भारतीय अर्थव्यवस्था को आठ फीसदी विकास दर पर ले जा सकता है एआई, नीति आयोग ने पेश किया रोडमैप

नई दिल्ली। नीति आयोग और निति फ्रंटियर टेक हब ने सोमवार को एक विस्तृत रिपोर्ट जारी कर एआई को भारत की अर्थव्यवस्था के लिए निर्णायक साधन बताया। रिपोर्ट ‘विकसित भारत के लिए एआई: त्वरित आर्थिक विकास के अवसर’ में यह विजन दिखाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, एआई अपनाने और रिसर्च व डेवलपमेंट (आरएंडडी) में बदलाव के जरिए भारत 2035 तक अनुमानित 6.6 ट्रिलियन डॉलर के जीडीपी को बढ़ाकर 8.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचा सकता है। यह एआई की मदद से विकास अंतर का लगभग आधा हिस्सा पूरा करने में संभाव होगा।
नीति आयोग की एआई रिपोर्ट जारी करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हम ऐसे नियमन नहीं चाहते जो नवाचारों को खत्म कर दें। उन्होंने कहा कि एआई को बेहतर शहरों के लिए समाधान देने में मदद करनी चाहिए।
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि एआई जीवन के हर पहलू को मौलिक रूप से बदलने जा रहा है। उन्होंने भारत के लिए एआई प्रौद्योगिकियों को विकसित करने और अपनाने में अग्रणी होने के महत्व पर बल दिया। मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एआई हाल के दशकों में सबसे बड़े तकनीकी परिवर्तन के रूप में उभरा है और इसका प्रभाव इंटरनेट के समान होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आठ प्रतिशत की विकास दर हासिल करने के लिए, देश को उत्पादकता और नवाचार, दोनों को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देना होगा। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने कहा कि एआई आठ प्रतिशत से अधिक की विकास दर के लिए निर्णायक लीवर हो सकता है।
उन्होंने कहा कि अगर उद्योग केंद्रित और सेक्टर-विशेष दृष्टिकोण अपनाया जाए तो बैंकिंग और मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में अभी से एआई का इस्तेमाल कर कार्यकुशलता, सेवा गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धा को बेहतर बनाया जा सकता है। इससे आगे चलकर बड़े स्तर पर परिवर्तन की गति मिलेगी।
विश्लेषण में दो बड़े अवसरों को रेखांकित किया गया है, पहला, उद्योगों में एआई अपनाने की रफ्तार बढ़ाना। इससे 30-35 प्रतिशत तक अतिरिक्त वृद्धि संभव है। दूसरा, जेनरेटिव एआई के जरिए अनुसंधान और विकास को बदलना, जो 20-30 प्रतिशत तक योगदान दे सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, बैंकिंग और विनिर्माण जैसे क्षेत्र सबसे पहले लाभान्वित हो सकते हैं। वित्तीय सेवाओं में एआई से ग्राहकों को हाइपर-पर्सनलाइज्ड अनुभव, उन्नत धोखाधड़ी रोकथाम और अधिक समावेशी ऋण सुविधा उपलब्ध होगी। अनुमान है कि इससे 2035 तक 50-55 अरब डॉलर का अतिरिक्त मूल्य जुड़ सकता है। विनिर्माण क्षेत्र में एआई आधारित उत्पादकता वृद्धि, प्रेडिक्टिव मेंटेनेंस और स्मार्ट प्रोडक्ट डिजाइन से 85 से 100 अरब डॉलर तक का अतिरिक्त मूल्य जोड़ा जा सकता है।
सिर्फ अपनाने तक सीमित न रहकर, रिपोर्ट फ्रंटियर इनोवेशन को बढ़ावा देने पर भी जोर देती है। इसमें एआई-सक्षम ड्रग डिस्कवरी, सॉफ्टवेयर-असिस्टेड व्हीकल्स और नेक्स्ट-जनरेशन आॅटो कंपोनेंट्स को भविष्य के विकास इंजन के रूप में चिन्हित किया गया है।
फार्मास्युटिकल क्षेत्र में एआई से दवा खोजने की लागत 30% तक घट सकती है और समय सीमा 80% तक कम हो सकती है। इससे भारत केवल जेनेरिक दवाओं पर निर्भर बाजार से निकलकर इनोवेशन-ड्रिवन लीडरशिप की ओर बढ़ सकेगा।
आॅटोमोबाइल क्षेत्र के लिए रोडमैप में 2035 तक भारतीय सड़कों पर 1.8 से 2 करोड़ सॉफ्टवेयर-असिस्टेड वाहनों की परिकल्पना की गई है। इन्हें स्मार्ट कॉरिडोर और डिजिटल टेस्टिंग पार्क का सहारा मिलेगा। ऐसे नवाचारों से 20-25 अरब डॉलर का निर्यात लाभ और आयात प्रतिस्थापन संभव हो सकता है। इससे भारत को 20-25 अरब डॉलर का निर्यात फायदा होगा और आयात पर निर्भरता भी घटेगी।