रूस और चीन की पनडुब्बियों की पहली संयुक्त गश्त, एशिया-Pasific क्षेत्र में टकराव की आशंका के बीच, तनाव बढ़ाने का संकेत देती है।

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रूस और चीन के संबंध लगातार बेहतर हो रहे हैं। दोनों देश व्यापार और आर्थिक मोर्चों पर एक-दूसरे के साथ काम कर रहे हैं, जबकि रक्षा क्षेत्र में भी उनके संबंधों में सुधार हो रहा है।

समाचार सूत्रों के अनुसार, रूसी नौसेना ने इसे द्विपक्षीय अभ्यासों की निरंतरता का हिस्सा बताया है, जिसने हाल के वर्षों में अपने दायरे और पैमाने में वृद्धि की है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच के संबंध भी बाढ़ रहे हैं। इससे दोनों देशों के बीच के संबंध को काफी लाभ हो रहा है।
यह अभ्यास क्यों महत्वपूर्ण है
रूस और चीन ने पहले भी संयुक्त नौसेना गश्ती दल किए हैं, लेकिन वे सामान्यत: सतही जहाजों तक ही सीमित रहे हैं। इस बार, रूस और चीनी पनडुब्बियों को एकत्रित किया गया। इसी महीने की शुरुआत में, दोनों नौसेनाओं ने मिलकर एक कृत्रिम पनडुब्बी बचाव अभियान चलाया था। इसके तुरंत बाद, उन्होंने संयुक्त गश्ती भी प्रारंभ की।
रूस के सरकारी मीडिया ने इसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन माना है। रूस और चीन ने हाल के वर्षों में घनिष्ठ संबंध स्थापित किए हैं और इसे अमेरिका को संतुलित करने के लिए एक गठबंधन के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों ने पश्चिमी प्रशांत और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में संयुक्त सैन्य गतिविधियों का आयोजन किया है।
आगे क्या होगा
रूस और चीन की संयुक्त पनडुब्बी गश्ती को भविष्य के लिए महत्वपूर्ण अभियानों की नींव माना जा रहा है। रूसी अधिकारियों ने संकेत दिया है कि आगे और अभ्यास किए जाएंगे। चीनी मीडिया ने भी इस सहयोग को जारी रखने की बात कही है, जिससे यह साफ होता है कि सहयोग का स्तर बढ़ने जा रहा है।
रूस और चीन दोनों ही अपने नौसेना की ताकत को बढ़ा रहे हैं। रूस ने अपने दूरस्थ पूर्वी नौसेना अड्डे का आधुनिकीकरण करते हुए परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियों की तैनाती की योजना बनाई है। दूसरी ओर, चीन पहले से ही दुनिया का सबसे बड़ा नौसेना ऑपरेटर है और अपनी समुद्री शक्ति को बढ़ाने पर जोर दे रहा है।