अंतरराष्ट्रीय

अमेरिका में भी गहराया बैंकिंग संकट

डूब गया रिपब्लिक फर्स्ट बैंक, फुल्टन बैंक ने किया फुल टेकओवर
नई दिल्ली। एक ओर चीन में बैंकिंग से लेकर रियल एस्टेट संकट तक चरम पर है, तो वहीं अमेरिका के हाल भी बेहाल हैं। यहां भी बैंकिंग संकट गहराया हुआ है और इसका ताजा उदाहरण रिपब्लिक फर्स्ट बैंक बना है। ये साल 2024 का पहला अमेरिकी बैंक है, जो डूब गया है। इसके पहले बीते साल कई बैंक फेल हुए थे। रिपोर्ट के मुताबिक फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ने तमाम कमियों को उजागर करते हुए इसे सीज कर दिया है। अमेरिकी बैंकिंग सेक्टर के लिए इस साल की पहली सबसे बुरी खबर आई है। बीते शनिवार को फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉर्प ने कहा था कि अमेरिकी नियामकों ने रिपब्लिक फर्स्ट बैनकॉर्प को सीज कर दिया है और इसे फुल्टन बैंक को बेचने पर सहमति व्यक्त की है। पेन्सिलवेनिया, न्यू जर्सी और न्यू यॉर्क में काम करने वाले क्षेत्रीय बैंक के बार में एफडीआईसी ने बताया कि 31 जनवरी 2024 तक इस बैंक के पास 6 अरब डॉलर के एसेट्स और करीब 4 अरब डॉलर के डिपॉजिट्स थे। वहीं इस बैंक के फेल होने के बाद डिपॉजिट इंश्योरेंस फंड को करीब 667 मिलियन डॉलर को बोझ उठाना पड़ सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक इसके फेल होने के बाद इसका टेकओवर फुल्टन बैंक ने कर लिया है। उसने इस बैंक के सभी डिपॉजिट और एसेट्स को खरीद लिया है। यही नहीं, शनिवार से रिपब्लिक फर्स्ट बैंक की 32 ब्रांचेस को फुल्टन बैंक ब्रांच के नाम से खोल भी दिया गया है। इससे पहले सिटिजन बैंक, सिलिकॉन वैली और सिग्नेचर बैंक भी बंद किए जा चुके हैं, जो अमेरिका में गहराए बैंकिंग संकट के बड़े उदाहरण हैं। बीते साल 2023 में वॉल स्ट्रीट जरनल ने एक रिपोर्ट में कहा था कि रिपब्लिक फर्स्ट बैंक ने एक इन्वेस्टमेंट ग्रुप के साथ सौदा किया था, लेकिन यह कोशिश भी फरवरी 2024 तक बेकार हो गई।

पिछले साल से ही दिखने लगे थे संकेत
इस बैंक में बीते साल से ही संकट गहराने लगा था, जब बैंक नौकरियों में भारी कटौती करना शुरू कर दिया था। यही नहीं, मोर्टाज बिजनेस से बाहर निकल गया था। इसके पीछे का कारण उच्च लागत और प्रॉफिट में सुधार ना होना रहा था। बैंक के शेयर का भी साल 2024 आते-आते बुरा हाल हो गया था और बीते 26 अप्रैल को बैंक के एक शेयर की कीमत 2 डॉलर से गिरकर करीब 1 सेंट हो गई थी और इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन बी कम होकर 2 मिलियन डॉलर से कम रह गया था। इस तरह से बैंकों के फेल होने के पीछे की वैसे तो तमाम वजह हैं, लेकिन इनमें सबसे बड़ी प्रॉपर्टी के बदले लिए जाने वाले बकाया लोन की वैल्यू में लगातार गिरावट सामने आई है। गौरतलब है कि ब्याज दरों के हाई लेवल पर बने रहने और कमर्शियल रियल एस्टेट की वैल्यू में गिरावट से कई क्षेत्रीय और कम्युनिटी बैंकों के लिए फाइनेंशियल रिस्क बढ़ गया है।

Related Articles

Back to top button