कोविड वैक्सीन पर फिर उठे सवाल, हार्ट अटैक के बाद अब कैंसर के खतरे को लेकर चेतावनी

नई दिल्ली । साल 2020 से 2022 तक पूरी दुनिया ने कोरोना महामारी का भयावह दौर देखा। इस दौरान लाखों लोग संक्रमण का शिकार हुए और बड़ी संख्या में लोगों की मौतें भी हुई। हालांकि वैज्ञानिकों ने इससे बचाव के लिए तेजी से वैक्सीन तैयार कर ली, दावा किया जा रहा है इन टीकों ने लाखों लोगों को कोरोना संक्रमण की जटिलताओं और मौत के खतरे से बचाया।
कोविड-19 महामारी के दौर में जब पूरी दुनिया डर और अनिश्चितता से जूझ रही थी, तब वैक्सीन किसी वरदान से कम साबित नहीं हुई। यही कारण है कि इसे वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी मेडिकल उपलब्धियों में गिना जाता है। हालांकि शुरूआत से ही वैक्सीन को लेकर सवाल भी उठते रहे। रिपोर्ट्स में चिंता जताई गई कि कोविड के टीकों ने हृदय स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाया और हार्ट अटैक के खतरे को बढ़ा दिया, वहीं कुछ रिपोर्ट्स ने इस दावे को खारिज भी कर दिया।
अब वैक्सीन के एक नए और अति गंभीर साइड-इफेक्ट को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। एक हालिया रिपोर्ट में कोरियन वैज्ञानिकों ने अलर्ट किया है कि कोविड वैक्सीन कैंसर के खतरे को भी बढ़ाने वाली हो सकती है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि वैक्सीन के प्रभावों पर लंबी अवधि की निगरानी जरूरी है।
कोरियाई शोधकतार्ओं ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि उन्हें इस बात के प्रमाण मिले हैं कि कोविड के टीकों से फेफड़े, स्तन और प्रोस्टेट सहित छह प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ गया है। यह खतरा 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि टीकों ने इस जोखिम को क्यों बढ़ाया होगा?
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद से कोविड के टीकों के दुष्प्रभावों को लेकर फिर से चर्चा तेज हो गई है। हालांकि विशेषज्ञों की एक अन्य टीम ने इस अध्ययन को ‘सतही रूप से चिंताजनक’ बताते हुए खारिज कर दिया और चेतावनी दी कि इसके निष्कर्ष बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बताए गए हैं।
वैज्ञानिकों ने कहा, इस बात का कोई विश्वसनीय प्रमाण नहीं है कि ये टीके ट्यूमर सप्रेसर्स को बाधित करते हैं या किसी भी प्रकार की प्रक्रिया को बढ़ावा देते हैं जिसके परिणामस्वरूप कैंसर होता है। अब उस अध्ययन की रिपोर्ट पर वापस लौटते हैं जिसमें कोरियाई विशेषज्ञों ने दावा किया है कि कोविड के टीके कैंसर का खतरा बढ़ा सकते हैं।
बायोमार्कर रिसर्च पत्रिका में प्रकाशित यह अध्ययन आॅथोर्पेडिक सर्जरी और क्रिटिकल केयर के कोरियाई चिकित्सकों द्वारा किया गया, जिन्होंने साल 2021 और 2023 के बीच 84 लाख से ज्यादा वयस्कों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड का विश्लेषण किया।
प्रतिभागियों को दो समूहों में वगीर्कृत किया गया था- पहला जिन्हें सिर्फ कोविड के एक या दो टीके लगे थे और दूसरा जिन्हें बूस्टर शॉट्स भी लगाए गए थे। टीकों के एक साल बाद प्रतिभागियों में कैंसर के जोखिमों का पता लगाने के लिए जांच की गई।
रिपोर्ट में सामने आया कि जिन लोगों ने कम से कम एक कोविड टीका लिया था, उनमें थायरॉइड कैंसर होने का जोखिम 35 प्रतिशत और गैस्ट्रिक कैंसर होने का जोखिम 34 प्रतिशत बढ़ गया। फेफड़ों और प्रोस्टेट कैंसर के लिए यह जोखिम क्रमश: 53 और 68 प्रतिशत वहीं स्तन और कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा क्रमश: 20 और 28 प्रतिशत बढ़ गया है। ये दुष्प्रभाव ‘सीडीएनए’ टीकों में देखे गए।
लेखकों ने आगे कहा कि फाइजर और मॉडर्ना जैसी एमआरएनए वैक्सीन भी ‘थायरॉइड, कोलोरेक्टल, फेफड़े और स्तन कैंसर के जोखिमों को बढ़ाने वाली हो सकती हैं। ‘टीकाकरण वाले पुरुष गैस्ट्रिक और फेफड़ों के कैंसर के प्रति अधिक संवेदनशील थे, जबकि महिलाओं में थायरॉइड और कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा अधिक देखा गया।
अब तक हुए तमाम अध्ययनों में यह व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है कि कोविड के कुछ टीकों के गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जिनमें हृदय संबंधी स्थितियां भी शामिल हैं। हालांकि यह दावा कि ये टीके कैंसर के खतरे को भी बढ़ा सकते हैं, विवादास्पद बना हुआ है।
कैंसर रिसर्च यूके का कहना है कि टीकों और कैंसर के बीच किसी भी संबंध का ‘कोई ठोस सबूत’ नहीं है। इतना ही नहीं, एमआरएनए तकनीक का उपयोग नए टीके विकसित करने के लिए किया जा रहा है जो वास्तव में फेफड़े, डिम्बग्रंथि और अन्य प्रकार के कैंसर को रोकने में आशाजनक परिणाम दिखा रहे हैं।
अध्ययन के निष्कर्षों पर प्रतिक्रिया देते हुए, जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय में पैथोलॉजी के सहायक प्रोफेसर डॉ. बेंजामिन माजर कहती हैं, कोई भी कार्सिनोजेन इतनी तेजी से कैंसर उत्पन्न नहीं कर सकता। उत्परिवर्तनों को संचित होने में और कोशिकाओं को प्रतिकृति बनाने में समय लगता है।