कैबिनेट ने बीमा क्षेत्र में एफडीआई 100 प्रतिशत तक बढ़ाने वाले विधेयक को दी मंजूरी, जानिए पूरा मामला

नई दिल्ली । केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी। सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आई है। इससे जुड़ा विधेयक संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है, जो 19 दिसंबर को समाप्त होने वाला है।
लोकसभा बुलेटिन के अनुसार, बीमा कानून (संशोधन) विधेयक 2025 का उद्देश्य बीमा क्षेत्र की पैठ को गहरा करना, विकास और वृद्धि को गति देना और व्यापार करने में आसानी को बढ़ाना है। यह संसद के आगामी सत्र के लिए सूचीबद्ध 13 कानूनों में से एक है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस वर्ष के बजट भाषण में नई पीढ़ी के वित्तीय क्षेत्र सुधारों के तहत बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा। अब तक बीमा क्षेत्र ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के माध्यम से 82,000 करोड़ रुपये आकर्षित किए हैं।
वित्त मंत्रालय ने बीमा अधिनियम, 1938 के विभिन्न प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव रखा है, जिसमें बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को 100 प्रतिशत तक बढ़ाना, चुकता पूंजी को कम करना और एक समग्र लाइसेंस शुरू करना शामिल है। एक व्यापक विधायी प्रक्रिया के तहत, जीवन बीमा निगम अधिनियम 1956 और बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम 1999 में, बीमा अधिनियम 1938 के साथ-साथ संशोधन किया जाएगा।
एलआईसी अधिनियम में किए गए संशोधनों में इसके बोर्ड को शाखा विस्तार और भर्ती जैसे परिचालन संबंधी निर्णय लेने का अधिकार देने का प्रस्ताव है। प्रस्तावित संशोधन मुख्य रूप से पॉलिसीधारकों के हितों को बढ़ावा देने, उनकी वित्तीय सुरक्षा बढ़ाने और बीमा बाजार में अतिरिक्त खिलाड़ियों के प्रवेश को सुगम बनाने पर केंद्रित है, जिससे आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को गति मिलेगी। इस तरह के बदलाव बीमा उद्योग की कार्यकुशलता बढ़ाने, व्यापार करने में आसानी लाने और बीमा की पहुंच बढ़ाने में मदद करेंगे, ताकि 2047 तक ‘सभी के लिए बीमा’ के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।
भारत में बीमा के लिए विधायी ढांचा प्रदान करने वाला प्रमुख अधिनियम 1938 का बीमा अधिनियम है। यह बीमा व्यवसायों के संचालन के लिए ढांचा प्रदान करता है और बीमाकतार्ओं, उनके पॉलिसीधारकों, शेयरधारकों और नियामक, आईआरडीएआई के बीच संबंधों को नियंत्रित करता है।



