मथुरा में 46 गांव डूबे, आधा वृंदावन जलमग्न:बाढ़ के बीच निकली शवयात्रा

मथुरा। मथुरा में यमुना नदी ने 1978 के बाद पहली बार अपना इतना विकराल रूप दिखाया है। नदी का जलस्तर खतरे के निशान से करीब डेढ़ मीटर ऊपर पहुंच गया है। हालात यह हैं कि आधा वृंदावन पानी में डूब चुका है और जिले के 46 गांव बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। खेत, सड़कें, घाट और मंदिर तक पानी में डूब गए हैं।
राहत की बात यह है कि हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से अब पानी का डिस्चार्ज रोक दिया गया है। उम्मीद है कि सोमवार से यमुना का पानी धीरे-धीरे उतरना शुरू हो जाएगा। यमुना के पानी ने वृंदावन के कई प्राचीन मंदिरों को भी अपनी चपेट में ले लिया है। 51 शक्तिपीठों में से एक मां कात्यायनी देवी मंदिर में चार फीट तक पानी भर गया। रविवार दोपहर मंदिर में पानी घुसने के बाद श्रद्धालुओं का आना-जाना रोकना पड़ा। इसके अलावा घाटों और परिक्रमा मार्ग पर भी पूरी तरह जलभराव हो गया है।
कात्यायनी देवी मंदिर में रविवार की दोपहर यमुना ने दीवार तोड़कर दस्तक दी। मंदिर की एक तरफ की दीवार धराशाई हुई तो फिर पानी का सैलाब इस तरह उमड़ा कि मंदिर परिसर में हर तरफ पानी ही पानी नजर आया। आंगन में 4 फीट तक पानी भर गया। मंदिर प्रबंधन ने आनन-फानन में गोशाला में मौजूद गोवंश को निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया तो मंदिर में श्रद्धालुओं का प्रवेश बंद कर दिया गया।
बाढ़ के पानी का कहर गोकुल के रमणरेती आश्रम में भी देखने को मिला। कार्ष्णि गुरु शरणानंद महाराज के रमण बिहारी आश्रम में हर तरफ पानी ही पानी देखने को मिला। यहां यमुना साधुओं की कुटिया में हिलोरे मारती हुई नजर आई। रमणरेती आश्रम में यमुना पहुंची तो आश्रम के महंत कार्ष्णि गुरु शरणानंद महाराज नौका बिहार कर यमुना का आश्रम में आने पर स्वागत करने लगे।
बाढ़ के हाहाकार के बीच मानवीय संवेदना को दशार्ने वाली एक घटना सामने आई। परिक्रमा मार्ग स्थित संत कॉलोनी में रहने वाले एक वृद्ध की मौत हो गई। परिवार कोलकाता में रहता है, ऐसे में पड़ोसियों ने जिम्मेदारी उठाई। उन्होंने जलभराव के बावजूद वृद्ध की शवयात्रा निकाली और अंतिम संस्कार कराया।
करीब दो किलोमीटर तक कंधों पर अर्थी उठाकर लोग मोक्षधाम पहुंचे। वहां भी पानी पूरी तरह भरा हुआ था, लेकिन फिर भी शव का अंतिम संस्कार किया गया। यह नजारा देखकर लोग भावुक हो उठे। संकट की इस घड़ी में पड़ोसियों ने जिस तरह से मानवता निभाई, उसने सभी के दिल को छू लिया।
बाढ़ के बीच सबसे बड़ी दिक्कत पीने के पानी की हो रही है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में बिजली बंद है तो नलकूप पानी में डूब गए हैं। जिसकी बजह से पेयजल आपूर्ति नहीं हो पा रही। मथुरा वृंदावन नगर निगम के 82 नलकूपों में से अधिकांश पानी में डूबे हैं, जिससे प्रभावित क्षेत्र के साथ साथ शहर के उन इलाकों में भी पीने के पानी का संकट खड़ा हो गया है। यहां बाढ़ का पानी नहीं पहुंचा है।
वृंदावन में शहर की 70 प्रतिशत आबादी पानी की समस्या से जूझ रही है। नगर निगम बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से लेकर शहर के अन्य स्थानों में टैंकरों से पानी की आपूर्ति कर रहा है। कुछ समाजसेवी भी टैंकरों से आपूर्ति करने में लगे हैं। वहीं कुछ निजी टैंकर चलाने वाले लोग आपदा में अवसर देख रहे हैं। जो टैंकर पहले 300 रुपए में आता था वह अब एक हजार रुपए से ज्यादा में दिया जा रहा है।




