पांच भारतीय क्रिकेटर जिन्होंने चेतेश्वर पुजारा से पहले करियर शुरू किया और अभी भी खेल रहे हैं।

चेतेश्वर पुजारा की सेवानिवृत्ति और सक्रिय भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी
चेतेश्वर पुजारा, भारतीय टेस्ट क्रिकेट का एक महत्वपूर्ण स्तंभ, ने हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा की है। 37 वर्ष की आयु में, पुजारा ने 103 टेस्ट मैचों में 7195 रन बनाए हैं, जिसमें 19 शतकों का योगदान रहा है। यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, क्योंकि वह पिछले दो वर्षों से टीम इंडिया से बाहर थे। इस संदर्भ में, उनकी सेवानिवृत्ति ने न केवल क्रिकेट प्रेमियों को बल्कि पूरी क्रिकेट बिरादरी को चौंका दिया है।
पुजारा की खासियत उनकी स्थिरता और दृढ़ता रही है। उन्होंने 2010 में अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की थी, जब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बेंगलुरु में डेब्यू किया। तब से लेकर अब तक, वह भारतीय टेस्ट टीम के लिए एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बने रहे। उनके रोमांचक खेल और मजबूत मानसिकता ने उन्हें ‘दीवार’ का नाम दिलाया।
इस विशेष क्षण के बाद, चेतेश्वर पुजारा ने यह भी उल्लेख किया कि भारतीय क्रिकेट में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने उनसे पहले डेब्यू किया, लेकिन वे अभी भी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सक्रिय हैं। यह खिलाड़ियों की निष्ठा और क्षमता को दर्शाता है।
5 सक्रिय खिलाड़ी जिन्होंने चेतेश्वर पुजारा से पहले डेब्यू किया था
1. ईशांत शर्मा
दिल्ली के तेज़ गेंदबाज़ ईशांत शर्मा ने 2007 में बांग्लादेश के खिलाफ अपना अंतर्राष्ट्रीय करियर शुरू किया। ईशांत ने हाल ही में 2021 में भारत के लिए एक मैच खेला, और तब से वह घरेलू क्रिकेट और आईपीएल में खेलते रहे हैं। उन्होंने गुजरात टाइटन्स की ओर से आईपीएल 2025 में 7 मैचों में 4 विकेट लिए हैं। वह अभी तक क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला नहीं कर चुके हैं।
2. रोहित शर्मा
भारतीय वनडे टीम के कप्तान रोहित शर्मा ने 2007 में अपनाएकदिवसीय डेब्यू किया। रोहित भारतीय क्रिकेट के प्रमुख सलामी बल्लेबाजों में से एक हैं। उन्होंने टी20 और टेस्ट प्रारूपों से अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा की है, लेकिन वर्तमान में वह वनडे और आईपीएल में सक्रिय रूप से खेल रहे हैं। रोहित की खेल शैली और शक्ति ने उन्हें सीमित ओवरों में एक स्टार खिलाड़ी बना दिया है।
3. विराट कोहली
विराट कोहली, जिन्हें ‘किंग कोहली’ के नाम से जाना जाता है, ने 2008 में एकदिवसीय क्रिकेट में कदम रखा और 2011 में टेस्ट में डेब्यू किया। वे एक महान बल्लेबाज के रूप में स्थापित हो चुके हैं और उनकी बल्लेबाजी का कोई सानी नहीं है। हालाँकि उन्होंने टी20 और टेस्ट क्रिकेट से सन्न्यास ले लिया है, लेकिन वह अभी भी वनडे और आईपीएल में सक्रिय हैं। विराट ने अपने करियर में कई रिकॉर्ड बनाए हैं और क्रिकेट को नई ऊँचाइयाँ दी हैं।
4. उमेश यादव
उमेश यादव, जो विदर्भ से आते हैं, ने 2010 में मई के महीने में अपना एकदिवसीय प्रदर्शन किया और 2011 में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया। उन्हें टीम में जगह पाने के लिए संघर्ष करते देखा गया, फिर भी वे लगातार घरेलू क्रिकेट खेलते रहे हैं। उमेश की गति और विविधता उन्हें एक महत्वपूर्ण तेज गेंदबाज बनाती हैं।
5. रवींद्र जडेजा
पुजारा के सौराष्ट्र के साथी रवींद्र जडेजा ने 2009 में एकदिवसीय डेब्यू किया और 2012 में टेस्ट में प्रवेश किया। जडेजा ने टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया, लेकिन वह अभी भी टेस्ट और वनडे क्रिकेट में सक्रिय हैं। उनका ऑलराउंड खेल और फील्डिंग कौशल उन्हें टीम का अहम हिस्सा बनाता है।
चेतेश्वर पुजारा का योगदान
पुजारा का क्रिकेट करियर दर्शाता है कि उन्होंने न केवल भारतीय क्रिकेट में स्थायी छाप छोड़ी है, बल्कि उन्होंने उन युवा खिलाड़ियों के लिए भी एक उदाहरण प्रस्तुत किया है जो क्रिकेट के प्रति गंभीर हैं। उनकी तकनीकी मजबूती, शांति और धैर्य ने उन्हें कई महत्वपूर्ण पारियों में सफलता दिलाई।
पुजारा ने कई ऐसी पारियाँ खेलीं हैं जो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। उनकी बल्लेबाजी शैली ने उन्हें आयोजनों की उच्चतम स्थिति तक पहुंचाया। उनके कई शतकों ने भारत को संकट से उबारने में मदद की है और उनकी शैली ने युवा खिलाड़ियों को प्रेरित किया है।
निष्कर्ष
चेतेश्वर पुजारा का अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेना एक युग का अंत है। उनके अनुभव और योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। जबकि वह अब एक नई यात्रा पर जा रहे हैं, उनकी उपलब्धियाँ क्रिकेट की दुनिया में अमर रहेंगी। आज, जब हम उनके योगदान का जश्न मनाते हैं, हमें यह भी याद रखना चाहिए कि भारतीय क्रिकेट में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जिनका सफर अभी भी जारी है। इन खिलाड़ियों का अनुभव और खेल का स्तर भारतीय क्रिकेट को नई ऊँचाइयाँ देगा।
पुजारा की सेवानिवृत्ति भारतीय क्रिकेट के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है, लेकिन यह समय अन्य खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है, जो अभी भी खेल के मैदान पर अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह निश्चित रूप से कह सकते हैं कि भारत में क्रिकेट का भविष्य उज्जवल है और पुजारा का योगदान हमेशा एक आदर्श बना रहेगा।