
नई दिल्ली । मेड इन इंडिया आईफोन की डंका पूरी दुनिया में बज रहा है। यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी टेंशन हैं लेकिन अब चीन को भी यह रास नहीं आ रहा है। एपल की भारत में आईफोन निर्माण को बढ़ाने की योजना को बड़ा झटका लग सकता है। फॉक्सकॉन ने भारत स्थित अपने आईफोन प्लांट्स से सैकड़ों चीनी इंजीनियरों और तकनीशियनों को वापस बुला लिया है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण भारत में स्थित फॉक्सकॉन के आईफोन प्लांट्स में तैनात ज्यादातर चीनी कर्मचारियों को दो महीने पहले ही लौटने को कहा गया था। अब तक 300 से अधिक चीनी कर्मचारी भारत छोड़ चुके हैं। वर्तमान में ताइवानी सपोर्ट स्टाफ से फैक्ट्री संचालन संभाला जा रहा है।
दक्षिण भारत में स्थित फॉक्सकॉन का प्लांट भारत में बने ज्यादातर आईफोन असेंबल करता है। टाटा ग्रुप की इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण शाखा, जिसने विस्ट्रॉन का अधिग्रहण किया है और पेगाट्रॉन का संचालन भी करती है, एपल की एक अन्य प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन चुकी है।
फॉक्सकॉन या एपल की तरफ से इस फैसले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन बताया गया है कि इस साल की शुरूआत में चीन के अधिकारियों ने अपने नियामक एजेंसियों और स्थानीय सरकारों को भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया को तकनीकी ट्रांसफर और उपकरणों के निर्यात पर रोक लगाने के लिए कहा था।
इसका उद्देश्य शायद चीन से बाहर उत्पादन का शिफ्ट होना रोकना हो। एपल के सीईओ टिम कुक पहले ही चीनी असेंबली वर्कर्स की कुशलता और विशेषज्ञता की सराहना कर चुके हैं, जिसे चीन में उत्पादन की बड़ी वजह बताया गया था।
सूत्रों के अनुसार, चीनी कर्मचारियों की वापसी से स्थानीय कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने और निर्माण तकनीक ट्रांसफर में देरी हो सकती है। इससे निर्माण लागत बढ़ने की आशंका भी जताई जा रही है। एक सूत्र ने बताया, इस बदलाव से भारत में उत्पादन की गुणवत्ता पर असर नहीं पड़ेगा, लेकिन असेंबली लाइन की दक्षता जरूर प्रभावित हो सकती है।
यह घटनाक्रम ऐसे समय पर सामने आया है जब एपल अगले साल से अमेरिका में बिकने वाले सभी आईफोन की असेंबली भारत में करने की योजना बना रहा है। फिलहाल, एपल का कोई भी स्मार्टफोन अमेरिका में नहीं बनता। ज्यादातर आईफोन चीन में बनते हैं, जबकि भारत में सालाना लगभग 4 करोड़ यूनिट (कुल वैश्विक उत्पादन का 15%) तैयार होते हैं।




