अनीत पड्डा ने ‘सैयारा’ की सफलता की व्यक्तिगत कहानी सुनाई, प्रिय दादा के बारे में बताया।

साल 2025 की रोमांटिक लव स्टोरी ‘सैयारा’ ने दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बना ली थी। इसे थिएटरों में देखने वालों ने इसकी गहराई और जादू को महसूस किया। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अत्यधिक सफलता प्राप्त की और इसने दर्शकों के बीच लंबे समय तक चर्चा का विषय बना रहा। लेकिन फिल्म की नायिका अनीत पड्डा के लिए इसकी सफलता केवल बॉक्स ऑफिस के आंकड़ों तक सीमित नहीं थी, बल्कि उनके लिए एक बेहद खास कारण था, जो उनके फैंस को खुशी देने वाला था।
### अनीत के लिए ‘सैयारा’ का महत्व
‘सैयारा’ में अनीत का किरदार एक ऐसी लड़की का है, जिसे अल्जाइमर नामक बीमारी का सामना करना पड़ता है। इस भूमिका को अनीत ने बड़े पर्दे पर बहुत अच्छी तरह से निभाया। लेकिन यह रोल उनके लिए व्यक्तिगत रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण था। अनीत ने बताया कि उनके दादा भी इसी बीमारी से पीड़ित हैं। यह जानकर कि अनीत का यह किरदार उनके दादाजी की वास्तविकता से कितना जुड़ा है, दर्शकों को एक नई दृष्टि मिली।
अनीत ने आगे कहा, “मेरे दादू को अल्जाइमर है, जिसके कारण यह फिल्म मेरे लिए भावनात्मक रूप से और भी अधिक संगत है। वह इस स्थिति में हैं जहाँ उन्हें कई चीजें याद नहीं रहतीं। लेकिन मुझे इस फिल्म की कहानी में पूरा विश्वास था, क्योंकि यह कहती है कि मस्तिष्क भूलता है, लेकिन दिल कभी नहीं भूलता।”
### ‘सैयारा’ देखने के बाद दादा का रिएक्शन
अनीत ने आगे बताया कि उनके दादा अल्जाइमर के कारण बहुत सी चीजें भूल चुके थे। लेकिन जब उन्होंने ‘सैयारा’ देखी, तो उन्हें अपनी पोती से जुड़ी कई यादें ताज़ा हो गईं। अनीत ने कहा, “उन्हें मेरा नाम नहीं याद रहा, लेकिन वह अब भी मुझे हीरापुत और मक्खन के नाम से बुलाते हैं। जब मैं हाल ही में उनसे मिलने गई, तो उन्हें मेरे पास बैठने में कोई परेशानी नहीं थी।”
वो जानते थे कि अनीत कौन हैं, लेकिन साथ ही उन्हें यह भी नहीं याद था। जब फिल्म रिलीज हुई, तब वे थिएटर नहीं जा सके क्योंकि उन्हें बेड रेस्ट पर रखा गया था। हालांकि, उनके माता-पिता ने उन्हें फिल्म से जुड़े कुछ वीडियो दिखाए और उन्हें देखकर उनके चेहरे पर खुशी आ गई। उन पलों को याद करते हुए अनीत ने कहा, “वो बोले, हीरापुत और मक्खन दी मूवी। यह पल मेरे लिए बहुत खास था।”
### बॉक्स ऑफिस पर ‘सैयारा’ की उपलब्धियां
‘सैयारा’ ने भारतीय बॉक्स ऑफिस पर सबसे बड़ी हिट्स में से एक बनने का गौरव हासिल किया, जिसका विश्वव्यापी संग्रह लगभग 500 करोड़ रुपये रहा। इस फिल्म की सफलता ने अनीत पड्डा और उनके सह-कलाकार अहान पांडे के करियर को ऊंचाई पर पहुंचाया। इसके अलावा, इस फिल्म ने डायरेक्टर मोहित सूरी को भी एक नई पहचान दिलाई और उन्हें दर्शकों के बीच प्रसिद्ध बना दिया।
अनीत का यह बहुत खास अनुभव दर्शकों के साथ साझा करना, न केवल फिल्म के प्रति उनकी लगन को दर्शाता है, बल्कि यह भी कि कैसे एक फिल्म किसी के जीवन में गहराई से जुड़ी होती है। ‘सैयारा’ केवल एक कहानी नहीं है, बल्कि यह एक भावनात्मक यात्रा है जो सभी के दिलों को छू जाती है।
सिनेमाई दुनिया में ऐसे अनेक किस्से होते हैं जो दर्शकों को साझा करने के लिए प्रेरित करते हैं। अनीत पड्डा की कहानी भी इसी प्रकार की प्रेरणादायक है। उन्होंने साबित किया है कि मनोरंजन का क्षेत्र सिर्फ मायाजाल नहीं होता, बल्कि यह एक व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बन सकता है, जो दर्शकों को न केवल मनोरंजन प्रदान करता है, बल्कि उन्हें खुद के अनुभवों से जोड़ा भी महसूस कराता है।
### निष्कर्ष
‘सैयारा’ सिर्फ एक फिल्म नहीं है, यह एक सामूहिक भावना है, जो सभी उम्र के लोगों को जोड़ता है। चाहे वह प्रेम कहानी हो, परिवार का बंधन हो या यादों की महक, यह फिल्म सब कुछ समाहित करती है। अनीत का व्यक्तिगत अनुभव इस फिल्म को और भी गहरा बनाता है। हर बार जब वह अपने दादाजी की यादों को साझा करती हैं, तो यह दर्शकों के दिलों में एक नई रागिनी छेड़ देता है।
इस प्रकार, ‘सैयारा’ ने केवल बॉक्स ऑफिस पर ही नहीं, बल्कि मानवता के विभिन्न पहलुओं को भी उजागर करने का काम किया है। फिल्म ने साबित किया कि कहानियाँ केवल सुनाई नहीं जातीं, बल्कि जीवन के कठिन दौर में उन्हें जीया भी जाता है।
इस फिल्म के माध्यम से, अनीत पड्डा ने दिखाया है कि संघर्ष और संघर्ष से उबरना ही असली सफलता है। ‘सैयारा’ एक प्रेरणा है, एक आशा है, जो दर्शकों को यह बताती है कि जीवन के हर पल का महत्व है और हर याद किसी न किसी रूप में अमर होती है।