व्यापारियों का खाद्य सुरक्षा अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन:मथुरा में अपर आयुक्त को ज्ञापन सौंपा, शमन शुल्क व्यवस्था लागू करने की मांग

मथुरा । खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के अंतर्गत की जा रही कार्रवाई से व्यापारियों को कठिनाइयां हो रही हैं। इसके विरोध में मथुरा में नगर उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल वृंदावन इकाई ने प्रदर्शन किया गया।
नगर उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के पदाधिकारी खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के आॅफिस पहुंचे, जहां उन्होंने व्यापारियों को आ रही परेशानियों के निराकरण के लिए अपर आयुक्त खाद्य सुरक्षा को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन देने पहुंचे व्यापारियों ने मांग की कि प्रशासनिक अधिकारी अपर जिला मजिस्ट्रेट आदि को न्याय निर्णयक अधिकारी राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित किये गये हैं। प्रशासनिक अधिकारी प्रशासनिक कार्यों में व्यस्त रहते हैं, जिससे न्याय निर्णय में समय लगता है।
समय लगने से व्यापारी उत्पीड़न को बढ़ावा मिलता है तथा तकनीकी जानकार न होने के कारण प्रशासनिक अधिकारी मात्र अधिकतम जुमार्ना वसूल करना चाहते हैं। वह वाद को गुण दोष के आधार पर तय करने की इच्छा नहीं रखते। खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम (फूड एक्ट) के लिये पूर्णकालिक न्याय निर्णायक अधिकारी की नियुक्ति की जानी आवश्यक है, जिससे व्यापारी को शीघ्र न्याय मिल सके।
प्रदेश संगठन मंत्री आलोक बंसल ने बताया कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के सभी मामलों को अदालतों में भेजा जा रहा है। एक्ट में दी गई धारा-69 के अनुसार अधिकांश मामलों को शमन शुल्क जमा कराकर समाप्त किया जा सकता है।
अधिकांश सभी विभागों में भी अनावश्यक मुकदमे आदि से बचने के लिए शमन शुल्क जमा कर मुकदमा समाप्त करने की व्यवस्था की गई है। शमन शुल्क व्यवस्था लागू करने से सरकार पर भी अनावश्यक मुकदमों के बोझ का भार कम होगा। अत: अभिहीत अधिकारी कार्यालय में शमन शुल्क जमा कराने की व्यवस्था लागू की जाए।
चेयरमैन धनेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि सभी प्रकार खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम में रजिस्ट्रेशन के लिए 12 लाख तक के टर्न ओवर की सीमा तय की गई है, परन्तु 12 लाख रुपए की सीमा मंहगाई के हिसाब से बहुत कम है। अत: आपसे अनुरोध है कि 12 लाख टर्न ओवर के स्थान पर 40 लाख वार्षिक टर्न ओवर तक का काम करने वाले व्यापारियों की रजिस्ट्रेशन की सीमा में रखा जायें।
खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम में फूड एक्ट का लाइसेंस न पाए जाने पर सजा का प्राविधान खत्म किया जाये। जुमार्ना अधिकतम रजिस्ट्रेशन व लाइसेंस फीस का दोगुना किया जाए।