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भारत से विदा हुआ मानसून, चार महीने में सामान्य से अधिक हुई बारिश

नई दिल्ली । दक्षिण-पश्चिम मानसून पूरे देश से विदा हो गया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने गुरुवार (16 अक्तूबर) को बताया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून पूरे देश से विदा हो गया है। इस साल मानसून 16 साल बाद जल्दी केरल पहुंचा था। मानसून 24 मई 2025 को केरल पहुंचा, जो 2009 के बाद से सबसे जल्दी आगमन था। साल 2009 में मानसून 23 मई को पहुंचा था। यह 8 जुलाई की सामान्य तिथि से नौ दिन पहले पूरे देश में पहुंचा। 2020 में 26 जून तक पूरे देश में पहुंचने के बाद से यह मानसून का सबसे जल्दी आगमन था।
दरअसल, प्राथमिक वर्षा-वाहक प्रणाली आमतौर पर 1 जून तक केरल में प्रवेश करती है और 8 जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेती है। यह 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से पीछे हटना शुरू करती है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से विदा हो जाती है।
देश में 30 सितंबर को समाप्त हुए पूरे चार महीने के मानसून सीजन में सामान्य 868.6 मिमी की तुलना में 937.2 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जो 8 प्रतिशत अधिक है। इस महीने की शुरूआत में आईएमडी ने कहा था कि उत्तर-पश्चिम के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर, भारत के अधिकांश क्षेत्रों में अक्टूबर से दिसंबर तक मानसून के बाद के मौसम में सामान्य से अधिक वर्षा होने की उम्मीद है।
आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि जून-सितंबर मानसून सीजन में भरपूर बारिश के बाद अक्टूबर में सामान्य से 15 प्रतिशत अधिक बारिश होने की उम्मीद है। वहीं पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में 1,089.9 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य 1,367.3 मिमी से 20 प्रतिशत कम है।
आईएमडी महानिदेशक ने कहा, “इस मानसून सीजन में पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में बारिश 1901 के बाद दूसरी सबसे कम रही। इस क्षेत्र में मानसून सीजन में सबसे कम बारिश (1,065.7 मिमी) 2013 में दर्ज की गई थी।” उत्तर-पश्चिम भारत में 747.9 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य 587.6 मिमी से 27.3 प्रतिशत अधिक है। यह 2001 के बाद से सबसे अधिक और 1901 के बाद से छठी सबसे अधिक बारिश थी। महापात्र ने कहा कि उत्तर-पश्चिम भारत के सभी जिलों में जून, अगस्त और सितंबर में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई।
इस बार पंजाब को दशकों में सबसे भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा, जहां उफनती नदियां और टूटी नहरों ने हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि को जलमग्न कर दिया और लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा। वहीं पहाड़ी राज्यों में बादल फटने और अचानक आई बाढ़ के कारण भूस्खलन हुआ और बड़े स्तर पर नुकसान देखा गया। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में पुल और सड़कें बह गईं, जबकि जम्मू-कश्मीर में बार-बार बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं हुईं।
आईएमडी ने इस अतिरिक्त बारिश का श्रेय सक्रिय मानसून को दिया, जिसे लगातार पश्चिमी विक्षोभों का समर्थन मिला था, जिससे क्षेत्र में बारिश में वृद्धि हुई। इधर, मध्य भारत में 1,125.3 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य 978 मिमी से 15.1 प्रतिशत अधिक है, जबकि दक्षिणी प्रायद्वीप में सामान्य 716.2 मिमी से 9.9 प्रतिशत अधिक बारिश हुई।
भारत में जून में सामान्य से 8.9 प्रतिशत अधिक, जुलाई में 4.8 प्रतिशत अधिक, अगस्त में 5.2 प्रतिशत अधिक और सितंबर में सामान्य से 15.3 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। 2025 के मानसून सत्र में 18 निम्न-दाब प्रणालियां और 69 निम्न-दाब प्रणालियां दिन देखे गए, जबकि औसतन 13 निम्न-दाब प्रणालियां और 55 ऐसे दिन होते हैं।
मानसून भारत के कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है, जो लगभग 42 प्रतिशत आबादी की आजीविका का आधार है और सकल घरेलू उत्पाद में 18.2 प्रतिशत का योगदान देता है। मानसून पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए आवश्यक जलाशयों को भरने में भी अपनी अहम भूमिका निभाता है।

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