मथुरा

केली कुंज आश्रम पहुंचे गुरु शरणानंद:प्रेमानंद ने गद्दी छोड़कर दंडवत प्रणाम किया

मथुरा । प्रसिद्ध संत कार्ष्णि गुरु शरणानंद महाराज बुधवार को संत प्रेमानंद महाराज से मिलने उनके आश्रम केली कुंज पहुंचे। यहां गुरु शरणानंद महाराज को देखते ही संत प्रेमानंद महाराज अपनी गद्दी छोड़कर कुटिया के दरवाजे पर आए। उन्होंने गुरु शरणानंद को दंडवत प्रणाम किया। इसके बाद गुरु शरणानंद ने संत प्रेमानंद महाराज को गले लगाया। इस दौरान संत प्रेमानंद महाराज भावुक हो गए और उनकी आंखों से आंसू निकल पड़े।
संत गुरु शरणानंद जब प्रेमानंद महाराज से मिलने उनके आश्रम केली कुंज पहुंचे, तो आश्रम का माहौल कुछ क्षण में ही बदल गया। गुरु को देखते ही संत प्रेमानंद महाराज भाव-विभोर हो गए।
वे अपनी गद्दी छोड़कर कुटिया के दरवाजे पर पहुंचे और गुरु शरणानंद को दंडवत प्रणाम कर अभिवादन किया।
गुरु शरणानंद को देखते ही संत प्रेमानंद महाराज की आंखों से आंसू गिरने लगे। ये देखते ही गुरू शरणानंद ने प्रेमानंद के आंसू पोछे और उन्हें गले लगाया और प्रेमानंद महाराज से उनका हाल-चाल पूछा।
संत प्रेमानंद महाराज ने कहा आज प्रभु की बहुत बड़ी कृपा हुई है। संत प्रेमानंद महाराज ने रोते हुए कहा कि सुबह जब पता चला स्वामी जी आ रहे हैं तभी से हृदय गदगद हो रहा था।
संत प्रेमानंद महाराज ने गुरु शरणानंद महाराज से जब चरण पखारने के लिए पूछा तो वह पहले मना करने लगे फिर स्वीकृति दे दी। जिसे सुनते ही संत प्रेमानंद महाराज प्रफुल्लित हो गए और सेवादारों से जल्द व्यवस्था करने के लिए कहा। इसके बाद उन्होंने मंत्रों के बीच संत कर्षिणी गुरु शरणानंद महाराज के पैर पखारे। उन्होंने अपने पहने अंगवस्त्र से गुरु के चरणों को पोछते हुए पूजन-अर्चना की। फिर शिष्यों संग गुरू की आरती की। इसके बाद गुरु से भोग के लिए पूछा।
गुरु शरणानंद महाराज ने भोग के रूप में तुलसी पत्र मांगा। फिर उन्होंने प्रेमानंद को बताया- हमारे पास एक संत आए थे। वो बोल रहे थे कि प्रेमानंद महाराज के पास सिफारिश कर दीजिए, हम उन्हें एक किडनी देना चाहते हैं। हमने उनसे कहा कि उनके पास रोज एक लाख लोग निवेदन करते हैं पर वह मान ही नहीं रहे।
इस पर प्रेमानंद महाराज गुरु से बोले- फेल होनी होगी तो हो जाएगी। जब राधा रानी नहीं चाहेंगी, तो नई किडनी भी फेल हो सकती है। संत कर्षिणी गुरु शरणानंद महाराज ब्रज के ही नहीं देश के प्रमुख संतों में गिने जाते हैं। गोकुल स्थित रमण रेती आश्रम के प्रमुख संत कर्षिणी गुरु शरणानंद महाराज उदासीन अखाड़े के प्रमुख संत हैं। उनको आचार्य महामंडलेश्वर की उपाधि मिली हुई है। उन्होंने अपना जीवन पूरी तरह से भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति, संत सेवा, और समाज कल्याण के प्रति समर्पित कर दिया है।
रमणरेती एक पवित्र स्थल है जो मथुरा जिले के गोकुल क्षेत्र में है। इस स्थान को भगवान श्रीकृष्ण के बाललीलाओं का स्थल माना जाता है। कहा जाता है कि यह वही स्थान है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण और बलराम जी ने अपने बाल्यकाल में रेत में खेला था।
इस भूमि की पवित्रता और धार्मिक महत्व को देखते हुए, गुरु शरणानंद महाराज ने यहां एक विशाल आश्रम की स्थापना की। जिसे आज काष्णी पीठाधीश्वर रमणरेती आश्रम के नाम से जाना जाता है।
रमणरेती आश्रम में गुरु शरणानंद महाराज द्वारा संत सेवा, भक्ति, और समाज सेवा के कई कार्य संचालित किए जाते हैं। यह आश्रम हिंदू धर्म और वैष्णव परंपरा का एक प्रमुख केंद्र बन गया है, जहाँ से आध्यात्मिक शिक्षा और साधना का प्रचार-प्रसार किया जाता है।
गुरु शरणानंद महाराज को काष्णी पीठाधीश्वर की उपाधि दी गई है, जो वैष्णव संप्रदाय में एक महत्वपूर्ण धार्मिक पद है। यह उपाधि उन्हें उनकी आध्यात्मिकता, विद्वत्ता, और संत सेवा के लिए प्रदान की गई है। इस पद के तहत, वे संतों के मार्गदर्शक और वैष्णव धर्म के प्रचारक के रूप में जाने जाते हैं

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