पहले चरण के चुनाव में खींचतान, अब साथ आए भाजपा-शिवसेना!

मुंबई । महाराष्ट्र में कई दिनों से चली आ रही तकरार के बाद भाजपा और एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने आखिरकार नगर निकाय चुनावों में साथ उतरने का फैसला कर लिया है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक मुंबई, ठाणे और अन्य नगर निगमों में दोनों दल एक गठबंधन के तौर पर चुनाव लड़ेंगे। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब महायुति के भीतर पिछले कुछ महीनों से तनाव खुलकर सामने आने लगा था।
सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सोमवार देर रात हुई बैठक में यह निर्णय किया गया कि भाजपा और शिवसेना मौजूदा महायुति गठबंधन के तौर पर ही निकाय चुनावों में उतरेंगी। बैठक नागपुर में हुई, जहां वर्तमान में विधानसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा है। फिलहाल राज्य चुनाव आयोग ने नगर निगम चुनावों की तारीखों की घोषणा नहीं की है, लेकिन दोनों दलों ने चुनावी रणनीति तैयार करना शुरू कर दिया है।
बैठक में भाजपा नेता चंद्रशेखर बावनकुले और रविंद्र चव्हाण भी मौजूद रहे। सूत्रों ने बताया कि दोनों दलों ने यह सहमति बनाई कि वे एक-दूसरे के नेताओं को नहीं तोड़ेंगे और न ही दल-बदल को बढ़ावा देंगे। हाल के महीनों में महायुति घटक दलों के बीच खींचतान बढ़ गई थी, क्योंकि स्थानीय चुनावों के पहले चरण में भाजपा और शिवसेना कई जगह आमने-सामने आ गई थीं। कई सीटों पर कैंपेन भी तीखा हो गया था, जिसे लेकर शिंदे ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को शिकायत की थी।
शिवसेना के एक अन्य नेता ने बताया कि सीट बंटवारे को लेकर चर्चा स्थानीय स्तर पर अगले दो-तीन दिनों में शुरू होगी। दोनों दल यह सुनिश्चित करने की कोशिश में हैं कि पिछले चुनावों में जो गलतियां हुईं, वे इस बार न दोहराई जाएं। दोनों ही दलों का जोर खास तौर पर मुंबई और ठाणे पर रहेगा, जहां चुनाव बेहद प्रतिष्ठा का मामला माने जाते हैं। शिवसेना के लिए यह क्षेत्रों में पकड़ बनाए रखना जरूरी है, जबकि भाजपा महापौर पदों पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।
एकनाथ शिंदे ने सोमवार को अपने विधायकों और मंत्रियों के साथ अलग बैठक की। उन्होंने कहा कि महायुति में शामिल भाजपा, शिवसेना और एनसीपी को एकजुट होकर लड़ना चाहिए। उन्होंने नेताओं को निर्देश दिया कि वे कोई ऐसा बयान न दें या कदम न उठाएं जिससे गठबंधन में विवाद बढ़े। शिंदे ने यह भी कहा कि जिला परिषद और नगर निगम चुनावों में महायुति को मजबूत तरीके से उतरना होगा ताकि विपक्ष को कोई मौका न मिले।
पहले चरण के स्थानीय निकाय चुनावों में महायुति के सहयोगी दल कई जगह सीधे टकरा गए थे। इससे कार्यकतार्ओं में नाराजगी बढ़ी और चुनावी माहौल बिगड़ने लगा। अब जब दोनों दलों ने औपचारिक तौर पर साथ लड़ने का फैसला किया है, तो चुनौती यह है कि जमीनी स्तर पर कार्यकतार्ओं को एकजुट कैसे रखा जाए।




