H3N2 का प्रकोप: बच्चों में गंभीर रोग का खतरा अधिक, स्वास्थ्य विभाग ने जारी की गाइडलाइंस- न लें एंटीबायोटिक
देशभर में इन दिनों इन्फ्लुएंजा-ए वायरस के सबटाइप H3N2 के संक्रमण का प्रकोप देखा जा रहा है। महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, ओडिशा और दिल्ली सहित कई राज्यों में वायरल संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। इन्फ्लुएंजा का यह वैरिएंट गंभीर रोगों का कारण बन रहा है, कुछ संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती कराने की भी जरूरत हो रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसके गंभीर रोग को घातक भी मान रहे हैं। इस तरह के बढ़ते खतरे को ध्यान में रखते हुए सभी लोगों को बचाव के लिए पर्याप्त उपाय करने की सलाह दी जा रही है।
हालिया रिपोर्ट्स में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि H3N2 का सबसे ज्यादा असर बच्चों में देखा जा रहा है। 5 साल से कम आयु वाले बच्चों में गंभीर रोग और अस्पताल में भर्ती होने का भी जोखिम है। गौरतलब है कि H3N2 के साथ कई राज्यों में H1N1 के मामलों में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है।
आइए जानते हैं कि देश में बढ़ते वायरल संक्रमण से बचाव के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने क्या सुझाव दिए हैं?
मार्च के अंत तक कंट्रोल हो सकती है स्थिति
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक रिपोर्ट को कहा कि एच3एन2 समेत मौसमी इन्फ्लूएंजा से पैदा होने वाली बीमारियों में मार्च के अंत से कमी आने की उम्मीद है। हालांकि तब तक सभी लोगों के इससे बचाव को लेकर विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है। देश में इस समय कोरोना संक्रमण के मामले भी दर्ज किए जा रहे हैं, जिसके कई लक्षण एच3एन2 से मिलते-जुलते हो सकते हैं।
पर भी गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। आइए जानते हैं कि बच्चों में एच3एन2 किस प्रकार की समस्याओं का कारण बन रहा है?
5 साल से कम आयु वालों में गंभीर रोग का खतरा
बातचीत में श्वसन रोगों के डॉक्टर अरविंद वशिष्ठ कहते हैं, बच्चों में एच3एन2 संक्रमण का प्रभाव अधिक देखा जा रहा है। संक्रमित बच्चों में तेज बुखार के साथ नाक बहने, सांस की दिक्कत देखी जा रही है। पांच साल से कम आयु वालों में इन लक्षणों के गंभीर रूप लेने का जोखिम भी अधिक देखा जा रहा है, कुछ स्थितियों में आईसीयू में भर्ती करने की भी जरूरत हो सकती है।
इन्फ्लुएंजा का यह वैरिएंट गंभीर रोग का कारण बन रहा है, बच्चों के साथ-साथ बुजुर्गों और कोमोरबिडिटी वाले लोगों को इससे विशेष बचाव की आवश्यकता है।
डॉक्टर अरविंद कहते हैं, इन्फ्लूएंजा के ज्यादातर मामले सामान्य दवाइयों और आराम के माध्मय से ठीक हो जा रहे हैं, पर डॉक्टर की सलाह पर ही दवाइयों का सेवन करना उचित है। कई लोग खुद से ही एंटीबायोटिक लेना शुरू कर देते हैं, जबकि एंटीबायोटिक्स H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस के खिलाफ काम नहीं करते हैं। डॉक्टरों ने माता-पिता को सलाह दी है कि वे बच्चों को खुद से एंटीबायोटिक्स न दें। अगर आपको लक्षण दिख रहे हैं तो डॉक्टर से संपर्क करके उनके द्वारा बताई गई दवाइयों का ही सेवन करें।
- खांसते-छींकते समय अपनी नाक-मुंह को अच्छी तरह से ढक लें।
- हाथों को नियमित रूप से पानी और साबुन से धोएं।
- फेस मास्क पहनें और भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें।
- अपनी नाक और मुंह को छूने से बचें।
- शरीर को हाइड्रेटेड रखें और तरल पदार्थों का सेवन करें।
- बुखार और बदन दर्द होने पर पैरासिटामोल ले सकते हैं।