ईडी में नहीं चलेगा ‘स्पेशल 26’ का खेल, अब यूं पकड़े जाएंगे फर्जी समन से जबरन वसूली करने वाले ठग

नई दिल्ली । साल 2013 में हिंदी फिल्म ‘स्पेशल 26’ आई थी। बेईमान लोगों (कॉनमैन) की एक टीम सीबीआई अफसर बनकर राजनेताओं और कारोबारियों के ठिकानों पर दस्तक देते हैं। उन्हें लूटते हैं। वे लोग, ऐसी कई वारदातों को अंजाम देते हैं। पिछले कुछ वर्षों से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के नाम पर भी ऐसी ही घटनाएं देखने को मिली हैं। ईडी के नाम पर समन भेजकर जबरन वसूली के मामले सामने आए हैं। अब प्रवर्तन निदेशालय में ‘स्पेशल 26’ का खेल नहीं चलेगा। अगर किसी ने ईडी के फर्जी समन जारी कर जबरन वसूली करने का प्रयास किया तो वे तुरंत पकड़े जाएंगे। साथ ही ईडी ने अपने समन को लेकर एक जानकारी साझा की है, जिसके जरिए नकली और असली समन का पता लगाना आसान हो जाएगा।
बता दें कि जांच के दौरान, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) की धारा 50 (2) और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) की धारा 37 के प्रावधानों के तहत समन जारी किए जाते हैं। प्रवर्तन निदेशालय के संज्ञान में कई ऐसे मामले आए हैं जिनमें कुछ ‘बेईमान’ व्यक्तियों (कॉनमैन) ने धोखाधड़ी या जबरन वसूली के इरादे से व्यक्तियों को समन भेजे हैं। ये फर्जी समन अक्सर ईडी द्वारा जारी किए गए असली समन जैसे ही होते हैं। इसके चलते व्यक्तियों के लिए नकली और असली समन में अंतर करना मुश्किल होता है।
ईडी ने अब समन की प्रामाणिकता सत्यापित करने की सुविधा प्रारंभ की है। प्रवर्तन निदेशालय की नई प्रणाली के माध्यम से ही समन जारी किए जाएंगे। इस प्रणाली में समन के नीचे एक क्यूआर कोड और एक विशिष्ट पासकोड अंकित होगा। प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे कुछ असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर केवल इसी प्रणाली के माध्यम से समन जारी करें। यह भी ध्यान रखें कि इस प्रणाली से जारी समन पर, समन जारी करने वाले अधिकारी के हस्ताक्षर और मुहर लगी होगी। उसमें पत्राचार के लिए उसका आधिकारिक ईमेल आईडी और फोन नंबर भी अंकित होगा।
क्यूआर कोड स्कैन करके सत्यापन: क्यूआर कोड स्कैन करके सिस्टम द्वारा जनित समन की प्रामाणिकता का सत्यापन किया जा सकता है। जैसे ही कोई व्यक्ति समन पर छपे हुए क्यूआर कोड को स्कैन करेगा, वह यूजर को ईडी की आधिकारिक वेबसाइट पर ले जाएगा। इसके बाद समन पर जो पासकोड लिखा होगा, उसे वेबपेज पर डालना है। इसके लिए वेबपेज पर अलग से जगह बनाई गई है। डाली गई सभी जानकारी सही है यानी व्यक्ति या पार्टी का नाम, जिसे समन दिया गया है, संबंधित अधिकारी का नाम और पद, तिथि, ये सब स्क्रीन पर दिखाई देंगी। इससे समन की प्रामाणिकता का सत्यापन किया जा सकता है।
सिस्टम द्वारा जनरेट किए गए समन की प्रामाणिकता का सत्यापन समन जारी होने की तिथि के 24 घंटे बाद (सार्वजनिक अवकाश, शनिवार और रविवार को छोड़कर) किया जा सकता है। जो समन सिस्टम के माध्यम से जनरेट नहीं किए जा सके, उन्हें टेलीफोन या ईमेल द्वारा निर्दिष्ट संपर्क बिंदु से संपर्क करके सत्यापित किया जा सकता है।
इसके अलावा, यह देखा गया है कि घोटालेबाज डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर आम जनता को ईडी सहित कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा जारी किए गए फर्जी गिरफ्तारी आदेश दिखाकर और ईडी अधिकारी बनकर ठग रहे हैं। यह दोहराया जाता है कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की गई गिरफ्तारियां उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए और व्यक्तिगत रूप से की जाती हैं। धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के अंतर्गत डिजिटल गिरफ्तारी या आॅनलाइन गिरफ्तारी की कोई अवधारणा नहीं है। प्रवर्तन निदेशालय, धोखाधड़ी की प्रथाओं को समाप्त करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराता है। जनता को यह सलाह दी जाती है कि वे प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों का रूप धारण करने वाले धोखेबाजों के झांसे में न आएं।