पैकेटबंद खाद्य पदार्थों के अगले हिस्से में पोषण लेबल हो अनिवार्य, सुप्रीम कोर्ट का नियामक को निर्देश
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (ऋररअक) को पैक्ड खाद्य पदार्थों पर फ्रंट-आॅफ-पैक न्यूट्रिशन लेबल लागू करने का निर्देश दिया है। शिवसेना सांसद मिलिंद देवड़ा, जो संसद की अधीनस्थ विधायी समिति के अध्यक्ष भी हैं, ने यह जानकारी सोशल मीडिया एक्स पर साझा की।
एफएसएसएआई एक स्वायत्त निकाय है, जो भारत में खाद्य सुरक्षा और मानकों को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है। यह सुनिश्चित करता है कि देश में बेचे जाने वाले खाद्य पदार्थ सुरक्षित और स्वस्थ हैं।
फ्रंट-आॅफ-पैक पोषण लेबल, खाद्य पदार्थों के पैकेज के सामने की तरफ दी गई जानकारी है, जो उपभोक्ताओं को यह समझने में मदद करती है कि कोई उत्पाद कितना स्वस्थ है। यह जानकारी अक्सर एक सरल, संक्षिप्त और ग्राफिक प्रारूप में प्रस्तुत की जाती है, जैसे कि रंग-कोडित प्रणाली या प्रतीक।
देवड़ा ने लिखा कि मैंने सिंगापुर की स्पष्ट ए-टू-डी न्यूट्री-ग्रेड प्रणाली का अध्ययन करने की सिफारिश की है। देवड़ा की पोस्ट के अनुसार इस कदम से एफएसएसआई को बिना किसी देरी के अनुपालन करने और भारतीय उपभोक्ताओं को स्वस्थ विकल्प चुनने के लिए सशक्त बनाने में मदद मिलेगी। इससे देश में बढ़ते मोटापे के संकट को रोका जा सकेगा। ए-टू-डी न्यूट्री-ग्रेड प्रणाली खाद्य पदार्थों में, एक ग्रेडिंग प्रणाली है जो खाद्य पदार्थों को उनके पोषण मूल्य के आधार पर वगीर्कृत करती है। यह प्रणाली खाद्य पदार्थों को अ (सबसे अच्छा) से ऊ (सबसे खराब) तक के ग्रेड में विभाजित करती है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में विभिन्न स्थानों पर स्वस्थ आहार संबंधी आदतों को बढ़ावा देने के लिए चीनी और तेल बोर्ड बनाने का प्रस्ताव दिया है। मंत्रालय के प्रस्ताव के अनुसार, ये बोर्ड स्कूलों, दफ्तरों और सार्वजनिक संस्थानों में दृश्यात्मक व्यवहारिक संकेतों के रूप में काम करेंगे। इन पर रोजमर्रा के खाद्य पदार्थों में छिपे वसा और शक्कर की महत्वपूर्ण जानकारी प्रदर्शित की जाएगी।
सोमवार को देवड़ा ने कहा कि भारत को बढ़ते मोटापे की समस्या से निपटने के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा बेचे जाने वाले अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों के साथ-साथ जलेबी और समोसे जैसे भारतीय स्नैक्स पर भी नियंत्रण रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह कदम कार्यस्थलों में स्थायी व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम के तहत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रमुख पहल का हिस्सा है। इनमें तेल और चीनी के अत्यधिक सेवन को कम करना शामिल है, जो मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और अन्य जीवनशैली संबंधी विकारों की बढ़ती दरों में प्रमुख योगदानकर्ता हैं।