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धोनी ने 8 साल बाद विकेटकीपिंग का अभ्यास किया बंद, पूर्व कोच श्रीधर ने किया खुलासा

पूर्व भारतीय फील्डिंग कोच रामकृष्णन श्रीधर का एमएस धोनी के बारे में आश्चर्यजनक खुलासा

पूर्व भारतीय कप्तान और अनुभवी विकेटकीपर-बल्लेबाज एमएस धोनी क्रिकेट के इतिहास में सबसे महान खिलाड़ियों में से एक माने जाते हैं। उनकी कप्तानी की अद्वितीय शैली और विकेटकीपिंग कौशल ने उन्हें विश्व स्तर पर एक विशेष स्थान दिलाया है। उन्होंने क्रिकेट के कई महत्वपूर्ण क्षणों को नियंत्रित किया, और उनके विकेट के पीछे होने की गति और सजगता ने उन्हें एक विशेष पहचान दी।

धोनी के करियर का आरंभ 2004 में हुआ। उन्होंने भारतीय टीम के लिए अपनी पहली उपस्थिति दिखाई और 2020 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। उनके नाम कई रिकॉर्ड दर्ज हैं, जो उनकी विभिन्न उपलब्धियों को दर्शाते हैं। लेकिन अब, पूर्व भारतीय फील्डिंग कोच रामकृष्णन श्रीधर ने धोनी के विकेटकीपिंग कौशल को लेकर कुछ महत्वपूर्ण बातें साझा की हैं, जिसने सभी को चौंका दिया।

धोनी की अभ्यास पद्धति

रामकृष्णन श्रीधर ने बताया कि धोनी ने लगभग आठ से नौ वर्षों तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलते रहने के बाद विकेटकीपिंग का अभ्यास करना बंद कर दिया था। यह सुनकर सभी हैरान हो गए। श्रीधर का कहना है कि धोनी ने अपनी सजगता को सुधारने के लिए छोटे-छोटे अभ्यासों पर ध्यान केंद्रित किया। इससे उनके खेल में कोई कमी नहीं आई, बल्कि उन्होंने अपनी सजगता को और भी निखारा।

श्रीधर ने आगे कहा कि जब धोनी ने अपने करियर के आरंभिक वर्षों में क्रिकेट खेलना शुरू किया, तब वह अपने विकेटकीपिंग कौशल पर बहुत मेहनत कर रहे थे। लेकिन जब उन्होंने भारत के लिए तीनों प्रारूपों में खेलना शुरू किया, तब उन्हें लगा कि उन्हें अधिक अभ्यास करने की आवश्यकता नहीं है। उनका मानना था कि उनकी उंगलियां स्टंप पर गेंदों, थ्रो और अन्य कार्यों में पर्याप्त काम कर रही थीं, जिससे उन्हें विकेटकीपिंग का औपचारिक अभ्यास करने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई।

रिकॉर्ड और उपलब्धियाँ

धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत के लिए 829 विकेटकीपिंग शिकार किए हैं, जिससे वह इस सूची में तीसरे स्थान पर हैं। यह आंकड़ा उनके कौशल और मेहनत को साबित करता है। धोनी के शानदार करियर के कारण उन्होंने कई महत्वपूर्ण रिकॉर्ड बनाए हैं, जो आज भी बरकरार हैं। उनकी विकेटकीपिंग की दक्षता ने उन्हें भारतीय क्रिकेट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया है।

धोनी के विकेट कीपिंग कौशल और उनके क्रिकेटिंग निर्णयों की धारणा ने उन्हें न केवल एक सफल खिलाड़ी बनाया, बल्कि एक प्रभावी कप्तान भी। उनकी कप्तानी में भारत ने कई महत्वपूर्ण टूर्नामेंट्स जीते, जिसमें 2007 का टी20 वर्ल्ड कप और 2011 का वनडे वर्ल्ड कप शामिल हैं। उनकी क्रिकेटिंग अंतर्दृष्टि और रणनीतियाँ हमेशा चर्चा का विषय रही हैं।

धोनी का मनोबल

धोनी ने अपने करियर में न केवल अपने विकेट कीपिंग कौशल के लिए बल्कि अपने मानसिक आचरण के लिए भी पहचान बनाई है। उन्होंने खेल के प्रति अपने दृष्टिकोण को हमेशा सकारात्मक रखा है। उनके द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया और खेल के प्रति प्यार ने उन्हें बार-बार सफल बनाया।

श्रीधर का यह खुलासा दर्शाता है कि किस प्रकार धोनी ने अपनी खेल पद्धति को आत्मशोध के जरिए विकसित किया और खुद को नवीनतम तरीकों से अपडेट रखा। उनकी सजगता उनकी सबसे बड़ी ताकत रही है।

निष्कर्ष

इस तरह से धोनी का क्रिकेट में योगदान और उनकी कार्यशैली उन सभी खिलाड़ियों के लिए एक उदाहरण है जो भविष्य में क्रिकेट खेलने की सोच रहे हैं। उनका यह कहना कि अभ्यास हमेशा एक ही तरह से नहीं होता, ने क्रिकेट प्रेमियों और युवा खिलाड़ियों को एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया है। उनका अनुभव यह बताता है कि कैसे एक खिलाड़ी अपनी क्षमताओं को पहचानते हुए उन्हें बेहतर बना सकता है।

धोनी का क्रिकेट करियर और उनकी उपलब्धियां सदैव याद की जाएँगी, और उनके द्वारा दिए गए सबक भविष्य के खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगे। उनके जैसे खिलाड़ी न केवल अपने खेलने के तरीके से, बल्कि अपनी सोच और दृष्टि से भी दुनिया भर में चर्चा का विषय बने रहते हैं।

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