पाकिस्तान ने अफगानों को अचानक देश छोड़ने का आदेश दिया, 45 मिनट में समेटना पड़ा सामान
तोरखम। पाकिस्तान में रह रहे अफगानों को अचानक एक आदेश मिला। आदेश बहुत साफ और स्पष्ट था- आपको अपना सामान पैक करने और पाकिस्तान हमेशा के लिए छोड़ने के लिए सिर्फ 45 मिनट मिलेंगे। इस आदेश के बाद पाकिस्तान में रह रहे अफगानों जैसे दुनिया ही पलट गई।
पाकिस्तान में रहने वाले 42 वर्षीय शेर खान ने बताया कि वह वहां एक ईंट भट्ठे पर काम करता था। जब वह काम से घर लौटा, तो दरवाजे पर सादे कपड़ों में पुलिस कर्मी खड़े थे। उन्हें देखकर वह सोच में पड़ गया। उसे बताया गया कि 45 मिनट में पाकिस्तान छोड़ने का आदेश है। यह सुनते ही उसकी दुनिया पलट गई। उसने और उसकी पत्नी ने अपने नौ बच्चों के लिए रसोई का कुछ सामान और कपड़े समेट लिए, बाकी सबकुछ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में अपने घर पर छोड़ दिया। खान का जन्म पाकिस्तान में हुआ था। वह उन लाखों अफगानों में से एक हैं, जिन्हें अब निष्कासित कर दिया गया है।
पाकिस्तान सरकार का कहना है कि देश में अवैध रूप से रह रहे विदेशियों पर कार्रवाई के लिए अक्तूबर 2023 में अभियान शुरू किया गया था। इस अभियान के तहत अब तक लगभग 10 लाख अफगान नागरिक पाकिस्तान छोड़ चुके हैं। पाकिस्तान का कहना है कि अब भी लाखों लोग वहां रह रहे हैं। वह चाहता है कि वे सभी लोग चले जाएं।
शेर खान अब अफगान सीमा के पार तोरखम में बने एक शरणार्थी शिविर में हैं। उन्होंने बताया कि हम अपना सारा सामान पीछे छोड़ आए। सालों से जो कुछ भी इज्जत के साथ कमाया था, वो सब वहीं रह गया। उन्होंने बताया कि हम सिर्फ कपड़े और कुछ जरूरी चीजें लेकर निकले। उन्हें डर था कि अगर वह देर करते हैं तो उनकी पत्नी और बच्चों को पुलिस पकड़ लेगी। उन्होंने कहा, ‘हमें खुशी है कि हम सम्मान के साथ अफगानिस्तान वापस आए। जो सामान पीछे रह गया, उसकी देखभाल भी ऊपर वाला करेगा।’
इस साल की शुरूआत में पाकिस्तान ने अफगानों को देश छोड़ने के लिए कुछ समय सीमाएं तय की थीं। इस्लामाबाद और रावलपिंडी में रहने वाले अफगानों को 31 मार्च तक जाना था। पंजीकृत लोगों को 30 जून तक रहने की इजाजत थी, लेकिन पाकिस्तान के बाकी हिस्सों में रहने वालों के लिए कोई तारीख नहीं तय की गई थी।
अफगानिस्तान की तालिबान सरकार द्वारा चलाए जा रहे तोरखम शिविर में हर परिवार को एक सिम कार्ड और 10,000 अफगानी (लगभग 145 डॉलर) की मदद दी जाती है। परिवार वहां तीन दिन रुक सकते हैं। शिविर के अधिकारी मोलवी हाशिम मैवंडवाल ने बताया कि अब हर दिन लगभग 150 परिवार आ रहे हैं, जबकि दो महीने पहले यह संख्या 1,200 थी। उन्होंने उम्मीद जताई कि ईद अल-अजहा के बाद फिर से बड़ी संख्या में लोग आएंगे। शिविर में कई सहायता संगठन स्वास्थ्य सेवाएं, खाना और जरूरी सामान दे रहे हैं। असील नाम की संस्था साफ-सफाई किट और खाने की मदद करती है।