खेल समाचार

Budget 2023: विकास के राजमार्ग पर, मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट पेश

चुनावी मजबूरियां- वर्ष 2024 के चुनावों में सत्तारूढ़ पार्टी के सत्ता में बने रहने की खातिर अपने 400-दिवसीय अभियान की शुरुआत करने के लिए यह बजट एक महत्वपूर्ण आधार होगा। लेकिन लगता है कि मोदी सरकार की उच्च लोकप्रियता ने बजट को वित्तीय सीमा के भीतर रहने दिया है। केंद्र सरकार का सब्सिडी का बोझ वित्त वर्ष 2024 में कम हो जाएगा, रोजगार, समर्थन मूल्य, ग्रामीण आवास, और कनेक्टिविटी सहित अन्य ग्रामीण योजनाओं के लिए फिर से धन आवंटित करने की जगह बनेगी। ग्रामीण कल्याण और खपत- यह देखते हुए कि ज्यादातर मतदाता अब भी ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, इसलिए खाद्यान्न एवं उर्वरक सब्सिडी, न्यूनतम रोजगार गारंटी, आसान शर्तों पर बैंक ऋण, आवास, स्वास्थ्य सेवा, फसल बीमा और ग्रामीण आबादी को सीधे धन हस्तांतरण जैसे कल्याणकारी उपायों पर बहुत ज्यादा जोर दिया गया है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर- इन्फ्रास्ट्रक्चर का अर्थव्यवस्था पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है। बजट में पूंजीगत व्यय के लिए रिकॉर्ड दस लाख करोड़ रुपये आवंटित करके सड़कों, रेलवे, जलमार्गों, बंदरगाहों, हवाई अड्डों और लॉजिस्टिक की विभिन्न योजनाओं के लिए एक विशाल कोष बनाया है। इसका मतलब यह है कि खर्च की गुणवत्ता पर फोकस है, जो लंबी अवधि में अर्थव्यवस्था की उत्पादक क्षमता को बढ़ाएगा। रेलवे- रेलवे के लिए बजटीय आवंटन को बढ़ाकर करीब 24 खरब रुपये कर दिया गया है। नई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों और स्लीपर बर्थ सुविधा के साथ वंदे भारत 2.0 को बनाने पर जोर दिया जा सकता है। अधिक यात्री सुविधाएं, अधिक मेट्रो नेटवर्क विस्तार और अधिक लॉजिस्टिक निवेश की भी उम्मीद है।

राजकोषीय घाटा-केंद्र और राज्य सरकारों का मौजूदा संयुक्त राजकोषीय घाटा जीडीपी का अनुमानित 9.6 फीसदी है। इसमें से, केंद्रीय राजकोषीय घाटा 2020-21 में 9.2 फीसदी से घटकर वित्त वर्ष 2023 में 6.4 फीसदी हो गया है। केंद्रीय राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.9 फीसदी तक कम करने का लक्ष्य स्वागतयोग्य है। वित्तीय वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को 4.5 फीसदी करने का लक्ष्य है। मध्यम अवधि के राजकोषीय समेकन के लिए सरकार की प्रतिबद्धता संस्थागत निवेशकों, विशेष रूप से विदेशी निवेशकों के लिए प्रमुख प्रेरक होगी।

सरकारी खर्च- सरकार का लक्ष्य वित्त वर्ष 2024 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.9 फीसदी तक रखना है, जो पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) और अन्य मौजूदा खर्चों को बनाए रखते हुए पूर्णतः सब्सिडी खर्च में कमी से होगा। पिछले चुनाव-पूर्व बजट में आमतौर पर बुनियादी ढांचे के लिए कैपेक्स आवंटन में वृद्धि देखी गई है। सरकार का ध्यान गरीबी उन्मूलन, आवास, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा जैसे कल्याणकारी उपायों के साथ-साथ ग्रामीण खर्च के लिए आवंटन पर है। अंतरराष्ट्रीय उर्वरक कीमतों में गिरावट और मुफ्त खाद्य कार्यक्रम के पुन: समायोजन से कम सब्सिडी बिल का लाभ मिलेगा। कुल मिलाकर, खर्च में मामूली वृद्धि होगी और कैपेक्स की हिस्सेदारी बढ़ने से खर्च की गुणवत्ता में सुधार होगा।

कर राजस्व, सरकारी उधार और मुद्रास्फीति – कर राजस्व में उछाल आया है। वित्त वर्ष 2020 में यह 200 खरब रुपये था, जो वित्त वर्ष 2022 में बढ़कर 270 खरब रुपये हो गया और वित्त वर्ष 2023 में 300 खरब रुपये होने का अनुमान है। हम मोटे तौर पर प्रत्यक्ष कर संग्रह और जीएसटी प्रवाह के कारण वित्त वर्ष 2023 में 21 खरब रुपये के अतिरिक्त कर राजस्व के संग्रह की उम्मीद करते हैं। पेट्रोल और डीजल पर शुल्क में कटौती के कारण केंद्रीय उत्पाद शुल्क का राजस्व कम होगा। व्यय के मामले अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में कुल खर्च बजट अनुमान से 23 खरब रुपये अधिक होगा, जो अतिरिक्त 33 खरब रुपये की पहली पूरक मांग के अनुमान से कम है। राजकोषीय घाटा 6.4 फीसदी के भीतर है।

छोटी बचत दरों में वृद्धि के साथ उच्च अंतर्वाह (इनफ्लो) के कारण इस वर्ष सरकारी उधारी में वृद्धि की उम्मीद नहीं है। वित्त वर्ष 2024 में बाजार से कुल सरकारी उधार 118 खरब रुपये होगा। मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक की निर्धारित ऊपरी सीमा छह फीसदी के भीतर रहेगी। वैश्विक मंदी से उत्पन्न किसी भी चुनौती से निपटने के लिए वित्त वर्ष 2024 की दूसरी छमाही में ब्याज दरों में कटौती शुरू हो सकती है। विनिवेश आय : पिछले वर्षों की तरह, विनिवेश आय बजटीय लक्ष्यों से कम रही है और चुनाव पूर्व वर्ष में निजीकरण के चलते किसी भी राजनीतिक विवाद से बचने के लिए इस पर खामोशी रहेगी। पूंजी बाजार का उपयोग मौजूदा हिस्सेदारी को बेचने और ओएफएस मार्ग के जरिये धन जुटाने के लिए किया जाएगा। वित्त वर्ष 2024 के लिए विनिवेश लक्ष्य को घटाकर 51,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

पीएलआई परियोजनाएं- मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, नवीकरणीय ऊर्जा और उसके लिए कर रियायत जारी रहेगी और इसे गति दी जाएगी। मध्यवर्ग को लाभ एवं कर रियायत-व्यक्तिगत कर दाताओं के लिए, नई कर व्यवस्था को अब आयकर स्लैब में बदलाव करके और सात लाख रुपये की आय में छूट में के साथ और अधिक आकर्षक बना दिया गया है। अधिकतम कर स्लैब को भी 42 फीसदी से घटाकर 39 फीसदी किया गया है। वरिष्ठ नागरिकों की जमा राशि स्तर को दोगुना कर दिया गया है। दो साल के लिए 7.5 प्रतिशत की निश्चित ब्याज दर के साथ अधिकतम दो लाख रुपये की ‘महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र’ की घोषणा की गई है। समग्र राजकोषीय सावधानी रखते हुए इस बजट ने एक चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल में विकास की
गति को बनाए रखते हुए चुनावी मजबूरियों के साथ सफल संतुलन बनाया है।

Related Articles

Back to top button