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एयर एंबुलेंस हादसा: कैप्टन ने बताया कैसे 15 सेकंड मे लिया खेत में लैंडिंग का फैसला
नई दिल्ली. पटना से दिल्ली आ रही एयर एंबुलेंस मंगलवार को नजफगढ़ के पास हादसे का शिकार हो गई। दोपहर 2.45 बजे एयरपोर्ट से सटे एक खेत में चार्टर्ड प्लेन की इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई। पायलट कैप्टन अमित कुमार ने सूझबूझ दिखाते हुए इमरजेंसी में प्लेन को खैर गांव के खेत में उतारा। कैप्टन अमित कुमार मूल रूप से झज्जर के हैं। अमित ने भास्कर के साथ बातचीत में बताया कि किस तरह से उन्होंने सात जिंदगियां बचाईं थी। रनवे से महज 5 मिनट दूर था प्लेन…
– अमित ने कहा कि पटना एयरपोर्ट से मंगलवार सुबह करीब 11.43 बजे एयर एम्बुलेंस बीच क्राफ्ट किंग एयर सी-90 से दिल्ली एयरपोर्ट के लिए रवाना हुआ था।
– ”मेरे साथ को-पॉयलट रोहित कुमार समेत बाकी पेसेंजर्स के साथ को-पॉयलट रोहित कुमार, डाॅ. रुपेश, टेक्नीशियन जंग बहादुर थे।”
– ”अब हम आईजीआई एयरपोर्ट के रन-वे 28-10 से महज दस मिनट की दूरी पर थे। करीब 12 हजार फीट की ऊंचाई पर एयर एम्बुलेंस के एक इंजन ने काम करना बंद कर दिया।”
– ”मैंने प्लेन की ऊंचाई कम करते हुए दिल्ली एयरपोर्ट के एयर ट्रैफिक कंट्रोल से इमरजेंसी लैंडिंग की मांग की, लेकिन इस प्रोसेस में समय लगता है।”
– ”हम करीब तीन हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंचे ही थे कि प्लेन के दूसरे इंजन ने भी काम करना बंद कर दिया। रन-वे अब हमसे महज 5 मिनट की दूरी पर था।”
– ”मैंने प्लेन की ऊंचाई कम करते हुए दिल्ली एयरपोर्ट के एयर ट्रैफिक कंट्रोल से इमरजेंसी लैंडिंग की मांग की, लेकिन इस प्रोसेस में समय लगता है।”
– ”हम करीब तीन हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंचे ही थे कि प्लेन के दूसरे इंजन ने भी काम करना बंद कर दिया। रन-वे अब हमसे महज 5 मिनट की दूरी पर था।”
डर था रिहाइशी इलाके में न गिरे
– कैप्टन अमित कुमार ने बताया, ”दोनों इंजन बंद होने पर मैं अब रन-वे तक पहुंचने का जोखिम नहीं उठा सकता था। कोई ऑप्शन नहीं था।”
– ”मुझे डर था कहीं विमान एयरपोर्ट के रिहायशी इलाके में गिर जाए। ऐसा होने पर हमारी जान तो जाती ही, साथ ही जाने कितने अन्य लोग भी मारे जाते।”
– ”चूंकि मैं झज्जर का रहने वाला हूं और कई सालों से दिल्ली के द्वारका इलाके में परिवार के साथ रहने के चलते एयरपोर्ट के पास रिहायशी इलाकों के बारे को जानता हूं।”
– ”इसके अलावा 5 साल का फ्लाइंग एक्सपीरियंस भी है। मेरे दिमाग में नजफगढ़ इलाके की खाली जमीन का ख्याल आया।”
– ”मैंने सभी लोगों को बताया कि हम खाली जगह पर इमरजेंसी लैंडिंग कर रहे हैं।”
– ”सड़क की चौड़ाई का सही अनुमान कर पाने से एयर एंबुलेंस सड़क छूते हुए खेतों में चली गई। कुछ दूर जाने पर एयर एम्बुलेंस रुक गई। सब को सेफ देखने के बाद मेरी जान में जान आई।”
– ”मुझे डर था कहीं विमान एयरपोर्ट के रिहायशी इलाके में गिर जाए। ऐसा होने पर हमारी जान तो जाती ही, साथ ही जाने कितने अन्य लोग भी मारे जाते।”
– ”चूंकि मैं झज्जर का रहने वाला हूं और कई सालों से दिल्ली के द्वारका इलाके में परिवार के साथ रहने के चलते एयरपोर्ट के पास रिहायशी इलाकों के बारे को जानता हूं।”
– ”इसके अलावा 5 साल का फ्लाइंग एक्सपीरियंस भी है। मेरे दिमाग में नजफगढ़ इलाके की खाली जमीन का ख्याल आया।”
– ”मैंने सभी लोगों को बताया कि हम खाली जगह पर इमरजेंसी लैंडिंग कर रहे हैं।”
– ”सड़क की चौड़ाई का सही अनुमान कर पाने से एयर एंबुलेंस सड़क छूते हुए खेतों में चली गई। कुछ दूर जाने पर एयर एम्बुलेंस रुक गई। सब को सेफ देखने के बाद मेरी जान में जान आई।”
केवल 15 सेकेंड में लिया फैसला
– अमित ने बताया- ”लैंड कराने का फैसला मैने सिर्फ 15 सेकेंड में लिया। मेरे दिमाग में सिर्फ दो ही चीजें चल रही थीं। पहला-जमीन पर लोगों को बचाना और दूसरा मेरी फैमली।”
– ”जब तक मैं घर नहीं पहुंच गया तब तक मेरे दोनों बच्चों, पत्नी और माता-पिता पर क्या बीती यह शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है।”
– ”यह हादसा भले ही मैं जिंदगी पर भूल पाऊं लेकिन, मैं दुबारा विमान फिर उड़ाऊंगा।”
– ”हर साल प्लेन क्रैश से ज्यादा लोगों की जान सड़क हादसों में जाती है। ऐसे में मैं डर कर अब घर में नहीं बैठ सकता हूं।”
– ”जब तक मैं घर नहीं पहुंच गया तब तक मेरे दोनों बच्चों, पत्नी और माता-पिता पर क्या बीती यह शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है।”
– ”यह हादसा भले ही मैं जिंदगी पर भूल पाऊं लेकिन, मैं दुबारा विमान फिर उड़ाऊंगा।”
– ”हर साल प्लेन क्रैश से ज्यादा लोगों की जान सड़क हादसों में जाती है। ऐसे में मैं डर कर अब घर में नहीं बैठ सकता हूं।”