होली से पहले अब ग्रह हुए नाराज नहीं होंगे कोई भी शुभ काम, ये है वजह
होली जलाने और खेलने के रूप में उत्सव भले ही फाल्गुन पूर्णिमा और चैत्र प्रतिपदा को मनाया जाता है। लेकिन शुरुआत सात दिन पहले और धुलैंडी के लिहाज से आठ दिन पहले से हो जाती है होलाष्टक के रुप में, जो इस वर्ष 16 मार्च को है।
परंपरा है कि होलाष्टक से रंग खेलने के दिन यानी धुलैंडी तक होलाष्टक मनाया जाएगा। इस दौरान होली के चरित्र नायक और इष्ट आराध्य की भूमि मथुरा, वृंदावन समेत ब्रज का चप्पा-चप्पा रंग, अबीर और गुलाल से रंग-बिरंगा हो उठता है। लेकिन यह आठ दिन अशुभ माना जाता है और इस बीच कई काम हैं जो नहीं करने चाहिए ऐसा कहा जाता है। इसकी वजह क्या है अब यह जान लीजिए।