स्वास्थ्य

प्रोस्टेट कैंसर बिना लक्षण दिखाए शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है, पुरुषों के लिए खतरा बढ़ रहा है।

प्रोस्टेट कैंसर: एक गंभीर स्वास्थ्य चिंता

आज के समय में, पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का बढ़ता प्रकोप स्वास्थ्य जगत में बड़ी चिंता का विषय बन गया है। यह एक ऐसा कैंसर है जो धीरे-धीरे और चुपचाप बढ़ता है, और इसके शुरुआती लक्षण अक्सर दिखाई नहीं देते। ऐसे में, यह जरूरी है कि हम प्रोस्टेट कैंसर के विषय में जागरूक रहें, पहचाने जाने वाले लक्षणों और संभावित उपचार के तरीकों के बारे में जानकारी रखें।

प्रोस्टेट क्या है?

प्रोस्टेट एक ग्रंथि है, जो पुरुषों के मूत्राशय के नीचे और मूत्र नाल के आसपास स्थित होती है। इसका मुख्य कार्य वीर्य बनाने में मदद करना और प्रजनन प्रक्रिया को सुगम बनाना है। जब प्रोस्टेट ग्रंथि की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं, तो वे ऐसे ट्यूमर का निर्माण कर सकती हैं, जो भविष्य में कैंसर का रूप ले लेता है। इसे प्रोस्टेट कैंसर कहा जाता है।

कौन से पुरुष अधिक जोखिम में हैं?

प्रोस्टेट कैंसर का जोखिम कुछ विशेष समूहों के लिए अधिक है।

  1. उम्र: उम्र एक महत्वपूर्ण कारक है। 40 से 45 वर्ष की आयु के बाद, प्रोस्टेट कैंसर का जोखिम बढ़ने लगता है, और 60 के बाद यह और अधिक हो जाता है।
  2. पारिवारिक इतिहास: यदि परिवार में किसी सदस्य को प्रोस्टेट कैंसर हुआ है, तो यह जोखिम को और बढ़ा देता है। इसे चिकित्सा में ‘पारिवारिक जोखिम’ कहा जाता है।
  3. जीवनशैली: अस्वस्थ जीवनशैली जैसे अत्यधिक जंक फूड खाना, मोटे और तले हुए खाने का सेवन, धूम्रपान और शराब का अधिक उपयोग भी प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम को बढ़ा देता है।
  4. हार्मोनल परिवर्तन: टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के असंतुलन से प्रोस्टेट कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि का खतरा बढ़ जाता है।

शुरुआती लक्षण अक्सर दिखाई नहीं देते हैं

प्रोस्टेट कैंसर को ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है क्योंकि इसके प्रारंभिक लक्षण लगभग ध्यान में नहीं आते। कई पुरुष बार-बार पेशाब करने, पेशाब में जलन या रुकावट के संकेत अनुभव कर सकते हैं, लेकिन यह तब तक गंभीर रूप में सामने नहीं आते जब तक कि कैंसर का विकास काफी बढ़ न जाए। इसलिए, 40 वर्ष की आयु के बाद सभी पुरुषों के लिए नियमित जांच आवश्यक है।

निदान के लिए आवश्यक परीक्षण

यदि किसी पुरुष में प्रोस्टेट कैंसर का संदिग्ध लक्षण देखा जाता है, तो कुछ महत्वपूर्ण परीक्षण किए जा सकते हैं:

  • पीएसए परीक्षण: यह रक्त में प्रोस्टेट-विशिष्ट प्रतिजन (PSA) की मात्रा को मापता है।
  • डिजिटल रेक्टल परीक्षा (डीआरई): इस प्रक्रिया में डॉक्टर हाथ से प्रोस्टेट ग्रंथि की जांच करते हैं।
  • एमआरआई और बायोप्सी: ये परीक्षण भी निदान में सहायक होते हैं और कैंसर की स्थिति को स्पष्ट करने में मदद करते हैं।

बचाव उपाय

प्रोस्टेट कैंसर से बचाव के लिए कुछ सरल उपाय किए जा सकते हैं, जो आपके स्वास्थ्य को संरक्षित रख सकते हैं:

  1. संतुलित आहार: एक संतुलित आहार जिसमें हरी सब्जियां, ताजे फल और फाइबर शामिल हों, महत्वपूर्ण है।
  2. धूम्रपान और शराब से बचें: धूम्रपान और शराब का सेवन कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है।
  3. नियमित व्यायाम: नियमित रूप से शारीरिक गतिविधि करना और वजन को नियंत्रण में रखना आवश्यक है।
  4. वार्षिक स्वास्थ्य जांच: 40 वर्ष की आयु के बाद वार्षिक स्वास्थ्य जांच कराने की आदत डालें ताकि किसी संभावित समस्या का समय पर पता चल सके।

प्रोस्टेट कैंसर का उपचार

प्रोस्टेट कैंसर का उपचार उसकी अवस्था और मरीज की स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर किया जाता है। उपचार के विकल्पों में शामिल हो सकते हैं:

  1. सर्जरी: यदि कैंसर स्थानीय स्तर पर है, तो प्रोस्टेट ग्रंथि को निकालना एक प्रभावी विकल्प हो सकता है।
  2. रेडियोथेरेपी: यह कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए उच्च ऊर्जा विकिरण का उपयोग करता है।
  3. हार्मोन थेरेपी: यह टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करके कैंसर की वृद्धि को रोकने में मदद कर सकता है।
  4. कीमोथेरेपी: यह उपचार कैंसर के अग्रिम स्तर पर किया जाता है और इसमें औषधियों का उपयोग किया जाता है।
  5. एक्टिव सर्विलांस: कुछ मामलों में जहां कैंसर धीमे बढ़ रहा होता है, चिकित्सक सक्रिय निगरानी की सिफारिश कर सकते हैं।

निष्कर्ष

प्रोस्टेट कैंसर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन इसके प्रति जागरूकता और नियमित स्वास्थ्य जांच से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। सभी पुरुषों को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए और इस रोग के संभावित संकेतों के प्रति सतर्क रहना चाहिए। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने और नियमित जांच कराने से हम इस बीमारी से सुरक्षा पा सकते हैं।

खुद का व ध्यान रखें और अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें, क्योंकि यह आपकी जिम्मेदारी है।

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