शी जिनपिंग ने ट्रम्प के टैरिफ युद्ध के बावजूद भारत-चीन संबंध सुधारने के लिए गुप्त पत्र भेजा।

भारत और चीन के बीच सामंजस्य: एक नए युग की शुरुआत
अमेरिका के लिए सामरिक महत्व
भारत और चीन के बीच बढ़ती हुई सामंजस्य की प्रक्रिया के अमेरिका पर गहरे प्रभाव हैं। पिछले कुछ दशकों में, भारत को अमेरिका की प्राथमिकता के एक रूप में लाने का प्रयास किया गया है। इस सामंजस्य के अंतर्गत जो भी गतिशीलता विकसित हो रही है, वह निश्चित रूप से वैश्विक शक्ति संतुलन को प्रभावित करेगी।
शी जिनपिंग का पत्र
हाल के समय में, इस सामंजस्य की पहल चीन की तरफ से आई है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारतीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुरमू को एक पत्र भेजकर संबंधों में सुधार की इच्छा व्यक्त की है। पत्र में अमेरिका के साथ चल रहे व्यापार गतिरोध और उसके संभावित प्रभावों पर चिंता भी व्यक्त की गई। चीनी राष्ट्रपति का यह पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी भेजा गया था, ताकि भारतीय नेतृत्व को इस मुद्दे की गंभीरता का एहसास हो सके।
जून में शुरू हुए प्रयास
भारत और चीन के बीच सामंजस्य की प्रक्रिया ने पिछले जून से रफ्तार पकड़ी, जब मोदी सरकार ने चीन के साथ संबंध सुधारने के लिए गंभीर प्रयास किए। अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता के दौरान तनाव बढ़ता जा रहा था और भारत, पाकिस्तान के साथ संघर्ष के कारण भी परेशान था। यह समय भारत और चीन के बीच शांति बहाल करने का सबसे उचित समय था।
मोदी का चीन दौरा
अगस्त तक, भारत और चीन के बीच सामंजस्य की प्रक्रिया तेज हो गई। दोनों देशों ने पिछले कुछ वर्षों में चल रहे सीमा विवादों को निपटाने का फैसला किया। इस महत्त्वपूर्ण पहल के अंतर्गत, प्रधानमंत्री मोदी इस सप्ताह के अंत में सात साल में पहली बार चीन का दौरा करेंगे। यह यात्रा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का एक अवसर है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी संभावित गठबंधनों को आकार देने में सहायक हो सकती है।
अमेरिका का दृष्टिकोण
भारत और चीन के बीच विकसित हो रहे सामंजस्य का अमेरिका पर अनेक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। भारत को अपने पक्ष में लाने के लिए, अमेरिका ने कई बार आश्वासनों और समर्पण का प्रदर्शन किया, लेकिन ट्रम्प द्वारा भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लगाने से स्थिति बदल गई है। यह निर्णय मोदी सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
पूर्व राजनयिक का मूल्यांकन
अंतरराष्ट्रीय शांति के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले पूर्व अमेरिकी राजनयिक एशले टेलिस ने अमेरिकी राजनीति की व्याख्या करते हुए कहा कि “ट्रम्प वास्तव में एक महान शांति व्यवस्था हैं।” टेलिस ने यह भी जोड़ा कि उनका कार्य बल्कि एक दुश्मन के रूप में व्यवहार करके इस सामंजस्य को आकार देना था। उनका दृष्टिकोण भारत और चीन के बीच की वार्ता को एक नई दिशा देने के लिए प्रेरणादायक है।
निष्कर्ष
भारत और चीन के बीच समन्वय की इस प्रक्रिया को अमेरिका के लिए एक सकारात्मक लेकिन चुनौतीपूर्ण दिशा में देखना आवश्यक है। दोनों देशों का सामंजस्य केवल क्षेत्रीय शांति ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी संतुलन को प्रभावित करेगा। यह यात्रा और पत्राचार न केवल राजनीति के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि कैसे वैश्विक घटनाक्रमों से प्रभावित होकर देश अपनी रणनीतियों को पुनः निर्धारित कर रहे हैं।
यह सामंजस्य भारत और चीन के लिए नए अवसरों की खेती करेगा और इस प्रक्रिया में अमेरिका की भूमिका पर भी नज़र रखी जाएगी।