जलवायु परिवर्तन डेंगू को बढ़ने का अवसर प्रदान कर रहा है।

डेंगू का बढ़ता खतरा: एक चिंताजनक स्थिति
लखनऊ समाचार: पिछले कुछ वर्षों में डेंगू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, और यह अब केवल मानसून के मौसम तक सीमित नहीं रह गया है। पहले, डेंगू ज्यादातर जुलाई से अक्टूबर के बीच का मुद्दा था, लेकिन अब यह पूरे वर्ष भर देखने को मिल रहा है। इस बदलाव का कारण क्या है? क्यों मच्छरों की सक्रियता को रोकना कठिन होता जा रहा है? आइए इस पर चर्चा करते हैं।
मच्छरों की जीवनशैली में बदलाव
किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) में माइक्रोबायोलॉजिस्ट प्रो. शीतल वर्मा के अनुसार, एडीज मच्छरों को डेंगू फैलाने के लिए सबसे खतरनाक माना जाता है। ये एक बार में 100 से अधिक अंडे देते हैं, और उनकी अंडे जमीन की सतह पर होते हैं। शोधों से यह साबित हो चुका है कि एडीज मच्छरों के अंडे सूखने के बावजूद एक साल तक जीवित रह सकते हैं। जब भी थोड़ा पानी मिलता है, तो ये अंडे विकसित हो जाते हैं।
जलवायु परिवर्तन भी डेंगू वायरस के प्रसार में योगदान दे रहा है। गर्मी और आर्द्रता मच्छरों के बढ़ने के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाती है। बढ़ती शहरीकरण की प्रक्रिया में, नगरों में मच्छरों के प्रसार के लिए सुविधाजनक स्थिति पैदा हो रही है। इसके अलावा, खराब स्वच्छता और अपर्याप्त मच्छर नियंत्रण के कारण भी स्थिति और गंभीर हो गई है।
मिक्स स्ट्रेन की स्थिति
नेशनल डिजीज कंट्रोल सेंटर (NCDC) की रिपोर्टों के अनुसार, डेंगू के चार प्रमुख स्ट्रेन – डेन 1, डेन 2, डेन 3 और डेन 4 – अलग-अलग रोगियों में देखे जा चुके हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि 2021 में पहली बार डेंगू के मरीजों में मिक्स स्ट्रेन पाया गया, जिसमें 5.60% मरीज डेन 2 और डेन 4 से संक्रमित थे। हाल ही में 2023 में मिक्स स्ट्रेन का मामला बढ़ा है, जो लगभग 3.5 गुना अधिक मरीजों में देखा गया है। यह नया स्ट्रेन डेन 1 और डेन 3 का मिलाजुला परिणाम है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस नए स्ट्रेन का विकास चिंता का कारण हो सकता है। इसलिए, डेंगू रोगियों के मामलों की बारीकी से निगरानी जरूरी है। विभिन्न क्षेत्रों में डेंगू वायरस के प्रकार की पहचान करने से हम बेहतर तरीके से प्रबंधन करने में सक्षम होंगे।
नई रणनीतियाँ और उपाय
किसी भी महामारी के फैलने पर रोकथाम के उपाय निहायत आवश्यक होते हैं। डेंगू के मामले में, एंटी-लार्वा का छिड़काव और फॉगिंग जैसी पारंपरिक विधियाँ अब पहले जैसी प्रभावी नहीं रही हैं। समस्या यह है कि मच्छरों को पूरी तरह से नियंत्रित नहीं किया जा रहा है। सीएमओ डॉ. एनबी सिंह ने बताया कि नगर निगम के साथ मिलकर मच्छरों को फलने-फूलने से रोकने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं, जैसे पानी की लॉगिंग को हटाना, एंटी-लार्वा का छिड़काव करना और लोगों को जागरूक करना।
चूंकि डेंगू पूरे वर्ष में जारी है, इसलिए नए अनुसंधानों और उपायों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इसके लिए हाल में एक नई रणनीति अपनाई जा रही है, जिससे अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं।
जलवायु परिवर्तन और डेंगू का संबंध
जलवायु परिवर्तन के कारण, मच्छरों को फलने-फूलने के लिए अनुकूल हालात मिल रहे हैं। इससे डेंगू का प्रभाव पूरे साल देखा जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह है कि लोगों को अपने आस-पास पानी जमा होने से रोकना चाहिए, ताकि मच्छरों के प्रजनन के लिए कोई जगह न हो।
सामुदायिक भागीदारी का महत्व
डेंगू रोकने के लिए सामुदायिक भागीदारी बहुत आवश्यक है। इसके लिए नागरिकों का सक्रिय सहयोग आवश्यक है। बगैर जन भागीदारी के, मच्छरों पर नियंत्रण पाकर डेंगू पर काबू पाना मुश्किल होगा। सभी को जागरूक होना चाहिए और अपने आस-पास के वातावरण को साफ-सुथरा रखने की कोशिश करनी चाहिए।
निष्कर्ष
डेंगू का बढ़ता खतरा निश्चित रूप से चिंताजनक है। बदलती जलवायु और मच्छरों के जीवन के अनुकूल स्थितियों के कारण, डेंगू के मामलों में वृद्धि हो रही है। हालांकि, सही उपाय और समुदाय के सहयोग से इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। इसलिए, जागरूक रहना और सक्रिय कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है। हर नागरिक को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इस जंग में भाग लेना होगा।
इसलिए, डेंगू की रोकथाम के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। स्वास्थ्य विभाग और समुदाय दोनों का समान रूप से सहयोग आवश्यक है, ताकि हम इस महामारी पर काबू पा सकें और स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकें।