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नेपाल में विरोध प्रदर्शन के बीच आसमान से होने लगी पैसों की बारिश

काठमांडू । नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने देश में जारी सरकार विरोधी जबर्दस्त प्रदर्शन के दबाव में इस्तीफा दे दिया है। इस बीच मंगलवार को दूसरे दिन प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल सहित कई नेताओं के निजी आवास पर हमला भी किया। आंदोलनकारियों ने ऊर्जा मंत्री दीपक खड़का के घर पर धावा बोला और वहां से बड़ी मात्रा में कैश लूटकर हवा में उड़ा दिया। प्रदर्शनकारियों की ओर से कैश लुटाने का वीडियो भी सामने आया है।
इस बीच नेपाल में हालात को देखते हुए काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उड़ान सेवाएं स्थगित कर दी गई हैं। नेपाल सरकार ने जेन-जेड युवाओं के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद सोमवार रात सोशल मीडिया से प्रतिबंध हटा लिया था, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ और 19 लोगों की मौत की जवाबदेही की मांग को लेकर अपना प्रदर्शन जारी रखा है। जेन-जेड वो युवा हैं जिनका जन्म 1997 से 2012 के बीच हुआ।
ओली के इस्तीफे से कुछ घंटे पहले, प्रदर्शनकारियों ने बालकोट स्थित उनके निजी आवास में आग लगा दी और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल प्रचंड, संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग, पूर्व गृहमंत्री रमेश लेखक समेत कई नेताओं के आवासों पर भी हमला किया। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति पौडेल के निजी आवास पर भी हमला किया। जेन-जेड के बैनर तले प्रदर्शनकारियों ने राजधानी के कई हिस्सों में उग्र प्रदर्शन किया है।
काठमांडू के कलंकी, कालीमाटी, तहाचल और बनेश्वर के साथ-साथ ललितपुर जिले के च्यासल, चापागौ और थेचो इलाकों से भी प्रदर्शनों की खबरें हैं। प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक रूप से एकत्र होने पर लगे प्रतिबंधों की अवहेलना करते हुए छात्रों को मत मारो जैसे नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों में ज्यादातर छात्र शामिल हैं। कलंकी में प्रदर्शनकारियों ने सड़कें अवरूद्ध करने के लिए टायर जलाए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, प्रदर्शनकारी युवकों ने ललितपुर जिले के सुनाकोठी स्थित संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग के आवास पर भी पथराव किया। गुरुंग ने सोशल मीडिया साइटों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सोशल मीडिया साइटों पर प्रतिबंध अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने का प्रयास है। आंदोलन की शुरूआत सोशल मीडिया पर प्रतिबंध की वजह से हुई। सरकार ने व्हाट्सएप, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और एक्स जैसे प्लेटफॉर्म पर रोक लगाई थी। इस फैसले से गुस्साए युवाओं ने इसे अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना और देखते ही देखते हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। आदेश वापस लेने के बाद भी आंदोलन शांत नहीं हुआ बल्कि और उग्र होता गया। भीड़ का गुस्सा नेताओं और सत्ता पर टूटा।

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