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निजी क्षेत्र की रक्षा कंपनियों में दो अंकों की वृद्धि दर का अनुमान, आॅर्डर बुक पर क्रिसिल का यह दावा

नई दिल्ली । भारत की निजी रक्षा कंपनियों की वृद्धि जारी रहेगी। क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार 2025-26 में मजबूत घरेलू मांग के कारण राजस्व में मजबूत वृद्धि देखने को मिलेगी। रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि निजी रक्षा कंपनियां 16 से 18 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज करेंगी। यह वित्त वर्ष 2022 और 2025 के बीच 20 प्रतिशत की सीएजीआर के बाद है।
क्रिसिल के अनुसार मजबूत विकास गति को सरकार द्वारा महत्वपूर्ण नीतिगत प्रोत्साहन से समर्थन मिला है। इससे बड़े पैमाने पर निजी निवेश आकर्षित हुआ है। रिसर्च और विकास (आरएंडडी) और पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) में निवेश ने कंपनियों की क्षमताओं को मजबूत किया है। इससे उन्हें बड़े आॅर्डर हासिल करने में मदद मिली।
एजेंसी ने कहा है कि निजी रक्षा कंपनियों की लाभप्रदता स्थिर रहने की उम्मीद है, जिसमें आॅपरेटिंग मार्जिन 18 से 19 प्रतिशत के बीच रहेगा। पिछले तीन वित्तीय वर्षों में हुई इक्विटी निवेशों के चलते बैंलेंस शीट मजबूत बनी हुई है, भले ही कार्यशील पूंजी का कर्ज और पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) योजनाएं बढ़ रही हों।
एजेंसी ने 25 से अधिक निजी रक्षा कंपनियों का विश्लेषण किया, जो कुल उद्योग राजस्व का लगभग आधा योगदान देती हैं। वहीं भारत की रक्षा उद्योग में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां प्रमुख हैं, निजी कंपनियों का राजस्व हिस्सा लगातार बढ़ रहा है।
सरकार की घरेलू खरीद और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने वाली नीतियों के साथ-साथ भू-राजनीतिक अस्थिरताओं के कारण सैन्य खर्च में वृद्धि ने निजी कंपनियों के लिए अवसर पैदा किया है। इस प्रवृत्ति ने आईपीओ और प्राइवेट इक्विटी निवेश के माध्यम से बड़े पूंजी प्रवाह को आकर्षित किया है। इससे इस क्षेत्र में नवाचार और आरएंडडी को सहज रूप से वित्तपोषित किया जा सके।
क्रिसिल रेटिंग्स की निदेशक जयश्री नंदकुमार ने कहा कि पिछले तीन वित्तीय वर्षों में, रक्षा कंपनियों ने वित्त वर्ष 2022 के अंत में 4760 करोड़ रुपये के नेटवर्थ आधार पर 3,600 करोड़ रुपये का इक्विटी निवेश देखा है। यह मुख्य रूप से सार्वजनिक पेशकश और निजी इक्विटी के माध्यम से हुआ है। नंदकुमार ने कहा कि ऐसी धनराशि का एक तिहाई हिस्सा कार्यशील पूंजी वित्तपोषण में चला गया, जबकि लगभग आधा हिस्सा पूंजीगत व्यय, आरएंडडी व नवाचार के लिए उपयोग किया गया। इससे निजी क्षेत्र की रक्षा कंपनियों की क्षमता में वृद्धि हुई और वे बड़े आॅर्डर हासिल करने में सक्षम हुईं।
बढ़ी हुई क्षमताओं के साथ, आॅर्डर बुक में लगातार सुधार होता रहेगा, खासकर आपातकालीन खरीद योजना और आत्मनिर्भर भारत, रक्षा अधिग्रहण नीति, और रक्षा उत्पादन एवं निर्यात संवर्धन रणनीति जैसी प्रमुख सरकारी पहलों के सहयोग से। ये नीतियां स्वदेशीकरण और निर्यात दोनों को प्रोत्साहित करती हैं।

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