खुदरा सप्लाई चेन जीएसटी सुधारों से मिली छूटों का प्रमुखता से विज्ञापन करें, वाणिज्य मंत्रालय का निर्देश

नई दिल्ली वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने हाल ही में जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने के कारण खुदरा शृंखलाओं को मिली छूट को प्रमुखता से प्रदर्शित करने और विज्ञापन देने का निर्देश दिया है।भारतीय खुदरा विक्रेता संघ को भेजे गए पत्र में उद्योग व आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने कहा कि खुदरा विक्रेताओं को रसीद/बिल में जीएसटी कटौती को जीएसटी छूट के रूप में दशार्ना चाहिए और अधिक प्रभाव वाले उत्पादों पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।
निर्देश में कहा गया, “अपने नेटवर्क के माध्यम से ‘जीएसटी के कारण छूट’ को प्रमुखता से प्रदर्शित और विज्ञापित करें। इसके लिए वे अपने खुदरा नेटवर्क के माध्यम से पोस्टर/फ्लायर्स और विज्ञापन (प्रिंट, टीवी और आॅनलाइन) का इस्तेमाल करें।
विभाग ने यह भी सुझाव दिया है कि इस त्यौहारी सीजन के दौरान बिक्री के आंकड़ों पर नजर रखी जाए और विभिन्न माध्यमों से उन्हें उजागर किया जाए। 22 सितंबर को नवरात्रि के पहले दिन से जीएसटी में बदलाव लागू होने पर साबुन से लेकर कार, शैंपू से लेकर ट्रैक्टर और एयर कंडीशनर तक लगभग 400 उत्पादों की कीमतें कम होंगी।
22 सितंबर से जीएसटी स्लैब की संरचना बदल जाएगी। आम इस्तेमाल की वस्तुओं पर 5 प्रतिशत और बाकी सभी वस्तुओं पर 18 प्रतिशत का कर लगेगा। नई व्यवस्था में 12 और 28 प्रतिशत की मौजूदा दरें समाप्त कर दी गई हैं। नए जीएसटी ढांचे में, अधिकांश दैनिक खाद्य और किराना वस्तुएं 5 प्रतिशत जीएसटी स्लैब के तहत आएंगीं। ब्रेड, दूध और पनीर पर कोई कर नहीं लगेगा।
केंद्रीय सरकार द्वारा 3 सितंबर को घोषित व्यापक जीएसटी सुधारों के तहत दवाओं पर टैक्स या तो पूरी तरह से छूट दिया गया है या सबसे निचली स्लैब पर लाया गया है। इससे स्वास्थ्य देखभाल में आम लोगों को बड़ा फायदा होगा।
सरकारी उपायों के बाद यह सवाल उठना स्वाभाविक था कि 22 सितंबर से लागू होने वाले नए जीएसटी दरों से पहले सप्लाई चैन में मौजूद दवाओं का क्या होगा। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए)ने स्पष्ट किया है कि उपभोक्ता उन दवाओं पर भी राहत का लाभ उठा सकेंगे जो नई दरों के लागू होने से पहले ही निर्मित हो चुकी थीं और दवा की दुकानों पर उपलब्ध हैं। इससे दवाओं की कीमतों में आम लोगों के लिए वास्तविक राहत मिलने की उम्मीद है और स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में खर्च में कमी आएगी।