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अमिताभ बच्चन की financial struggles: दिवालिया होने की कगार पर, शिकायत किए बिना सहा संकट।

अमिताभ बच्चन ने ABCL के घाटे के दौर में दिवालिया होने की कगार देखी, आशीष विद्यार्थी ने उनके संघर्ष और मां के लिए लिखी चिट्ठी का जिक्र किया।

अमिताभ बच्चन भारतीय सिनेमा के हर दौर के सबसे चर्चित और सम्मानित सितारों में से एक हैं। लेकिन उनकी चमक भले ही अब आसमान छूती हो, लेकिन उनके जीवन में कई ऐसे काले दौर भी आए जब उन्होंने गंभीर आर्थिक संकट का सामना किया। इन संघर्षों में सबसे प्रमुख था उनका एबीसीएल (अमिताभ बच्चन कॉर्पोरेशन लिमिटेड) का घाटा, जिसने उन्हें दिवालिया होने की कगार पर ला दिया था। हाल ही में अभिनेता आशीष विद्यार्थी ने इस संकट के दौर के बारे में खुलकर बात की, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सफलता के पीछे कितनी चुनौतियाँ होती हैं।

किसी भी बड़े सितारे की चकाचौंध केवल फिल्मों तक सीमित नहीं होती। अमिताभ बच्चन ने अपने करियर में न केवल फिल्मों में बल्कि बिजनेस में भी निवेश किया। लेकिन जब एबीसीएल को नुकसान होने लगा, तो उनकी स्थिति गंभीर हो गई। आशीष विद्यार्थी ने एक साक्षात्कार में बताया कि कैसे अमिताभ जी के कठिन समय के दौरान उनके साथ काम करने का अनुभव उन्हें कभी नहीं भूल सकता।

मां के लिए लिखी चिट्ठी

इस समय ने आशीष विद्यार्थी को व्यक्तिगत रूप से प्रभावित किया। उन्होंने कहा, “उस दौरान मेरे पिताजी काफी बूढ़े थे और मां को हार्ट अटैक आया था। मैं हर रात उनके पास रुकने के लिए दिल्ली जाता और फिर सुबह फ्लाइट से मुंबई लौटता। इसी दौरान मैंने अमिताभ जी से अनुरोध किया कि क्या वे मेरी मां के लिए एक चिट्ठी लिख सकते हैं? उन्होंने मेरा अनुरोध मान लिया और चिट्ठी लिख कर दी। मेरी मां तब हार्ट अटैक से उबर रही थीं और वेंटिलेटर पर थीं। मैंने उन्हें वह लेटर पढ़कर सुनाया।”

अमिताभ बच्चन ने उस समय भी आशीष का साथ नहीं छोड़ा, जब वह खुद अत्यधिक तनाव में थे। यह एक ऐसा समय था जब एबीसीएल भविष्य की तलाश में थी, और बच्चन की निजी जिंदगी में भी संकट आ रहा था।

जब बुरे दौर से गुजर रहे थे अमिताभ बच्चन

आशीष ने उस दौर को याद करते हुए बताया, “मैंने उनके साथ 1998 में ‘मेजर साब’ में काम किया। वह पूरी रात अपने किरदार में रहते थे। ना तो दाढ़ी निकालते थे और ना ही मूछें। किसी भी मनुष्य के लिए निराश होना बहुत स्वाभाविक है, लेकिन अमित जी ने कभी भी शिकायत नहीं की। उनका आधार इतना मजबूत था कि लोग उनकी समस्याओं को नहीं देख सकते थे।”

इस समय के दौरान अमिताभ ने अपने जीवन की सबसे कठिनाइयों का सामना किया। उन्होंने बिना किसी गिला शिकवा के अपने समस्या को स्वीकार किया और आगे बढ़ने की कोशिश की।

कभी नहीं की शिकायत

अमिताभ बच्चन ने जो चीज़ें देखीं, क्या उन्हें कोई आम आदमी देख सकता है? एक समय ऐसा था जब पूरी फिल्म इंडस्ट्री में उनकी पहचान थी। ‘कुली’ फिल्म के शूटिंग के दौरान जब वह घायल हुए थे, तब उनके फैंस ने खाना तक नहीं खाया था। लेकिन जब वह दिवालिया होने के कगार पर थे, तब उन्होंने उस समय का भी सामना किया।

अमिताभ का कहना था, “लोग नौकरी की कमी या पीछे छूट जाने पर शिकायत करते हैं, लेकिन मैंने क्या-क्या सहा है। कभी भी किसी के सामने अपने दुख का रोना नहीं रोया।”

जब दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गए थे अमिताभ बच्चन

इस संकट का मुख्य कारण उनकी कंपनी एबीसीएल का भारी घाटा था। 1998 में फिल्म ‘मेजर साब’ की शूटिंग के समय उनकी कंपनी बड़े घाटे में चल रही थी। अमिताभ बच्चन इसे अपने जीवन का सबसे खराब समय मानते हैं। वह अपने बंगले को खोने के कगार पर थे, क्योंकि उनकी सारी प्रॉपर्टी एक साथ अटैच थी।

असल में, अमिताभ और जया बच्चन ने गलती से पर्सनल गारंटी दी थी, जिसे उन्होंने अपने सबसे गलत फैसलों में से एक माना। उन्होंने कहा, “हमें किसी ने अच्छे से आर्थिक सलाह नहीं दी थी। आश्वासन दिया गया था कि कुछ नहीं होगा, इसलिए हमने निश्चिंत होकर पर्सनल गारंटी वाले पेपर साइन कर दिए।”

इस अनुभव ने न केवल अमिताभ बच्चन को बल्कि पूरे बॉलीवुड को भी यह सिखाया कि आर्थिक प्रबंधन कितनी महत्वपूर्ण होती है। वह अपने करियर के ऊँचाई पर रहते हुए भी गिरावट के समय में कैसे संभले, यह उनकी व्यक्तिगत मजबूती को दर्शाता है।

संक्षेप में

अमिताभ बच्चन का जीवन हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। वह सिर्फ एक अभिनेता नहीं हैं; उन्होंने अपने कार्यों से यह सिद्ध कर दिया है कि एक व्यक्ति को अपनी समस्याओं का सामना करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। उनका संघर्ष बताता है कि असफलता केवल अंतिम नहीं होती; बल्कि यह सफलता की एक सीढ़ी हो सकती है।

आशीष विद्यार्थी का अनुभव इस बात का प्रमाण है कि कैसे सितारे भी मुश्किल समय में अपने अधीनस्थ होते हैं। लेकिन उनका हौंसला और मेहनत उन्हें हमेशा आगे बढ़ाता है। अमिताभ बच्चन के संघर्ष और साहस की कहानी सिर्फ उनके सिनेमा के लिए नहीं, बल्कि हमारे लिए भी मार्गदर्शक है कि कैसे कठिनाइयों का सामना करना चाहिए।

अंततः, यह कहानी हमें सिखाती है कि असलियत में लड़ाई किसी भी महानता की ओर ले जाने वाली होगी। हमें कभी भी अपने सपनों को छोड़ना नहीं चाहिए, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों। अमिताभ बच्चन का जीवन यह दर्शाता है कि हार का सामना करने में ही सच्ची महानता है। हमें भी उनके इस साहस से प्रेरणा लेनी चाहिए, ताकि हम अपने जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकें और उन्हें पार कर सकें।

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