पनवारी कांड में 34 साल बाद 5-5 साल की सजा

आगरा कोर्ट ने 35 दोषियों को सजा सुनाई; दलित दूल्हे की घुड़चढ़ी पर हुआ था बवाल
आगरा। आगरा के चर्चित पनवारी कांड में कोर्ट ने 34 साल बाद 35 लोगों को 5 साल की सजा सुनाई। 41-41 हजार रुपए जुमार्ना भी लगाया। शुक्रवार को फैसला सुनाने के दौरान कोर्ट में 32 आरोपी मौजूद थे, जबकि 3 लोग गैर-हाजिर थे। जिन्हें कोर्ट ने ठइह जारी किया।
पुलिस को तीनों दोषियों को जल्द कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए। रउ-रळ कोर्ट ने 28 मई को 35 लोगों को दोषी माना था। इसमें 15 आरोपियों को बेनिफिट आॅफ डाउट देते हुए बरी कर दिया था।
34 साल पहले जाट समुदाय के लोगों ने एक दलित दूल्हे को घोड़ी पर चढ़ने नहीं दिया था। इसके बाद हिंसा भड़क गई थी, जिसमें एक महिला की मौत हो गई थी, जबकि 150 लोग घायल हो गए थे।
इसके बाद पनवारी गांव में 10 दिन तक कर्फ्यू लगा रहा। पुलिस के साथ-साथ सेना भी तैनात की गई थी। हिंसा के बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और सोनिया गांधी इस मामले को लेकर आगरा आए थे।
मामला साल 1990 का है। पनवारी गांव के रहने वाले चोखेलाल जाटव की बेटी मुंद्रा की 21 जून को शादी थी। बारात पहुंची तो जाट समाज के लोगों ने दूल्हे को घोड़ी पर चढ़ने का विरोध किया था।
इस बात को लेकर गांव में तनातनी हो गई। विवाद ने जातीय हिंसा का रूप ले लिया। दूसरे दिन यानी 22 जून को पुलिस ने अपनी मौजूदगी में दूल्हे की घुड़चढ़ी करवाई, लेकिन 5-6 हजार लोगों की भीड़ ने बारात को फिर घेर लिया।
दूल्हे को घोड़ी चढ़ने से रोकने लगे। पुलिस ने भीड़ को हटाने के लिए लाठीचार्ज कर दिया। इससे बवाल और बढ़ गया। आक्रोशित लोगों ने दूसरे पक्ष पर लाठी-डंडों से हमला बोल दिया और फायरिंग शुरू कर दी। जिसमें सोनी राम जाट की मौत हो गई थी।
24 जून को फिर दंगा भड़क गया। जाट और जाटव समाज के लोग आमने-सामने हो गए। इसमें एक महिला की मौत हो गई, जबकि 150 से अधिक लोग घायल हो गए। करीब 10 दिन तक कर्फ्यू लगा था। पुलिस के साथ सेना भी लगाई गई थी।
22 जून 1990 को सिकंदरा थाने में तत्कालीन थाना प्रभारी ने 6 हजार अज्ञात लोगों के खिलाफ बलवा, जानलेवा हमला, एसएसी-एसटी एक्ट, लोक व्यवस्था भंग करने व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। मगर, घटनास्थल से किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई थी। इस मामले में विधायक चौधरी बाबूलाल भी आरोपी थे। जो 2022 में बरी हो गए थे।