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भारत का F35 उड़ान: राजनाथ सिंह ने बताया कि ट्रंप ने सौदा करने की पेशकश की।

विदेश मंत्री केर्तिवर्धन सिंह का बयान

अगस्त की शुरुआत में, विदेश मंत्री केर्तिवर्धन सिंह ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर प्रस्तुत किया जिसमें बताया गया कि अमेरिका की योजना है कि वह भारत को पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान (जैसे एफ-35) और समुद्री प्रणाली को जारी करने की नीति का पुनरावलोकन करेगा। इस पर अभी तक औपचारिक चर्चा नहीं हुई है।

रक्षा मंत्री का बयान

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस विषय में F-35 का जिक्र किया, और इसे अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव का हिस्सा बताया। इस बीच, भारतीय नौसेना ने दो नए बहुउद्देशीय युद्धपोत, INS उदयगिरी और INS हिमगिरी को अपने बेड़े में शामिल किया। इस अवसर पर, सिंह ने यह भी कहा कि भारत का अपना ‘स्वदेशी F-35’ है, यह दर्शाते हुए कि और भी कई क्षेत्रों में देश अपनी तकनीक को विकसित कर रहा है।

यह उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले ही पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत को F-35 विमान बेचे जाने की इच्छाशक्ति व्यक्त की थी। हालांकि, दोनों देशों के बीच व्यापारिक मुद्दों पर तनाव अब भी कायम है।

नौसेना की भूमिका

सिंह ने यह भी कहा कि भारतीय नौसेना की भूमिका केवल समुद्री सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आर्थिक सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण स्तंभ भी है। भारतीय ऊर्जा आवश्यकताएं, जैसे कि तेल और प्राकृतिक गैस, इस क्षेत्र की सुरक्षा पर काफी हद तक निर्भर करती हैं।

अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिका का उल्लेख करते हुए, सिंह ने यह कहा कि एक देश में F-35 विमानों का उड़ना आवश्यक है, जबकि भारतीय नौसेना के नए युद्धपोत ‘INS उदयगिरी’ और ‘INS हिमगिरी’ स्वदेशी तकनीक के साथ समुद्र में संचालन कर रहे हैं।

भारत की आक्रामकता पर विचार

रक्षा मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत कभी आक्रामक विस्तारवाद में विश्वास नहीं रखता। यह बात पूरी दुनिया को मालूम है कि भारत ने कभी किसी देश पर हमला नहीं किया। लेकिन जब उसकी सुरक्षा पर खतरा होता है, तब भारत यह भलीभांति जानता है कि उसे कैसे जवाब देना है।

अमेरिकी विमानों के सौदे पर स्थिति

यह उल्लेखनीय है कि अमेरिका के साथ लड़ाकू विमानों के सौदे पर अब तक कोई भी वार्ता आगे नहीं बढ़ी है। विदेश मंत्री ने अगस्त की शुरुआत में स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि 13 फरवरी को मोदी-ट्रम्प बैठक के बाद जारी किए गए संयुक्त बयान में यह कहा गया था कि अमेरिका भारत को पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों और समुद्री प्रणाली के लिए अपनी नीति की समीक्षा करेगा।

नए युद्धपोतों का महत्व

INS उदयगिरी और INS हिमगिरी दोनों भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिज़ाइन ब्यूरो द्वारा डिज़ाइन किए गए हैं। विशेष रूप से, INS उदयगिरी भारतीय नौसेना के लिए डिज़ाइन किया गया 100वां जहाज है, जो स्वदेशी युद्धपोत डिज़ाइन के पांच दशकों में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

रक्षा अधिकारियों ने बताया कि INS उदयगिरी और INS हिमगिरी, परियोजना 17 (शिवलिक) श्रेणी के मध्यम-शिल्प के नए अद्यतनों पर आधारित हैं। दोनों जहाजों में डिजाइन, चुपके (रडार तक पहुंचने की क्षमता), हथियार तथा सेंसर्स के संदर्भ में काफी सुधार किया गया है। यह विशेषताएँ इन जहाजों को कठिन समुद्री परिस्थितियों में पूरी मिशनों की श्रृंखला को निष्पादित करने की क्षमता प्रदान करती हैं।

INS उदयगिरी परियोजना 17 ए का दूसरा जहाज है, और इसे मुंबई में माजगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड द्वारा बनाया गया है। वहीं, INS हिमगिरी को कोलकाता में गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स द्वारा निर्मित किया गया है। दोनों जहाज पुराने डिजाइनों की तुलना में अत्याधुनिक विशेषताओं से लैस हैं।

जहाज की विशेषताएँ

INS उदयगिरी को अपनी श्रेणी में सबसे तेज़ जहाज होने का गौरव भी प्राप्त है, जो भारतीय शिपयार्ड द्वारा अपनाई गई मॉड्यूलर विनिर्माण पद्धति का परिणाम है। यह लगभग 6,700 टन का P17A क्लास फ्रिगेट है, जो उसके पूर्ववर्ती शिवलिक श्रेणी के जहाजों से लगभग 5 प्रतिशत बड़ा है। इनमें कई उन्नत विशेषताएँ शामिल हैं, जैसे अधिक सुव्यवस्थित संरचना और कम रडार क्रॉस सेक्शन।

इसके अलावा, INS उदयगिरी और INS हिमगिरी में भारतीय निर्माताओं द्वारा विकसित किए गए उन्नत हथियार तथा सेंसर्स शामिल हैं। इन जहाजों के हथियारों में सुपरसोनिक सतह-से-सतह मिसाइल, मध्यम-रेंज सतह-से-हवा मिसाइल, 76 मिमी तोप और 30 मिमी तथा 12.7 मिमी ‘क्लोज-इन’ हथियार प्रणालियाँ शामिल हैं।

भारतीय नौसेना का भविष्य

भारतीय नौसेना का ये नया विकास न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ाता है बल्कि भारत के आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अपने बल और क्षमताओं के विस्तार से न केवल रक्षा क्षेत्र में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी स्थिति को मजबूत करता है।

यही कारण है कि INS उदयगिरी और INS हिमगिरी जैसे युद्धपोतों की सामरिक और तकनीकी महत्वता के साथ-साथ, भारत के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से भी विशेष महत्व रखती है।

निष्कर्ष

भारत की सुरक्षा स्थिति, विशेषकर समुद्री सुरक्षा, इस समय उच्च प्राथमिकता पर है। ऐसे में, नए युद्धपोतों का समावेश और अमेरिका से संभावित लड़ाकू विमानों का सौदा, दोनों ही देश की सुरक्षा तथा सामरिक स्थिति को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, अमेरिकी विमानों के सौदों पर बातचीत का कोई ठोस परिणाम न होने के बावजूद, भारत अपनी स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में संलग्न है।

यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत आने वाले समय में आधुनिक और स्वदेशी रक्षा एकीकरण के क्षेत्र में और अधिक प्रगति करेगा, जिससे उसे अपने सामरिक लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी।

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