संत प्रेमानंद महाराज ने की राधा-रानी की पूजा:नंदबाबा मंदिर में सुनीं श्रीकृष्ण बाललीलाओं की कथा

मथुरा । संत प्रेमानंद महाराज जी सोमवार को मथुरा के प्रमुख तीर्थ स्थल नंदगांव और बरसाना का दौरा किया। सबसे पहले संत प्रेमानंद महाराज नंदगांव के नंद बाबा मंदिर में पहुंचे। यहां पर मंदिर के सेवायत कान्हा गोस्वामियों ने उन्हें विधि-विधान से पूजा-अर्चना कराई। इस दौरान भक्तों और संतों ने नंद बाबा और भगवान कृष्ण के बाल चरित्र का गुणगान किया। इससे महाराज प्रेमानंद भावविभोर हो गए।
इसके बाद प्रेमानंद महाराज जी बरसाना स्थित लाडली जी मंदिर (श्री राधा रानी मंदिर) पहुंचे। यहां पर उन्होंने राधा-रानी की दर्शन-पूजन किया। इस दौरान मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी।
वहीं, महाराज जी के आगमन की सूचना पर दोनों धामों में हजारों की संख्या में भक्तगण और श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ पड़े। भक्त महाराज जी एक झलक पाने के लिए बेताब दिखे। इस दौरान पूरा वातावरण राधे-राधे के जयकारों से गूंज उठा।
नंद बाबा मंदिर के सेवायत कान्हा गोस्वामी ने उन्हें भगवान श्रीकृष्ण के बाल चरित्र की कथा सुनाई। इस दौरान संत प्रेमानंद महाराज ने किसी भक्त की तरह जमीन पर बैठकर विनम्रता से कथा सुनी। इसका वीडियो भी सामने आया है, जिसमें प्रेमानंद महाराज मंदिर के आंगन में नीचे बैठे दिख रहे हैं। उनके साथ शिष्य भी पास में बैठे हैं। वहीं सामने गोस्वामी कान्हा भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं सुना रहे हैं।
वीडियो में संत प्रेमानंद महाराज पूरी श्रद्धा और एकाग्रता के साथ कथा सुनते नजर आ रहे हैं। वे बीच-बीच में सिर हिलाकर सहमति जताते हैं और मुस्कुराते हुए कथा का आनंद लेते हैं। यह दृश्य भक्तिभाव और विनम्रता की ऐसी मिसाल पेश करता है, जिसने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया।
नंद बाबा मंदिर के सेवायक कान्हा गोस्वामी सुनाते हैं-कृष्ण और बलराम दोनों भैया हैं। मैया की तरफ छोटे भैया कन्हैया हैं और बाबा की तरफ बड़े भाई हैं बलराम जी। जिस प्रकार से अधिकतर घरों में छोटे बेटे पर माता का प्यार ज्यादा रहता है और बड़े बेटे पर पिता का, उसी रूप में दोनों भाई विराजमान हैं। कोने में राधा रानी है। हमारे यहां राधा रानी ससुराल है। आप कु तो पतो है बहु बेटी जैसे रहें, मयार्दा से राधा रानी उसी रूप से।
वह आगे सुनाते हैं-रामा और मधुमंगल सखा। एक बार अयोध्या, दो बार द्वारका, और तीन बार त्रिवेणी में जाकर के नहाओगे, चार बार चित्रकूट, नौ बार नासिक और बार-बार बद्रीनाथ घूमकर आओगे। कोटि बार काशी, केदारनाथ, रामेश्वर, गया, जगन्नाथ आदि तीर्थ करके आओगे, पर होते हैं दर्शन प्रत्यक्ष श्याम सुंदर के, तो नंदगांव जैसो आनंद कहीं नहीं पाओगे। यहाँ सबसे बड़ी विशेषता यही है कि यहां दोनों भाई।”
जान मैया अंचरा पे बांबत है। वाणी के बिना दयाल वक्ता सर्व वेदन को, ताकू मैया बाबा बाबा बोलबो सिखावत है। और जाकी बंक दृष्टि सो कांपत महेश शेष, ताके दृग बाढ़वे कूं कजरा तू लगावत है। और धन्य नंद रानी, धन्य धन्य है तिहारो भाग्य, जो जगत कूं खिलावे, ताहे गोद तू खिलावे है। तो बाबा ये मैया और बाबा की कृपा है, जो आज अपने घर में बाबा को भी यहाँ खींच के ले आई है।”



