आगरा

मलेरिया के बढ़ते मामलों के बीच मेडिकल कॉलेज में बुखार मरीजों की बैड की लंबी प्रतीक्षा।

सोमवार को मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन और बच्चों के वार्ड पूरी तरह से भरे हुए थे। नए मरीजों को भर्ती होने के लिए दोपहर तक बिस्तर खाली होने का इंतजार करना पड़ा। उस दिन दोपहर तक, मेडिसिन वार्ड में 80 रोगियों को भर्ती किया गया। इसके अलावा, संचारी रोग वार्ड में भी 40 से अधिक रोगियों को रखा गया। सुबह से ही बारिश के बावजूद, मेडिकल कॉलेज में बीमारों की लंबी कतार लगी हुई थी। रोगी पेपर रूम की आठ खिड़कियों पर लंबी लाइन में खड़े थे। दोपहर तक, मेडिकल कॉलेज में लगभग 3500 रोगियों ने फॉर्म भरे। इससे मेडिकल कॉलेज के भूतल से लेकर पहली, दूसरी और तीसरी मंजिल तक रोगियों की भीड़ हो गई थी।

भूतल पर ओपीडी और जांच नमूना कक्ष के सामने रोगियों की एक और लंबी लाइन थी। दूसरी मंजिल पर डिजिटल एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, पैथोलॉजी, स्किन, चाइल्ड डिजीज, ईएनटी और डेंटल विभाग के कमरे के सामने भी मरीजों की भीड़ थी। गर्भवती महिलाओं का एक समूह भी वहां था, बच्चे टीकाकरण के लिए आए हुए थे, और उनके माता-पिता दूसरी मंजिल पर मौजूद थे। तीसरी मंजिल पर, ऑपरेशन और वार्ड में भर्ती मरीजों की कुर्सियों पर बैठे हुए थे। सुबह 9 बजे से लेकर दोपहर तक, मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा विंग में रोगियों की भारी भीड़ देखी गई।

पांचवीं मंजिल पर मेडिसिन वार्ड के अंदर और बाहर भी मरीजों का जमावड़ा था। वार्ड में महिला-पुरुष रोगियों की संख्या 80 तक पहुँच गई थी। बच्चों के वार्ड में भी बीमारों की संख्या 40 से अधिक रही। इस स्थिति के कारण वार्ड में बिस्तर खाली नहीं थे। संचारी रोग वार्ड के सात बिस्तरों पर प्रशंसक की कोई व्यवस्था नहीं थी। पांचवीं मंजिल पर निर्मित संचारी रोग वार्ड में 20 बिस्तरों का एक सेट था। उस दिन 13 मलेरिया से सकारात्मक रोगियों को उपचार वार्ड में भर्ती कराया गया था। वार्ड में प्रशंसक की कमी के कारण नए रोगियों को भर्ती नहीं किया जा सका। दवा वार्ड में नए मलेरिया रोगियों का उपचार दोपहर के बाद शुरू हुआ। लगातार बुखार के रोगियों की जांच में मलेरिया के सकारात्मक रोगियों को भर्ती किया जा रहा था।

इसी दिन, गार्ड को मेडिकल कॉलेज के गेट पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए नियुक्त किया गया था। दोपहर में, पेपर रूम की लाइन के कारण गेट पर मरीजों की भीड़ को नियंत्रित करने में गार्ड को बहुत संघर्ष करना पड़ा। इस बीच, एक गार्ड को एक टाइमर द्वारा चुनौती दी गई, जिससे हाथापाई भी हुई। पुलिस गार्ड को सूचना मिली और स्थिति को संभालने के लिए पहुँच गई।

ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक दिखाई दी। अस्पताल में बढ़ते मरीजों की संख्या के कारण अतिरिक्त संसाधनों की जरूरत महसूस हो रही थी। तापमान, आर्द्रता और भीड़भाड़ के कारण, मरीजों के इलाज में देरी हो रही थी, जिसके चलते अस्पताल प्रशासन को नए प्रबंधों पर विचार करना पड़ेगा।

भविष्य में, अस्पताल को ऐसे मामलों से निपटने के लिए योजना बनानी होगी। मरीजों की बेहतर देखभाल के लिए तकनीकी सुधारों की आवश्यकता होगी। चाहे वह बेड की अधिक संख्या हो या सेवा देने वाले स्टाफ की वृद्धि, सभी पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

अस्पताल का स्टाफ भी इस भीड़ से परेशान था। डॉक्टरों और नर्सों की टीमों को अधिकतम संख्या में मरीजों को संभालने की तैयारी करनी पड़ रही थी। उनकी मेहनत और समर्पण ने इन कठिन हालातों में भी प्रभावी तरीके से काम करने में मदद की। मरीजों को सही समय पर उपचार मिल सके, इसके लिए सभी स्तर पर सहयोग और समर्पण की आवश्यकता थी।

मेडिकल कॉलेज में यह माहौल केवल इस दिन का नहीं था। यह एक निरंतर चुनौती बन चुका था जो हर दिन समुदाय को प्रभावित कर रहा था। स्वास्थ्य मंत्रालय को अस्पतालों की बुनियादी ढांचे और संसाधनों को स्थायी रूप से मजबूत करने के लिए योजना बनानी चाहिए। मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता और स्वास्थ्य सेवा में समानता सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

इस अंतर्विरोधी स्थिति में सभी स्तरों पर सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है। मरीजों की बढ़ती संख्या, बीमारियों की नई लहर और संसाधनों की कमी की स्थिति में, हमें अपने स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाना होगा। यह केवल एक चुनौती नहीं, बल्कि अवसर भी है कि हम अपनी स्वास्थ्य प्रणालियों में आवश्यक सुधार करें।

स्वास्थ्य क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए शिक्षा और जागरूकता बढ़ाना भी महत्वपूर्ण है। समुदाय में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना, रोगों की रोकथाम के उपायों को अपनाना और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को सशक्त बनाना जरूरी है। सही समय पर चिकित्सा सहायता प्राप्त करना न केवल मरीजों के जीवन को बचा सकता है, बल्कि समुदाय में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को भी कम कर सकता है।

इस घातक स्थिति का मुकाबला करने के लिए हमें सभी संबंधित प्राधिकरणों को जोड़ने की आवश्यकता है। न केवल सरकारी स्वास्थ्य एजेंसियों, बल्कि नॉन-गवर्नमेंटल संगठनों, निजी अस्पतालों और चिकित्सा अनुसंधान संस्थानों को भी इस समस्या के समाधान के लिए एक साथ आने की आवश्यकता है।

सभी को मिलकर काम करने की ज़रूरत है। अगर हम सभी मिलकर काम करेंगे, तो हम न केवल मौजूदा स्वास्थ्य संकट का सामना कर सकेंगे, बल्कि भविष्य में ऐसी समस्याओं से भी बच सकते हैं। इस दिशा में उठाए गए कदम न केवल आज के बल्कि आने वाले कल के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण हैं।

अंत में, यह समझना आवश्यक है कि स्वास्थ्य केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक ताना-बाना का एक प्रमुख हिस्सा है। बेहतर स्वास्थ्य प्रणाली का निर्माण करना और हर व्यक्ति को उचित स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना हम सभी की जिम्मेदारी है। यदि हम सामूहिक प्रयास करेंगे, तो निश्चित रूप से, एक स्वस्थ समाज का निर्माण किया जा सकता है।

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