजित किए जाने की तैयारी चल रही है। लोग विभिन्न जगहों पर कार्यक्रम आयोजित करेंगे।

जब किराये की साइकिल लेकर चल पड़े बाबूजी

उनके करीबियों में शामिल रहे भाजपा के राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने यह किस्सा कई बार कई मंच पर सुनाया है। 1980 के बाद से लंबे समय तक अलीगढ़-आगरा विभाग के भाजपा के संगठन मंत्री रहे हरनाथ सिंह यादव बताते हैं कि 1980 में जब पार्टी यूपी में हारी हो हमारी हालत बेहद कमजोर थी। मुझे अलीगढ़-आगरा विभाग की जिम्मेदारी दी गई। उस समय कल्याण सिंह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे। उन्होंने गांव-गांव जाकर पार्टी को खड़ा करने का काम किया। उन्होंने ‘गांव खुशहाल तो देश खुशहाल’ और ‘एक बूथ, दस यूथ’ का नारा देकर पार्टी को खड़ा करना शुरू किया।

इस दौरान हमें हाथरस के गांव महौ में एक कार्यकर्ता सम्मेलन में जाना था। पैसेंजर ट्रेन छूटने के कारण बस से हम लोग हाथरस गए। वहां से हाथरस जंक्शन पहुंचे। इसी बीच एक रुपये में पूरे दिन के लिए साइकिल किराये पर ली और उसपर महौ के लिए चल पड़े । साइकिल बाबूजी (कल्याण सिंह) चला रहे थे और मैं डंडे पर बैठा था। इसी बीच करीब तीन किमी चलने पर साइकिल की कैंची टूट गई। इस दौरान हम दोनों गिर पड़े। किसी तरह पैदल महौ पहुंचे और वहां कार्यक्रम में शामिल हुए।

जब अपने शिक्षक मित्र को पत्र लिख किया था सावधान
कल्याण सिंह के करीबी केएमवी इंटर कॉलेज में अंग्रेजी के प्रवक्ता रहे डीएस लोधी उनके जन्मदिन को लेकर हुई बातचीत में एक किस्सा याद कर बताते हैं कि वर्ष 1980 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अतरौली आए और मढ़ौली में रुके थे। तब कल्याण सिंह ने डीएस लोधी को बुलाया और अटल जी की लिखी कविता- ‘अटल चुनौती अखिल विश्व को बुरा भला चाहे जो माने, खड़े हुए हैं राष्ट्रधर्म पर सीना ताने’ पढ़वाई। वह बताते हैं कि 1991 में अपहरण की काफी घटनाएं हो रहीं थीं। तभी कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने थे।

डीएस लोधी को अतरौली से ट्यूशन पढ़ाकर घर पहुंचने में रात के  9-10 बज जाते थे। तब कल्याण सिंह ने उन्हें पत्र लिखा था कि फिलहाल जल्दी घर पहुंच जाया करो। कुछ दिन में कानून का राज हो जाएगा। फिर कोई डर नहीं रहेगा। इसके बाद ऐसा ही हुआ, अतरौली में जगह-जगह गश्त होने लगी और धीरे-धीरे नामी अपहर्ता जेल के अंदर ठूंस दिए गए। तब जाकर लोगों को अपहरण के डर से सुकून मिला था। कल्याण सिंह केएमवी इंटर कॉलेज में छात्र रहे थे। केएमवी में कल्याण सिंह कई बार आए और निर्माण के लिए काफी धन भी दिया।

बेटियों को देते थे विदाई, दही और उड़द की दाल थी पसंद

डीएस लोधी बताते हैं कि कल्याण सिंह को उड़द की दाल बहुत पसंद थी। जब भी वह किसी करीबी के घर जाते तो तेज लहसुन के तड़के संग दाल बनती थी। पानी के हाथ की रोटी उड़द की दाल के साथ बेहद पसंद करते थे। इसके अलावा, मेथी पालक का साग भी उनका बेहद पसंदीदा था। दही खाने के बेहद शौकीन थे। वह गांव की बेटियों को रुपये देकर विदा करना कभी नहीं भूलते थे। जब भी कोई कोई बहन बेटी उन्हें मिली तो उसे विदा जरूर देते थे।

भाजपा-कल्याण की दूरी पर दोनों को हुआ था नुकसान
अपनी राजनीतिक समझ के दम पर कल्याण सिंह 1996 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। इस दौरान 1999 में मतभेद होने पर भाजपा को छोड़कर राष्ट्रीय क्रांति पार्टी का गठन किया। 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी की मौजूदगी में भाजपा में पुन: वापसी हुई। उसी वर्ष बुलंदशहर से जीतकर पहली बार संसद में पहुंचे। उचित सम्मान न मिलने से आहत कल्याण 2009 में दूसरी बार भाजपा छोड़ मुलायम सिंह यादव के करीब गए। इस बार एटा से निर्दलीय निर्वाचित होकर दूसरी बार सांसद बने। हालांकि बाद में मुसलमानों की नाराजगी की वजह से मुलायम सिंह यादव ने कल्याण सिंह से किनारा कर लिया।

तब कल्याण सिंह ने राष्ट्रीय जनक्रांति पार्टी का गठन कर 2012 के विधान सभा चुनाव लड़ा। राजेंद्र वार्ष्णेय चीफ कहते हैं कि पार्टी छोड़ने से कल्याण व भाजपा दोनों को नुकसान हुआ। 2013 में कल्याण सिंह की पुन: भाजपा में वापसी हुई। नरेंद्र मोदी के कहने पर 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में भाजपा का चुनाव प्रचार किया। भाजपा को लोकसभा की 80 में से 71 सीटों पर जीत हासिल हुई। बाद में उन्हें राजस्थान व हिमाचल का राज्यपाल तक बनाया।

नकल अध्यादेश लागू कराया

भाजपा संगठन में युवा नेता के रूप में सक्रिय सुनील पांडेय बताते हैं कि जब वह पहली बार मुख्यमंत्री बने तो नकल के मामले में बदनाम अतरौली को ध्यान में रखकर उन्होंने प्रदेश के तत्कालीन शिक्षा मंत्री के सहयोग से नकल अध्यादेश लागू कराया और वह दौर मॉडल के रूप में पेश हुआ। उनके समय में गुंडा बदमाश या तो प्रदेश छोड़ कर भाग गए थे या जेल में थे। वह कभी गलत लोगों की पैरवी पसंद नहीं करते थे। कहते थे कि इससे खुद मेरी व पार्टी की छवि खराब होती है।

अलीगढ़ में कल्याण सिंह के समय के कुछ प्रमुख कार्य

  • तालानगरी औद्योगिक क्षेत्र
  • पं. दीनदयाल उपाध्याय संयुक्त चिकित्सालय
  • आईटीआई
  • तहसील कोल
  • अहिल्याबाई होल्कर स्पोर्ट्स स्टेडियम
कल्याण सिंह का राजनीतिक सफरनामा
  • 1962 चुनाव लड़े, मगर हारे
  • 1967 पहली बार विधायक
  • 1969 दूसरी बार विधायक
  • 1974 तीसरी बार विधायक
  • 1975 माह जून से आपात काल के दौरान 1977 तक कारावास
  • 1977 चौथी बार विधायक प्रदेश में स्वास्थ्य मंत्री
  • 1980 का चुनाव अनवार खां से हार गए
  • 1985 पांचवीं बार विधायक, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष
  • 1989 छठवीं बार विधायक, भाजपा विधायक दल नेता
  • 1991 सातवीं बार विधायक, प्रदेश के मुख्यमंत्री बने
  • 1993 आठवीं बार विधायक, भाजपा विधायक दल नेता
  • 1996 नवमीं बार विधायक, मुख्यमंत्री व भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
  • 2000 अध्यक्ष राष्ट्रीय क्रांति पार्टी
  • 2004 भाजपा से सांसद बुलंदशहर संसदीय क्षेत्र
  • 2009 निर्दलीय सांसद एटा संसदीय क्षेत्र
  • 2014 में राजस्थान के राज्यपाल नियुक्त
  • 2021, 21 अगस्त की देर शाम देहांत

परंपरा के अनुसार जयंती आज लखनऊ में: राजवीर सिंह

स्व.कल्याण सिंह की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे उनके पुत्र एटा सांसद राजवीर सिंह राजू बताते हैं कि बाबूजी हमेशा अपना जन्म दिन लखनऊ आवास पर ही मनाते थे। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए हम परिवार के लोग भी उनके देहांत के बाद उन्हें जन्म दिन पर यहीं याद करते हैं। इस बार भी लखनऊ आवास पर हवन यज्ञ व प्रसाद का कार्यक्रम रखा है। जिसमें तमाम समर्थक शामिल होने आएंगे। पूर्व संध्या पर बुधवार को लखनऊ के बाबूजी के समर्थकों ने अनूप जलोटा की भजन संध्या आयोजित की थी। परिवार उसमें शामिल हुआ। वह आज भी हमारे साथ हैं, हम उनके आदर्शों पर आगे चल रहे हैं। मानव महाजन और देवराज सिंह लखनऊ पहुंच गए हैं