जजों के लिए तय होगी नई आचार संहिता, संसदीय समिति बैठक में न्यायपालिका की निष्पक्षता पर होगी चर्चा
नई दिल्ली । सरकार निकट भविष्य में न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता कायम रखने पर अहम फैसला कर सकती है। दरअसल संसद की विधि एवं न्याय संबंधी स्थायी समिति की 24 जून को होने वाली अहम बैठक में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों के लिए आचार संहिता तय करने और जजों की सेवानिवृत्ति के बाद आयोग, ट्रिब्यूनल सहित अन्य सांविधानिक पदों पर नियुक्ति के संबंध में नई आचार संहिता जारी करने पर चर्चा होनी है।
बैठक ऐसे समय में हो रही है जब नकदी कांड मामले में सरकार 21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है, जबकि हेट स्पीच मामले में विपक्ष दूसरे न्यायाधीश जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की मांग कर रहा है। पूर्व नौकरशाह और राज्यसभा सांसद बृजलाल की अध्यक्षता वाली इस 31 सदस्यीय समिति की बैठक में सरकार का पक्ष रखने के लिए विधि सचिव को बुलाया गया है।
बैठक में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली पर भी चर्चा होगी। इस सिस्टम के तहत दोनों अदालतों में जजों की नियुक्ति का अधिकार जजों की ही पास है। इसपर कई वर्षों से सवाल उठ रहे हैं। इस स्थिति में बदलाव के लिए सरकार ने साल 2015 में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) विधेयक पारित किया था।
समिति की योजना इस संदर्भ में सरकार को अहम सिफारिश करने की है। समिति के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में यह तय हो सकता है कि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के कोई जज सेवानिवृत्त होते ही एक तय समय तक सरकार की ओर से प्रस्तावित पद स्वीकार नहीं कर सकते हैं। वर्तमान में सेवानिवृत्ति के तत्काल बाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों को आयोग, ट्रिब्यूनल या सांविधानिक पदों पर नियुक्ति की परंपरा शुरू हुई है।