प्रशांत किशोर ने अल्पसंख्यकों से कहा, 50% हिंदू भाजपा के खिलाफ हैं।

प्रशांत किशोर का बयान: बिहार की राजनीतिक धारा की दिशा
बेट्टिया में आयोजित एक सभा के दौरान प्रशांत किशोर ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने बताया कि हिंदुओं की एक बड़ी आबादी गांधी, बाबासाहेब, लोहिया, समाजवाद और कम्युनिस्ट विचारधारा की ओर झुकाव रखती है। किशोर का कहना है कि ऐसे लोग जो इन विचारों में विश्वास रखते हैं, उन्होंने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया है, जबकि भाजपा के नेताओं ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में कोई खास भूमिका नहीं निभाई।
देश की राजनैतिक लड़ाई
किशोर ने स्पष्ट किया कि बिहार में जान सूरज द्वारा किए जा रहे कार्य केवल राज्य की लड़ाई नहीं हैं, बल्कि यह पूरे देश की राजनीति का मुद्दा है। उन्होंने कहा कि देश की आधी हिंदू आबादी भाजपा के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है। यदि उनमें से 20 प्रतिशत लोग भी हमारे साथ आ जाते हैं, तो इस लड़ाई का स्वरूप बदल जाएगा।
स्वतंत्रता संग्राम की विचारधारा
प्रशांत किशोर ने जोर देकर कहा कि गांधी, लोहिया, और समाजवाद जैसे विचारधाराओं की नींव स्वतंत्रता संग्राम में रखी गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि 2014 में चुनाव से पहले भाजपा को समर्थन देने वाली जनता को अब समझना होगा कि उनके लिए बदलाव जरूरी है। किशोर ने कहा कि अगर यह धारणा बनती है कि मुसलमानों ने जान सूरज का समर्थन सिर्फ इसलिए किया क्योंकि उन्हें 40 सीटें मिलीं, तो यह गलत होगा।
बिहार में वर्तमान स्थिति
बिहार में भाजपा के समर्थन के तहत जो नीतियाँ बनाई गई हैं, उनका प्रतिरोध अब साफ तौर पर दिख रहा है। पटना के अटल पथ पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे की कार पर प्रदर्शनकारियों द्वारा चट्ट stones फेंकने के संदर्भ में किशोर ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में सरकार ने अपने लोगों की मदद से बिहार के हर हिस्से में लोगों पर लाठीचार्ज किया है। यह अब जनता का पलटवार है।
चुनावों से पहले की घोषणाएं
प्रशांत किशोर ने यह भी बताया कि जब एक सरकार 20 साल तक शासन करती है, तो चुनावों से पहले विभिन्न नीतियों की घोषणाएँ करती है, यह दर्शाता है कि पूर्ववर्ती सरकार ने कोई ठोस काम नहीं किया। बिहार में जन सुराज के प्रयासों से हाल ही में पेंशन और भत्तों में वृद्धि हुई है, जो यह संकेत देता है कि राज्य के युवाओं को अब रोजगार के लिए पलायन करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
युवाओं का भविष्य
बिहार में यदि जन सुराज की प्रणाली लागू की जाती है, तो किशोर का मानना है कि युवा रोजगार के लिए बाहर नहीं जाएंगे। वह दावा करते हैं कि छठ पूजा के बाद, बिहार का कोई भी युवा 10-12 हजार रुपये की तलाश में बाहर नहीं जाएगा। इससे यह स्पष्ट होता है कि किशोर का ध्यान युवाओं के उत्थान और रोजगार के अवसरों पर केंद्रित है।
भाजपा की रणनीति
किशोर का यह भी कहना है कि यह जन सुराज का डर है जिसने भाजपा और तेजस्वी यादव को प्रवास पर चर्चा करने के लिए मजबूर किया है। यह दर्शाता है कि जनता की नाराजगी और असंतोष अब सत्ताधारी दल तक पहुंच चुका है।
निष्कर्ष
प्रशांत किशोर का यह भाषण बिहार की राजनीतिक स्थिति को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। उनकी बातें सिर्फ बिहार को ही नहीं, बल्कि पूरे देश को एक नई दिशा दिखाने का प्रयास करती हैं। ऐसे समय में जब देश की राजनीति में उतार-चढ़ाव जारी हैं, किशोर की योजनाएँ और विचार धारा एक नई क्रांति का संकेत दे सकते हैं।
इस प्रकार, यह आवश्यक हो जाता है कि सभी वर्गों के लोग एक साथ मिलकर बिहार और देश के विकास के लिए आगे आएं और सकारात्मक बदलाव के लिए संघर्ष करें।